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सामाजिक न्याय

हैजा के जीवाणु

  • 18 Sep 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (Translational Health Science and Technology Institute) के डॉक्टरों द्वारा किये गए परीक्षण के अनुसार, हैजा पैदा करने वाले जीवाणुओं (विब्रियो कॉलेरी- Vibrio cholerae) ने एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ (Proceedings of the National Academy of Sciences- PNAS) नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि डॉक्टरों द्वारा किये गए परीक्षण में 99% जीवाणुओं ने दो या दो से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं के मामले में प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
  • अध्ययन के अनुसार, 17% जीवाणुओं ने 10 से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं और 7.5% जीवाणुओं ने 14 से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं के लिये प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
  • सल्फाथेक्सोज़ोल (Sulfamethaxozole) एंटीबायोटिक के लिये उच्चतम प्रतिरोध 99.8% देखा गया, वहीं सबसे कम केवल 4% प्रतिरोध निओमाइसिन (Neomycin) के लिये देखा गया है।
  • डॉक्टरों की टीम ने वर्ष 1980, 2000, 2014 और 2015 के दौरान अलग-अलग जीवाणुओं के जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing) का अध्ययन करते हुए यह पाया कि समय के साथ एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से ही जीवाणुओं ने, इनके लिये प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
  • जीवाणुओं ने वर्ष 2014-2015 तक सामान्यतः इस्तेमाल किये जाने वाले सभी एंटीबायोटिक दवाओं के लिये बड़े पैमाने पर दवा प्रतिरोधी (Extensively Drug Resistant- XDR) बना लिये हैं और अभी भी बहुत सारे जीवाणु कार्यात्मक स्थिति में हैं।
  • प्रतिरोधी जीन आनुवंशिक रूप से विभिन्न गतिशील आनुवंशिक तत्त्वों से जुड़े होते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रतिरोध तेज़ गति से स्थानांतरण के माध्यम से बहुत आसानी से अन्य बैक्टीरिया प्रजातियों में फैल सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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