अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-चीन रक्षा मंत्रालय स्तरीय बैठक
- 09 Sep 2020
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प्रिलिम्स के लिये:शंघाई सहयोग संगठन मेन्स के लिये:भारत चीन संबंध |
चर्चा में क्यों
4 सितंबर 2020 को मास्को (रूस) में भारत-चीन के मध्य शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के समय रक्षा मंत्री स्तर की बैठक हुई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक का महत्त्व: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सीमा विवाद के शुरू होने के बाद से भारत और चीन के मध्य यह पहली उच्च स्तरीय राजनीतिक आमने-सामने की बैठक हुई।
- भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सभी बिंदुओं पर यथास्थिति की बहाली के लिये ज़ोर दिया और सैनिकों की शीघ्र वापसी के लिये आह्वान किया।
- पृष्ठभूमि:
- भारतीय और चीनी सेनाएँ पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध की स्थिति में हैं।
- पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर कार्रवाई न केवल क्षेत्रीय लाभ के लिये है, बल्कि इस संसाधन-समृद्ध झील पर अधिक वर्चस्व से संबंधित विवाद है।
- पैंगोंग त्सो को ऊपरी तौर पर फिंगर एरिया के रूप में देखा जाता है - सिरिजाप श्रृंखला (झील के उत्तरी किनारे पर) से विस्तृत आठ चट्टानों का एक समूह।
- हाल के वर्षों में भारत ने जो बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शुरू की हैं, उसके कारण लद्दाख की गलवान घाटी में गतिरोध बढ़ गया है। भारत एक रणनीतिक महत्त्व की सड़क, दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) का निर्माण कर रहा है जो गलवान घाटी के माध्यम से चीन के नज़दीकी क्षेत्र को हवाई पट्टी से जोड़ती है।
- चीन क्षेत्र में किसी भी भारतीय निर्माण का विरोध करता है। गलवान क्षेत्र में एक गतिरोध वर्ष 1962 के युद्ध के सबसे बड़े उत्तेजक कारणों में से एक था।
- भारतीय और चीनी सेनाएँ पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध की स्थिति में हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा
- LAC वह सीमांकन है जो भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करती है। भारत LAC को 3,488 किमी. लंबा मानता है, जबकि चीन इसे लगभग 2,000 किमी. लंबा मानता है।
- इसे तीन क्षेत्रों में बाँटा गया है:
- पूर्वी क्षेत्र जो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में नियंत्रण रेखा का सीमांकन करता है।
- मध्य क्षेत्र उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ।
- लद्दाख में पश्चिमी क्षेत्र।
- लद्दाख में भारत-चीन LAC वर्ष 1962 के युद्ध के बाद चीन द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमित किये गये क्षेत्र का एक परिणाम है।
SCO में भारत का वक्तव्य
- शांति एवं समृद्धि: भारत ने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के मध्य शांतिपूर्ण, स्थिर एवं सुरक्षित क्षेत्र पर बल दिया।
- इस क्षेत्र में समृद्धि एवं स्थिरता, विश्वास और सहयोग, गैर-आक्रामकता, अंतर्राष्ट्रीय नियमों के प्रति सम्मान, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता तथा मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान की माँग करती हैं।
- भारत एक वैश्विक सुरक्षा ढाँचे के विकास के लिये प्रतिबद्ध है जो मुक्त, पारदर्शी, समावेशी, नियम आधारित एवं अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार होगा।
- क्षेत्रीय स्थिति
- अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति
- एससीओ सदस्य देशों के मध्य औपचारिक समझौते पर पहुँचने के लिये अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह उपयोगी है।
- वर्ष 2005 में इसकी कल्पना की गई थी और वर्ष 2017 में उप विदेश मंत्रियों के स्तर पर इसे कार्रवाई के लिये लाया गया था।
- यह समूह सुरक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों में सहयोग बढ़ाने के लिये संयुक्त कार्यों की परिकल्पना करता है।
- खाड़ी क्षेत्र: भारत ने खाड़ी देशों से "आपसी सम्मान, संप्रभुता एवं एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप" पर आधारित संवाद द्वारा उनके मध्य मतभेदों को हल करने का आह्वान किया।
- आतंकवाद: भारत आतंकवाद के सभी रूपों एवं आविर्भाव की निंदा करता है, और आतंकवाद प्रस्तावकों की निंदा करता है तथा भारत पारंपरिक, गैर-पारंपरिक दोनों खतरों से निपटने के लिये संस्थागत क्षमता का निर्माण करने की आवश्यकता पर बल देता है - इन सबसे भी ऊपर भारत आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय अपराध पर बल देता है।
शंघाई सहयोग संगठन
- इसका गठन वर्ष वर्ष 2001 में हुआ था और इसका मुख्यालय बीजिंग, चीन में है।
- भौगोलिक विस्तार: एससीओ एक महत्त्वपूर्ण संगठन है जिसका एक विशाल भौगोलिक विस्तार है और मध्य एशिया, दक्षिण-एशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- यह एक प्रमुख यूरेशियाई संगठन है जो विश्व की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह एक स्थायी अंतर सरकारी संगठन है।
- सदस्य राष्ट्र: एससीओ में भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित आठ सदस्य राष्ट्र हैं एवं चार पर्यवेक्षक राष्ट्र- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं।
- रूस के आग्रह पर भारत वर्ष 2017 में एससीओ में शामिल हुआ और चीन ने पाकिस्तान के प्रवेश के साथ एससीओ में भारत के प्रवेश को संतुलित किया।
- स्थायी निकाय: संगठन के दो स्थायी निकाय हैं - बीजिंग (चीन) स्थित SCO सचिवालय और ताशकंद (उजबेकिस्तान) में स्थित क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (RATS) की कार्यकारी समिति।
- महत्त्व: इसमें उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन को संतुलित करने की क्षमता है।
- अधिदेश: SCO का एक उभरता अधिदेश है जो इसके आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन होने के कारण शुरू हुआ।
आगे की राह
- अप्रैल 2020 में, भारत और चीन ने अपने 70 साल के राजनयिक संबंधों को पूरा किया। दोनों पक्षों को स्वीकार करना चाहिये कि स्थिति संकटपूर्ण है, और विशेष रूप से हाल के दिनों में विश्वास-योग्य तंत्र के दशकों का श्रम व्यर्थ हुआ है।
- एससीओ के मंच के माध्यम से, भारत के पास भारतीय विदेश नीति के वास्तविक मूल्यों को उजागर करने का एक स्पष्ट अवसर है।