क्लीन फ्यूल हाइड्रोजन | 09 Feb 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (IIT-D) के शोधकर्त्ताओं द्वारा कम लागत पर जल से स्वच्छ ईंधन हाइड्रोजन उत्पन्न करने की एक तकनीक विकसित की गई है।

  • यह दुनिया भर में क्लीनर और ग्रीनर ऊर्जा स्रोतों की तलाश के लिये किये जा रहे प्रयासों के क्रम में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • हाइड्रोजन गैस जीवाश्म ईंधन के नवीकरणीय विकल्प के रूप में एक व्यवहार्य विकल्प है और प्रदूषण को कम करने के लिये उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकती है।

प्रमुख बिंदु

क्लीन फ्यूल हाइड्रोजन के बारे में:

  • आईआईटी-दिल्ली के शोधकर्त्ताओं ने औद्योगिक खपत के लिये कम लागत, स्वच्छ हाइड्रोजन ईंधन उत्पन्न करने हेतु सल्फर-आयोडीन (Sulphur-Iodine- SI) थर्मोकेमिकल हाइड्रोजन चक्र (SI Cycle) के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया द्वारा जल को सफलतापूर्वक विभाजित किया है।
  • सामान्यतः SI Cycle में ऑक्सीजन से हाइड्रोजन के पृथक्करण के लिये  गैर-नवीकरणीय स्रोतों जैसे- कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस की तुलना में उच्च मात्रा में ताप की आवश्यकता होती है। यह हाइड्रोजन गैस के बड़े पैमाने पर उत्पादन को आर्थिक रूप से गैर-व्यवहार्य और पर्यावरण के प्रतिकूल बनाता है।
  • गहन ऊर्जा, सल्फर-डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन के लिये सल्फ्यूरिक अम्ल  का रुपांतरण संक्षारक कदम के रूप में उपयुक्त उत्प्रेरक डिज़ाइन का विकास किया जाना मुख्य उपलब्धि रही।

सल्फर-आयोडीन चक्र

प्रक्रिया:

  • सल्फर-आयोडीन चक्र (SI चक्र) एक त्रि-चरणीय थर्मोकेमिकल चक्र है जिसका उपयोग हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये किया जाता है। इस चक्र में सभी रसायनों का पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। सल्फर-आयोडीन चक्र की प्रक्रिया को पर्याप्त ताप की आवश्यकता होती है।
  • ताप, हाइड्रोजन गैस प्राप्त करने के प्रारंभिक चरण में उच्च-तापमान एंडोथर्मिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं (High Temperature Endothermic Chemical Reactions) के चक्र में प्रवेश करता है और अंतिम चरण में सीमित तापमान एक्सोथर्मिक प्रतिक्रिया (Low-Temperature Exothermic Reaction) चक्र से बाहर निकलता है।

त्रि-चरणीय थर्मोकेमिकल चक्र

  • प्रथम चरण-  
    • सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) के साथ आयोडाइड (I2) की प्रतिक्रिया के बाद हाइड्रोडिक एसिड (Hydriodic acid- HI) और सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) का उत्पादन होता है।
      • I2 + SO2 + 2H2O → 2HI + H2SO4
  • द्वितीय चरण 
    • जल, SO2 और अवशिष्ट H2SO4 को हाइड्रोडिक एसिड (HI) प्राप्त करने के लिये संक्षेपण द्वारा ऑक्सीजन के अपघटन से अलग किया जाता है।
      • 2H2SO4  → 2SO2 + 2H2O + O2 
  • तृतीय चरण 
    • हाइड्रोडिक एसिड (HI) से हाइड्रोजन गैस (H2) प्राप्त की जाती है।
      • 2HI → I2 + H2
    • चक्र में प्रवेश करने और बाहर निकलने वाले ताप के मध्य का अंतर, उत्पादित हाइड्रोजन के दहन के ताप के रूप में चक्र से बाहर निकलता है।
  • सल्फर-आयोडीन चक्र की प्रमुख चुनौतियाँ जल और आयोडीन के अधिशेष को कम करना और पृथक्करण प्रक्रियाएँ हैं जो आसवन की तुलना में कम ऊर्जा का उपभोग करती हैं।
  • परंपरागत रूप से सल्फर-आयोडीन चक्र का विकास कई देशों द्वारा चौथी पीढ़ी के परमाणु रिएक्टरों के साथ हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये किया गया है।

