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कोयला मंत्रालय की चार वर्ष की उपलब्धियाँ एवं अभिनव कदम

  • 13 Jun 2018
  • 6 min read

संदर्भ

हाल ही में कोयला मंत्रालय द्वारा चार वर्षों की उपलब्धियों को जारी किया गया है। इन 4 वर्षों (2014-18) में कोयला उत्पादन में 105 मिलियन टन की वृद्धि हुई, जिसे हासिल करने में 2013-14 से पहले लगभग सात वर्ष लगे थे। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • पिछले चार वर्षों के दौरान विशिष्ट कोयला उपभोग (प्रति यूनिट बिजली के लिये आवश्यक कोयले की मात्रा) में 8 प्रतिशत की कमी आई है जो ‘सरकार की साफ नीयत, सही विकास’ के दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है। 
  • देश के कोयला क्षेत्र में सुधार ने ऊर्जा क्षमता, दक्षता एवं सुरक्षा बढ़ोतरी में योगदान दिया है। 
  • अब तक का सर्वाधिक महत्त्वाकाँक्षी कोयला क्षेत्र सुधार, वाणिज्यिक कोयला खनन उच्चतर निवेश एवं बेहतर प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजन में सहायक होगा। 
  • ‘शक्ति’ योजना के तहत-16 ईंधन आपूर्ति समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। 
  • केंद्र सरकार ने कोयला एवं रेल मंत्रालय के बेहतर समन्वयन के ज़रिये बेहतर माल ढुलाई पर भी फोकस किया है। 
  • कोल इंडिया का कोयला लदान 2014-15 के 195 रेक प्रति दिन से बढ़ कर 2017-18 में 230 रेक प्रतिदिन हो गया है। 
  • 14 महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के लिये कोयला निकालने हेतु समयबद्ध कार्य निष्पादन की समय-सीमा निर्धारित की गई है। 
  • कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) का कोयला उत्पादन 2013-14 के 462 मिलियन टन से बढ़ कर 2017-18 में 567 मिलियन टन तक पहुँच गया है। 
  • उत्खनन के क्षेत्र 2013-14 के 6.9 लाख मीटर की तुलना में लगभग दोगुनी बढ़कर 2017-18 में 13.7 लाख मीटर तक पहुँच गई।
  • बढ़े हुए कोयला उत्पादन से ‘सभी के लिये 24 घंटे किफायती बिजली’  के विज़न को साकार करने में मदद मिलेगी, जो 2022 तक नवीन भारत विज़न का एक हिस्सा है।
अखिल भारतीय कोयला उत्पादन में वृद्धि (मिलियन टन में) सीआईएल कोयला उत्पादन में वृद्धि (मिलियन टन में) अखिल भारतीय कोयला डिस्पैच में वृद्धि (मिलियन टन में) सीआईएल कोयला डिस्पैच में वृद्धि (मिलियन टन में)
2010-11से 2013-14 33 31 48.6 46.62
2014-15से 2017-18 67 73 87.76 91.44
4 वर्षों की अवधि में विकास की प्रतिशत वृद्धि 103% 135% 80.6% 96.14%

मंत्रालय ने उत्कृष्ट कोयला गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये किस प्रकार कार्य किया है? 

  • तीसरे पक्ष की नमूना प्रक्रिया लागू की गई है। 
  • कोयला गुणवत्ता निगरानी प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं पक्षता सुनिश्चित करने के लिये उत्तम एप लॉन्च किया गया है। 
  • कोयला नियंत्रक संगठन (CCO) द्वारा कोल इंडिया लिमिटेड एवं सिंगरैनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL) के सभी खदानों का पुनर्श्रेणीकरण किया गया है। 
  • फोकस निम्न लागत एवं उच्च गुणवत्ता के जरिये बिजली की लागत पर रहा है और पिछले चार वर्षों के दौरान विशिष्ट कोल उपभोग (प्रति यूनिट बिजली के लिये आवश्यक कोयले की मात्रा) में 8 प्रतिशत की कमी आई है।  

कोयला खदानों की पारदर्शी नीलामी एवं आवंटन

  • 89 कोयला खदानों की पारदर्शी तरीके से नीलामी की गई है और उन्हें कोयला धारित राज्यों को 100 प्रतिशत राजस्व के साथ आवंटित किया गया है जिससे खासकर, सामाजिक रूप से पिछड़े एवं आकांक्षी ज़िलों के लिये आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में राज्यों को सहायता मिलेगी। 
  • 45.18 मिलियन टन प्रतिवर्ष की पारदर्शी तरीके से गैर-विनियमित क्षेत्र को नीलामी की गई है। 
  • कोयला लिंकेज की नीलामी एवं आवंटन के लिये भारत में पारदर्शी तरीके से कोयला को उपयोग में लाने एवं आवंटन करने की योजना (शक्ति) से किफायती बिजली मिलेगी एवं कोयला के आवंटन में पारदर्शिता आएगी। 

अन्य महत्त्वपूर्ण कदम

  • बिजली क्षेत्र में कोयला लिंकेज को युक्तिसंगत बनाने के परिणामस्वरूप 3,359 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत क्षमता के साथ 55.66 मिलियन टन की कुल कोयला आवाजाही तर्कसंगत रूप में सामने आई है। 
  • इसके अतिरिक्त, कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये, चिर प्रतीक्षित टोरी-शिवपुर रेल लाइन (44 किमी) का एक हिस्सा और टोरी-बालूमठ रेल खंड को 9 मार्च, 2018 को आरंभ कर दिया गया। 
  • ओडिशा में झारसुगुडा-बारापल्ली (53 किमी) रेल लाइन का कार्य भी पूरा किया जा चुका है। 
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