भूगोल
तटीय सुभेद्यता सूचकांक
- 10 Feb 2022
- 4 min read
प्रिलिम्स के लिये:तटीय सुभेद्यता, तटीय सुभेद्यता सूचकांक, समुद्र स्तर में वृद्धि, आईएनसीओआईएस। मेन्स के लिये:आपदा प्रबंधन, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, तटीय भेद्यता सूचकांक और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (INCOIS) ने राज्यों के स्तर पर पूरे भारतीय तट के लिये एक तटीय सुभेद्यता मूल्यांकन किया है।
- तटीय सुभेद्यता सूचकांक (CVI) तैयार करने के लिये 1:1,00,000 पैमानों पर 156 मानचित्रों वाला एटलस निकालने हेतु मूल्यांकन किया गया है।
तटीय सुभेद्यता:
- तटीय भेद्यता एक स्थानिक अवधारणा है जो उन लोगों और स्थानों की पहचान करती है जो तटीय खतरों से उत्पन्न समस्याओं के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं।
- तटीय पर्यावरण से संबंधित विभिन्न खतरे, जैसे तटीय तूफान, समुद्र के स्तर में वृद्धि और कटाव, तटीय भौतिक, आर्थिक एवं सामाजिक प्रणालियों के लिये गंभीर खतरे पैदा करते हैं।
तटीय सुभेद्यता सूचकांक:
- ये नक्शे, भारतीय तट हेतु भौतिक एवं भू-वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर भविष्य में समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण तटीय जोखिमों का निर्धारण करेंगे।
- ‘तटीय सुभेद्यता सूचकांक’ सापेक्ष जोखिम का उपयोग करता है, जिसके मुताबिक समुद्र के स्तर में वृद्धि को निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर निर्धारित किया जाता है:
- टाइडल रेंज
- समुद्री लहर की ऊँचाई
- तटीय ढलान
- तटीय ऊँचाई
- तटरेखा परिवर्तन दर
- भू-आकृति विज्ञान
- सापेक्ष समुद्र-स्तर परिवर्तन की ऐतिहासिक दर
तटीय बहु-खतरा सुभेद्यता मानचित्रण:
- उपर्युक्त मापदंडों का उपयोग करते हुए एक तटीय बहु-खतरा सुभेद्यता मानचित्रण (MHVM) भी शुरू किया गया था।
- इन मापदंडों को समग्र जोखिम क्षेत्रों का पता लगाने हेतु संश्लेषित किया गया था, जो अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं के कारण तटीय निचले इलाकों के साथ जलमग्न हो सकते हैं।
- यह MHVM मैपिंग 1:25000 के पैमाने पर भारत की संपूर्ण मुख्य भूमि के लिये की गई थी।
तटीय सुभेद्यता सूचकांक का महत्त्व:
- तटीय आपदा प्रबंधन और लचीले तट के निर्माण हेतु तटीय भेद्यता मूल्यांकन उपयोगी जानकारी हो सकती है।
- भारत में 7516.6 किलोमीटर की तटरेखा है, यानी भारतीय मुख्य भूमि की तटीय लंबाई 6100 किलोमीटर तथा भारतीय द्वीपों की तटरेखा की लंबाई 1197 किलोमीटर है जो 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) को छूती है।
INCOIS:
- INCOIS पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
- यह हैदराबाद में स्थित है और वर्ष 1999 में स्थापित किया गया था तथा यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ईएसएसओ), नई दिल्ली की एक इकाई है।
- ESSO अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के लिये पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) की कार्यकारी शाखा के रूप में कार्य करता है।
- यह समाज, उद्योग, सरकारी एजेंसियों को सर्वोत्तम संभव महासागर सूचना और सलाहकार सेवाएँ प्रदान करने के साथ ही वैज्ञानिक समुदाय के निरंतर समुद्री अवलोकन द्वारा व्यवस्थित एवं केंद्रित अनुसंधान हेतु ज़रूरी है।