समुद्री सूक्ष्म शैवाल का जलवायु अनुकूलन | 23 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

समुद्री सूक्ष्म शैवाल का जलवायु अनुकूलन, समुद्री सूक्ष्म शैवाल, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, रोडोप्सिन

मेन्स के लिये:

समुद्री सूक्ष्म शैवाल का जलवायु अनुकूलन, विकास और दैनिक दिनचर्या में उनके अनुप्रयोग एवं प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंग्लैंड के ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (UEA) के वैज्ञानिकों ने खोज की है कि यूकेरियोटिक फाइटोप्लांकटन, जिसे सूक्ष्म शैवाल भी कहा जाता है, ने ग्लोबल वार्मिंग और बदलती समुद्री परिस्थितियों से निपटने के लिये स्वयं को अनुकूलित कर लिया है।

समुद्री सूक्ष्म शैवाल:

  • सूक्ष्म शैवाल प्रकाश संश्लेषक सूक्ष्मजीव हैं जो विभिन्न प्राकृतिक वातावरणों जैसे; जल, चट्टानों और मृदा में पाए जाते हैं। वे स्थलीय पौधों की तुलना में उच्च प्रकाश संश्लेषक दक्षता प्रस्तुत करते हैं और विश्व में ऑक्सीजन उत्पादन के एक महत्त्वपूर्ण अंश के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • समुद्री सूक्ष्म शैवाल समुद्री खाद्य शृंखला और कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • हालाँकि जैसा कि जलवायु परिवर्तन निरंतर जारी है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण महासागरों का जल गर्म हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप सतही जल और पोषक तत्त्वों से भरपूर जल के बीच मिश्रण कम हो रहा है जिससे पोषक तत्त्वों की उपलब्धता कम हो रही है
    • अतः सतह पर पोषक तत्त्व दुर्लभ हो जाते हैं, जिससे शीर्ष परत में मौजूद सूक्ष्म शैवाल जैसे प्राथमिक उत्पादक प्रभावित होते हैं।
  • लौह तत्त्व सहित पोषक तत्वों की यह कमी, सूक्ष्म शैवाल जैसे प्राथमिक उत्पादकों को प्रभावित करती है, जिससे वे कम भोजन बनाते हैं और वातावरण से ग्रहण की जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम कर देते हैं।
  • सूक्ष्म शैवाल के उदाहरण: डायटम, डायनोफ्लैगलेट, क्लोरेला आदि।

नोट:

सूक्ष्म शैवाल को भोजन बनाने और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिये सूर्य के प्रकाश तथा प्रचुर मात्रा में आयरन की आवश्यकता होती है, लेकिन समुद्र की सतह के 35% भाग पर उनकी वृद्धि के लिये आवश्यक आयरन की कमी है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  • रोडोप्सिन नामक प्रोटीन को सक्रिय करना:
    • रोडोप्सिन, एक प्रोटीन जो मानव नेत्रों में प्रकाश दृष्टि को कम करने के लिये ज़िम्मेदार है, के समान एक अन्य प्रोटीन समुद्र की सतह पर बदलती जलवायु परिस्थितियों के जवाब में समुद्री सूक्ष्म शैवाल द्वारा सक्रिय किया जाता है।
    • रोडोप्सिन पारंपरिक क्लोरोफिल-आधारित प्रकाश संश्लेषण के वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके इन सूक्ष्म शैवाल को पनपने की अनुमति देता है।
      • यह अनुकूलन उनके अस्तित्व के लिये आवश्यक है, विशेष रूप से समुद्र के गर्म होने के कारण पोषक तत्त्वों की कमी वाले सतही जलीय क्षेत्रों में।
  • प्रकाश संश्लेषण के रूप में प्रकाश का संग्रह:
    • रोडोप्सिन समुद्र में प्रमुख प्रकाश संग्राहक हैं और क्लोरोफिल आधारित प्रकाश संश्लेषण क्रिया जितना ही प्रकाश अवशोषित कर सकते हैं।
    • रोडोप्सिन ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये प्रकाश को ग्रहण करते हैं (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट या ATP के रूप में) जो सूक्ष्म शैवाल को भोजन का उत्पादन करने और कार्बन डाइ-ऑक्साइड को अवशोषित करने में सक्षम बनाता है।

अध्ययन के निहितार्थ:

  • पर्यावरणीय अनुकूलन:
    • रोडोप्सिन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि कैसे सूक्ष्म शैवाल समुद्र की बदलती परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित कर अन्योन्य क्रिया करते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर समुद्र के गर्म होने के हानिकारक प्रभावों को कम करने में सहायता कर सकता है।
    • यह ज्ञान उन पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित करने के लिये आवश्यक हो सकता है जो खाद्य स्रोत के रूप में सूक्ष्म शैवाल पर निर्भर हैं
  • जैव प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग:
    • यीस्ट जैसे गैर-प्रकाश-निर्भर रोगाणुओं की गतिविधि को बढ़ाने के लिये जैव प्रौद्योगिकी में इसी तरह के तंत्र को नियोजित किया जा सकता है। यह इंसुलिन, एंटीबायोटिक्स, एंज़ाइम, एंटीवायरल और जैव ईंधन सहित विभिन्न जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के उत्पादन में मूल्यवान हो सकता है।
  • वैश्विक कृषि:
    • ये निष्कर्ष भूमि-आधारित कृषि के साथ भी समानता रखते हैं, जहाँ पोषक तत्त्वों की कम उपलब्धता से फसल की उपज कम हो सकती है।
    • जिस प्रकार सूक्ष्म शैवाल बदलती परिस्थितियों के अनुकूलन हेतु रोडोप्सिन पर निर्भर होते हैं, उसी प्रकार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने हेतु फसल की अनुकूलन क्षमता में वृद्धि करने के लिये नवीन रणनीतियों का पता लगाने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक आहार शृंखला का सही क्रम है? (2014)

(a) डायटम-क्रस्टेशियाई-हेरिंग
(b) क्रस्टेशियाई-डायटम-हेरिंग
(c) डायटम-हेरिंग-क्रस्टेशियाई
(d) क्रस्टेशियाई-हेरिंग-डायटम

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • आहार शृंखला को विभिन्न पोषी स्तरों के जीवों के बीच संबंध के रूप में परिभाषित किया गया है जो आहार या ऊर्जा के लिये एक दूसरे पर निर्भर हैं। आहार शृंखला में ऊर्जा या भोजन का प्रवाह एकदिशात्मक और रैखिक क्रम में होता है। सर्वप्रथम पौधे सूर्य से ऊर्जा ग्रहण करते हैं और फिर आहार को उत्पादकों से अपमार्जकों में स्थानांतरित करते हैं।
  • डायटम एककोशिकीय शैवाल हैं जो प्रकाश संश्लेषण करते हैं तथा समुद्रों व महासागरों में पाए जाते हैं।
  • केकड़ा, झींगा, समुद्री झींगा आदि जीव क्रस्टेशियाई हैं तथा डायटम खाते हैं।
  • हेरिंग मछलियों की एक प्रजाति है जो क्रस्टेशियाई जीवों को खाती है।
  • इस प्रकार सही खाद्य शृंखला, डायटम → क्रस्टेशियाई → हेरिंग है। अतः विकल्प (a) सही है।