आंतरिक सुरक्षा
नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक और COVID-19
- 17 Apr 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:COVID-19, नागरिक सुरक्षा मेन्स के लिये:आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने हेतु नागरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों:
लद्दाख, दमन और दीव तथा पुदुचेरी को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने COVID-19 से निपटने हेतु 50,000 से अधिक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को तैनात किया है।
प्रमुख बिंदु:
- राजस्थान, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और असम में सबसे ज्यादा नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में ज़िलाधिकारी के अधीन तैनात ये नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक (Civil Defence Volunteers) COVID-19 के दिशा-निर्देशों और नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु स्थानीय प्रशासन की मदद कर रहे हैं।
- स्वयंसेवक ब्लॉक स्तर तक सरकार की नीतियों, सुविधाओं और सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं।
स्वयंसेवकों का योगदान:
- प्रवासी श्रमिकों/अन्य व्यक्तियों के लिये सामुदायिक रसोई (Community Kitchens) और आश्रयों की स्थापना करना।
- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protection Equipment- PPE), मास्क, सैनिटाइज़र का वितरण करना।
- स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं की मदद तथा सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और स्वच्छता संबंधी मुद्दे के बारे में लोगों को जागरूक करना।
- राशन वितरण, दवा, चिकित्सा उपकरण इत्यादि की आपूर्ति में मदद करना।
- COVID-19 से संक्रमित लोगों की पहचान कर उन्हें एकांत में रखना।
नागरिक सुरक्षा (Civil Defence) के बारे में:
- नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक ‘नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968’ और संबंधित नियमों और विनियमों के तहत कार्य करते हैं।
- नागरिक सुरक्षा का कार्य आपातकालीन परिस्थितियों से तत्काल निपटना, जनता की रक्षा करना, आपदा से नष्ट या क्षतिग्रस्त हुए सेवाओं और सुविधाओं को बहाल करना इत्यादि है।
- नागरिक सुरक्षा (संशोधन) अधिनियम, 2009 के द्वारा ‘नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों’ को अतिरिक्त भूमिका के रूप में आपदा प्रबंधन के तहत शामिल किया गया था।
- नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 की धारा 4 के तहत राज्य सरकार स्थानीय प्रशासन की मदद करने हेतु नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों से कार्य ले सकती है।
- नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक ज़िला मजिस्ट्रेट/ज़िला कलेक्टर या उपायुक्त के अधीन कार्य करते हैं।
- उद्देश्य:
- लोगों की रक्षा करना, आपदा के दौरान संपत्ति को नुकसान होने से बचाना, उत्पादन की निरंतरता बनाए रखना, लोगों का मनोबल ऊँचा रखना इत्यादि।
- युद्ध और आपातकालीन स्थितियों के दौरान आतंरिक क्षेत्रों की रक्षा करना, सशस्त्र बलों की सहायता करना, नागरिकों को लामबंद करना और प्रशासन की मदद करना।
- परमाणु हथियार, जैविक और रासायनिक युद्ध तथा प्राकृतिक/मानव निर्मित आपदाओं के दौरान लोगों की रक्षा करना।
- केंद्र द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता:
- केंद्र सरकार द्वारा नागरिक सुरक्षा (Civil Defence) हेतु उत्तर-पूर्वी राज्यों (असम को छोड़कर) के लिये कुल वार्षिक व्यय का 50% तथा अन्य राज्यों (असम को शामिल करते हुए) को कुल वार्षिक व्यय की 25% आर्थिक सहायता दी जाती है।