खोज का महत्त्व:

  • हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी को बढ़ावा:
    • इस खोज के माध्यम से कम लागत वाले हाइड्रोजन की उपलब्धता के परिणामस्वरूप हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में वृद्धि और सुधार होगा जो विद्युत चालित वाहन, प्राथमिक और विभिन्न प्रकार की वाणिज्यिक व्यवस्था के लिये बैकअप पॉवर, औद्योगिक एवं आवासीय भवन और एयर टैक्सी जैसे फ्यूचरिस्टिक-साउंडिंग एप्लीकेशन के क्षेत्र में एक स्वच्छ तथा विश्वसनीय वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत का लाभ प्रदान करेगा।
      • हाइड्रोजन ईंधन सेल एक विद्युत रासायनिक जेनरेटर है जो उप-उत्पादों के रूप में ताप और जल का प्रयोग करके हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से विद्युत उत्पादन करता है।
  • उत्सर्जन लक्ष्य का पालन करने में सहायक
    • यह भारत को पेरिस जलवायु समझौते में अपनी प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (आईएनडीसी) लक्ष्य का पालन करने में मदद कर सकता है तथा यह सुनिश्चित कर सकता है कि भविष्य में शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
  • FAME इंडिया योजना का अनुपूरक:
    • यह हाइब्रिड/इलेक्ट्रिक वाहनों के बाज़ार के विकास और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के उद्देश्य से शुरू की गई FAME इंडिया योजना के कुशल कार्यान्वयन के पूरक का कार्य करेगा।

ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के लाभ:

  • पर्यावरण के अनुकूल:
    • हाइड्रोजन को एक ऊर्जा वाहक के रूप में उपयोग करने का लाभ यह है कि जब यह ऑक्सीजन के साथ जुड़ता है तो केवल जल और ऊष्मा ही उपोत्पाद होते हैं।
    • हाइड्रोजन ईंधन सेल के उपयोग से ग्रीनहाउस गैस या अन्य पार्टिकुलेट उत्पन्न नहीं होते हैं।
  • नॉन टॉक्सिक
    • हाइड्रोजन एक गैर-विषाक्त पदार्थ है जो ईंधन स्रोत के लिये दुर्लभ है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इससे मानव स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता है।
  • अत्यधिक कुशल:
    • हाइड्रोजन एक कुशल ऊर्जा रूप है क्योंकि इसमें डीज़ल या गैस की तुलना में प्रत्येक पाउंड ईंधन बहुत अधिक ऊर्जा क्षमता होती है।
  • आदर्श अंतरिक्षयान ईंधन:
    • हाइड्रोजन ऊर्जा की दक्षता और शक्ति इसे अंतरिक्षयान के लिये एक आदर्श ईंधन स्रोत बनाती है जो अन्वेषण मिशनों के लिये तीव्रता से रॉकेट भेजने में सक्षम है।

ईंधन के रूप में हाइड्रोजन से हानि 

  • गैस की तुलना में हाइड्रोजन में गंध का अभाव होता है, जो किसी भी रिसाव का पता लगाना लगभग असंभव बना देता है।
  • हाइड्रोजन एक अत्यधिक ज्वलनशील और वाष्पशील पदार्थ है, इसके संभावित खतरे के रूप में ढुलाई तथा भंडारण की गंभीर चुनौती देखी जाती है।

स्रोत:  द हिंदू