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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन और वैश्विक सुरक्षा

  • 12 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

द इंटरनेशनल मिलिट्री काउंसिल ऑन क्लाइमेट एंड सिक्योरिटी

मेन्स के लिये:

विश्व को जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से बचाने हेतु योजनाएँ, समाधान संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में “द इंटरनेशनल मिलिट्री काउंसिल ऑन क्लाइमेट एंड सिक्योरिटी (The International Military Council on Climate and Security- IMCCS)” द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अगले दशक में वैश्विक सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करेगा।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि IMCCS ने “द वर्ल्ड क्लाइमेट एंड सिक्योरिटी रिपोर्ट 2020 (The World Climate And Security Report  2020)” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।  
  • दिसंबर 2019 में IMCCS ने दुनिया भर के 56 सुरक्षा विशेषज्ञों, सैन्य विशेषज्ञों और चिकित्सकों को शामिल करते हुए जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक सुरक्षा के समझ उत्पन्न खतरों का आकलन करने हेतु एक सर्वेक्षण किया।
  • सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2040 तक विस्थापन और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होने की संभावना है।
  • 93 प्रतिशत सैन्य विशेषज्ञों ने माना कि वर्ष 2030 तक जल सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव वैश्विक सुरक्षा के लिये उच्च जोखिम प्रस्तुत करेगा, जबकि 91% विशेषज्ञों का मत है कि वर्ष 2040 तक यह जोखिम गंभीर या विनाशकारी हो जाएगा। 
  • 94% विशेषज्ञों का मत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य सुरक्षा का खतरा बढेगा।
  • रिपोर्ट में क्षेत्रीय और अंतर-राज्यों के बीच तनाव में वृद्धि होगी। कम-से-कम 86% विशेषज्ञों ने माना कि वर्ष 2040 तक वैश्विक सुरक्षा के खतरों का कारण राष्ट्रों के बीच संघर्ष होगा। 

खराब मौसम का प्रभाव:

  • सैन्य विशेषज्ञों का मत है कि चरम मौसमी घटनाओं के कारण सैन्य बुनियादी ढाँचे प्रभावित होंगे।
  • जब देश प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा हो तो राजनीतिक अस्थिरता बढ़ जाती है एवं बड़े पैमाने पर विस्थापन वैश्विक सुरक्षा के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन पर अपर्याप्त नीतियों ने भूमि संबंधी संघर्षों को बढ़ा दिया है।

इंटरनेशनल मिलिट्री काउंसिल ऑन क्लाइमेट एंड सिक्योरिटी

  • IMCCS की स्थापना 19 फरवरी, 2019 को हेग, नीदरलैंड में की गई थी। 
  • यह दुनिया भर के वरिष्ठ सैन्य विशेषज्ञों का अम्ब्रेला नेटवर्क है जो नियमित रूप से मिलकर जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा पर एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने के साथ ही राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन के समाधान हेतु वार्ता कर नीति निर्माण करेंगे। 

आगे की राह: 

  • दुनिया भर के राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों को जलवायु परिवर्तन के समाधान हेतु मज़बूत रणनीति, योजनाओं के निर्माण के साथ ही निवेश को बढ़ावा देना चाहिये। 
  • सुरक्षा तथा सैन्य संस्थानों को जलवायु परिवर्तन के समाधान खोजने हेतु नेतृत्व करना चाहिये एवं व्यापक उत्सर्जन में कटौती तथा अनुकूलन के लिये निवेश को बढ़ावा देने हेतु सरकारों को प्रोत्साहित करना चाहिये। 
  • दुनिया भर के सैन्य संस्थानों को जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में ज्ञान और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। 
  • उदाहरण के तौर पर ऑस्ट्रेलिया सीनेट समिति ने विदेश मामलों, रक्षा और व्यापार पर जलवायु परिवर्तन को एक “थ्रेट मल्टीप्लायर एंड बर्डन मल्टीप्लायर (threat multiplier and burden multiplier)” के रूप में चिहित किया है। 


स्रोत: डाउन टू अर्थ

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