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जैव विविधता और पर्यावरण

तटीय नियमन ज़ोन (CRZ) अधिसूचना, 2018 को मंज़ूरी

  • 29 Dec 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तटीय क्षेत्रों में आर्थिक एवं विकास गतिविधियों को पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप नियंत्रित करने हेतु तटीय नियमन ज़ोन (Coastal Regulation Zone-CRZ) अधिसूचना, 2018 को मंज़ूरी दे दी। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस अधिसूचना (Notification) की पिछली समीक्षा वर्ष 2011 में की गई थी और फिर उसी वर्ष इसे जारी भी किया गया था।

पृष्ठभूमि

  • तटीय क्षेत्रों के संरक्षण एवं सुरक्षा के उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 1991 में तटीय नियमन ज़ोन अधिसूचना जारी की थी, जिसे वर्ष 2011 में संशोधित किया गया था।
  • समय-समय पर तटीय नियमन ज़ोन (Coastal Regulation Zone-CRZ) अधिसूचना के अनुच्‍छेदों में संशोधन किये जाते रहे हैं।
  • 2011 के प्रावधानों, विशेष रूप से समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी के प्रबंधन एवं संरक्षण, तटीय क्षेत्रों के विकास, पारिस्थितिकी पर्यटन, तटीय समुदायों की आजीविका से जुड़े विकल्‍प एवं सतत् विकास इत्‍यादि से संबंधित प्रावधानों की व्‍यापक समीक्षा के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्राप्‍त हुए अनेक ज्ञापनों पर विचार करते हुए CRZ अधिसूचना, 2018 जैसे कदम को उठाया गया है।

तटीय नियमन ज़ोन (CRZ)

  • CRZ को ‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986’ के तहत  पर्यावरण और वन मंत्रालय (जिसका नाम अब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कर दिया गया है) द्वारा फरवरी-1991 में अधिसूचित किया गया था।
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश के संवेदनशील तटीय क्षेत्रों में गतिविधियों को नियमित करना है।
  • तटीय क्षेत्र का हाई टाइड लाइन (HTL) से 500 मीटर तक का क्षेत्र तथा साथ ही खाड़ी, एस्चूरिज,  बैकवॉटर और नदियों के किनारों को CRZ क्षेत्र माना गया है, लेकिन इसमें महासागर को शामिल नहीं किया गया है।
  • इसके अंतर्गत तटीय क्षेत्रों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है-

1. CRZ - 1


यह कम और उच्च ज्वार लाइन के बीच का  पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र हैं, जो तट के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है।

2. CRZ - 2


यह क्षेत्र तट के किनारे तक फैला हुआ होता है।

3. CRZ – 3


इसके अंतर्गत CRZ 1 और 2 के बाहरी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र आते हैं। इस क्षेत्र में कृषि से संबंधित कुछ खास गतिविधियों को करने की अनुमति दी गई है।

4. CRZ – 4


यह जलीय क्षेत्र में क्षेत्रीय सीमा (territorial limits) तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों की अनुमति है।

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने डॉ. शैलेश नायक (पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव) की अध्‍यक्षता में जून 2014 में एक समिति गठित की थी जिसे CRZ अधिसूचना, 2011 में उपयुक्‍त बदलावों की सिफारिश करने के लिये तटीय राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्‍य हितधारकों की चिंताओं के साथ-साथ विभिन्‍न मुद्दों पर भी गौर करने की ज़िम्‍मेदारी सौंपी गई थी।
  • शैलेश नायक समिति ने राज्‍य सरकारों एवं अन्‍य हितधारकों के साथ व्‍यापक सलाह-मशविरा करने के बाद वर्ष 2015 में अपनी सिफारिशें पेश कर दी थीं। अप्रैल, 2018 में एक मसौदा अधिसूचना जारी कर आम जनता से उनके सुझाव आमंत्रित किये गए थे।
  • तटीय क्षेत्रों के सतत् विकास (Sustainable Development) की अनिवार्यता और तटीय परिवेश के संरक्षण की आवश्‍यकता के आधार पर सरकार ने तटीय नियमन ज़ोन अधिसूचना 2018 को मंज़ूरी दी है, जिससे तटीय समुदायों की आकांक्षाएँ पूरी करने और समाज के गरीब एवं कमज़ोर तबकों का कल्‍याण सुनिश्चित करने में काफी मददगार साबित होने की आशा है।

CRZ अधिसूचना, 2018 के लाभ

  • प्रस्‍तावित CRZ अधिसूचना, 2018 से तटीय क्षेत्रों में गतिविधियाँ काफी बढ़ जाएंगी, जिसके परिणामस्‍वरूप आर्थिक विकास की रफ्तार भी तेज़ हो जाएगी।

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  • इसके साथ ही तटीय क्षेत्रों के संरक्षण संबंधी सिद्धांतों को भी ध्‍यान में रखा जाएगा। इससे न केवल बड़ी संख्‍या में रोज़गारों का सृजन होगा, बल्कि बेहतर जीवन के साथ-साथ भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में मूल्‍यवर्धन भी सुनिश्चित होगा। नई अधिसूचना से तटीय क्षेत्रों की अतिसंवेदनशीलता में कमी आने के साथ-साथ उनका जीर्णोद्धार भी होने की आशा है।

प्रमुख विशेषताएँ:

  1. CRZ क्षेत्रों में वर्तमान मानकों के अनुसार, फ्लोर स्‍पेस इंडेक्‍स (Floor space index-FSI) अथवा फर्श क्षेत्र अनुपात (Floor area ratio-FAR) को अनुमति प्राप्त होगी।
  2. घनी आबादी वाले क्षेत्रों के विकास के लिये ज़्यादा अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
  3.  बुनियादी सुविधाओं के लिये पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दिया जाएगा।
  4. CRZ मंज़ूरी की प्रक्रिया सुव्‍यवस्थित की गई है।
  5. सभी द्वीपों के लिये 20 मीटर का ‘कोई विकास नहीं’ ज़ोन (No Development Zone- NDZ)’ निर्दिष्‍ट किया गया है।
  6. पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील माने जाने वाले सभी क्ष्‍ोत्रों को विशेष अहमियत दी गई है।
  7. प्रदूषण में कमी करने पर विशेष रूप से फोकस किया गया है।
  8. रक्षा एवं रणनीतिक परियोजनाओं को आवश्‍यक छूट दी गई है।
  9. घनी आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लिये दो नई श्रेणियाँ, CRZ-3 A और CRZ-3 B निर्धारित की गई हैं।

चिंताएँ

  • इस अधिसूचना ने पर्यावरणीय मंज़ूरी की प्रक्रियाओं को सरल बना दिया है और नाजुक तटवर्ती अंतर्ज्वारिय क्षेत्रों को रियल एस्टेट एजेंटों के लिये खोल देगा।

निष्कर्ष


CRZ अधिसूचना में किये गए बदलावों से किफायती आवास के लिये अतिरिक्‍त अवसर उपलब्ध होंगे। यह अधिसूचना कुछ विशेष तरीके से तैयार की गई है। नई अधिसूचना अधिक गतिविधियों, अधिक बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं और इसके साथ ही पर्यटन के क्षेत्रों में रोजगार का सृजन करने जैसे क्षेत्रों में मददगार साबित होने की संभावना है।

स्रोत- पीआईबी (PIB)

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