जैव विविधता और पर्यावरण
एसी यूनिट्स में वृद्धि से जलवायु को खतरा
- 17 Nov 2018
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एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एयर कंडीशनिंग यूनिट्स (AC units) की संख्या जितनी तेज़ी से बढ़ रही है उससे वर्ष 2022 तक भारत में प्रयोग की जा रही एयर कंडीशनिंग यूनिट्स की संख्या पूरी दुनिया में उपयोग की जा रही एयर कंडीशनिंग यूनिट्स की संख्या का चौथाई हिस्सा हो सकती है तथा इसके चलते जलवायु को और अधिक खतरा हो सकता है।
प्रमुख बिंदु
- शीतलक (refrigerants) जिनका प्रयोग कूलिंग के लिये किया जाता है, ग्लोबल वार्मिंग के लिये प्रमुख कारकों में से एक है और यदि इन्हें नियंत्रित नहीं किया गया तो ये वैश्विक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि कर सकते हैं।
- रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई ‘सॉल्विंग द ग्लोबल कूलिंग चैलेंज’ नामक रिपोर्ट के अनुसार, एक ऐसे तकनीकी समाधान की आवश्यकता है जो इस प्रभाव को 1/5 हिस्से तक कम करने में मदद करे और एयर कंडीशनिंग इकाइयों के संचालन के लिये आवश्यक बिजली की मात्रा में 75% तक कमी सुनिश्चित कर सके।
- रिपोर्ट के मुताबिक, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में पाँच गुना वृद्धि के साथ-साथ वर्ष 2050 तक लगभग 50 बिलियन रूम एयर कंडीशनर लगाए जाने का अनुमान है जो वर्तमान में स्थापित यूनिट्स की संख्या का लगभग चार गुना होगा।
- एक तकनीकी समाधान न केवल बिजली ग्रिड पर पड़ने वाले बोझ को कम करेगा बल्कि 109 ट्रिलियन रुपए (1.5 ट्रिलियन डॉलर) की बचत करेगा।
हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) को हटाना
- भारत उन 107 देशों में से एक है जिन्होंने वर्ष 2016 में उस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे जिसका उद्देश्य वर्ष 2045 तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) नामक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस को काफी हद तक कम करना और वर्ष 2050 तक वैश्विक तापमान में होने वाली 0.5 डिग्री सेल्सियस की संभावित वृद्धि को रोकने के लिये कदम उठाना था।
- HFCs गैसों का एक परिवार है जिसका उपयोग मुख्यतः घरों और कारों में प्रयोग किये जाने वाले एयर कंडीशनर में रेफ्रिजरेंट्स के रूप में किया जाता है। HFCs ग्लोबल वार्मिंग में लगातार योगदान देती हैं। भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप HFCs के उपयोग में 2045 तक 85% तक कमी लाने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
- हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा ऊर्जा मंत्रालय समेत भारत में कई विभागों ने एक अमेरिकी संस्थान रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट और प्रौद्योगिकी पर समाधान उपलब्ध कराने वाली कंपनी कंज़र्वेशन एक्स लैब्स के साथ साझेदारी की घोषणा की। इस साझेदारी के ज़रिये वैश्विक शीतलन पुरस्कार का गठन किया जाएगा जिसका उद्देश्य दुनिया भर की शोध प्रयोगशालाओं को अत्यधिक कुशल शीतलन प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने हेतु प्रेरित करना है।
- दो साल की प्रतियोगिता अवधि के दौरान 21 करोड़ रुपए (3 मिलियन डॉलर) पुरस्कार के रूप में आवंटित किये जाएंगे। अंतिम सूची में शामिल 10 प्रतिस्पर्द्धी प्रौद्योगिकियों में से प्रत्येक प्रौद्योगिकी को उनके अभिनव आवासीय शीतलन प्रौद्योगिकी डिज़ाइनों और प्रोटोटाइप के विकास का समर्थन करने के लिये मध्यवर्ती पुरस्कारों के रूप में 1.4 करोड़ रुपए (2,00,000 डॉलर) तक की राशि प्रदान की जाएगी।