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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन, जापान और दक्षिण कोरिया त्रिपक्षीय बैठक

  • 26 Dec 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी

मेन्स के लिये:

एशियाई देशों के संबंधों का भारत पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

दक्षिण कोरिया, जापान और चीन नें 24 दिसंबर, 2019 को चीन में एक त्रिपक्षीय बैठक में हिस्सा लिया, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य व्यापार और क्षेत्रीय शांति (विशेषतः कोरियाई प्रायद्वीप के संबंध में) पर चर्चा करना था।

मुख्य बिंदु :

  • व्यापारिक जटिलताओं, सैन्य हलचल और ऐतिहासिक शत्रुता के बीच तीनों देशों की यह बैठक व्यापार और क्षेत्रीय शांति के लिये महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है।

तीनों देशों के ऐतिहासिक संबंध

  • जापान और दक्षिण कोरिया:
    • 20वीं शताब्दी के जापानी उपनिवेश के दौर से चला आ रहा तनाव वर्ष 2019 में दोनों देशों के संबंधों पर कुछ अधिक ही हावी रहा, दोनों देशों में व्यापार और सैन्य सहयोग के क्षेत्र में तनाव देखने को मिला।
    • नवंबर माह में अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद यह तनाव कुछ कम हुआ लेकिन दक्षिण कोरिया ने जापान के साथ एक महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय सैन्य सूचना समझौते से स्वंय को अलग कर लिया, उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और क्षेत्र में बढ़ते चीनी हस्तक्षेप के बीच यह एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौता माना जा रहा था।
    • जापान द्वारा दक्षिण कोरिया के साथ कई महत्त्वपूर्ण रसायनों के निर्यात में लगाए गए प्रतिबंध पर फिर से वार्ता शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया, दक्षिण कोरिया इन रसायनों का प्रयोग कंप्यूटर चिप और स्मार्टफोन बनाने में करता है।
    • जापान ने यह प्रतिबंध दक्षिण कोरिया के एक न्यायालय के आदेश के बाद लगाया था जिसमें द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान दक्षिण कोरियाई कामगारों से जबरन मज़दूरी कराए जाने के लिये जापानी कंपनियों को मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया था। 20 दिसंबर, 2019 को जापान ने एक रसायन के निर्यात पर प्रतिबंधों में छूट देने की घोषणा की है।
    • दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन (Moon Jae-in) और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) के बीच क्रिसमस की पूर्व संध्या पर त्रिपक्षीय वार्ता से अलग एक द्विपक्षीय बैठक हुई।
  • चीन और दक्षिण कोरिया :
    • सियोल द्वारा अमेरिकी एंटी- मिसाइल सिस्टम को अपने देश में अपनाए जाने के बाद चीन और दक्षिण कोरिया के व्यापारिक रिश्तों में तनाव देखा गया।
    • चीन ‘THAAD’(Terminal High Altitude Area Defense) को अपनी संप्रभुता के लिये खतरा मानता है। चीन के अनुसार, दक्षिण कोरिया द्वारा इस तंत्र को अपनाने का उद्देश्य चीन की सीमा में हस्तक्षेप करना है।
    • चीन ने इसका विरोध करते हुए दक्षिण कोरिया जाने वाले चीनी पर्यटक समूहों के दौरों को स्थगित कर दिया। सभी कोरियाई टीवी कार्यक्रमों तथा अन्य सांस्कृतिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही चीन में दक्षिण कोरियाई व्यापार श्रंखला लोट्टे (Lotte) को भी प्रतिबंधित किया।
    • Lotte ने ही कोरिया में THAAD के लिये ज़मीन उपलब्ध कराई थी।
    • दक्षिण कोरिया ने जापान और कोरिया के बीच समुद्री क्षेत्र में बढ़ती चीनी-रूसी हवाई गश्तों का भी विरोध किया। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन ये हवाई गश्त अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच सैन्य सहयोग की मज़बूती का परीक्षण करने के लिये करता है।
    • दक्षिण कोरिया ने वर्ष 2020 में अपने देश में चीनी राष्ट्रपति का दौरा सुनिश्चित करने के प्रति उत्सुकता दिखाई है।
  • जापान और चीन :
    • जापान के साथ चीनी संबंध किसी अन्य राष्ट्र के मुकाबले अधिक शत्रुतापूर्ण रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दोनों के रिश्तों में महत्त्वपूर्ण सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, जिसका कुछ श्रेय अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को भी जाता है।
    • वर्ष 2020 के प्रारंभिक महीनों में ही चीनी राष्ट्रपति के जापान दौरे की तैयारियाँ जोरों पर हैं। राजनीतिक असहमतियों को पीछे रख कर दोनो देशों ने कई मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता की इच्छा जाहिर की है।
    • जापान उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और परमाणु कार्यक्रमों के साथ क्षेत्र में बढ़ती चीन की समुद्री गतिविधियों और सैन्य नवीनीकरण को खतरे के रूप में देखता है।
    • जापान ने इसका जवाब अपनी प्रतिरक्षा क्षमता में वृद्धि कर तथा चीन के प्रतिद्वंदी भारत एवं अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ सैन्य और व्यापार समझौते के साथ दिया है।

बैठक का परिणाम:

  • बैठक के पश्चात साझा वक्तव्य में तीनों देशों ने कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु निशस्त्रीकरण और स्थायी शांति के लिये संवाद और सहयोग जारी रखने पर सहमति जताई।
  • साथ ही कोरियाई प्रायद्वीप में शांति सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता को दोहराया।
  • क्योंकि तीनों ही देश RCEP (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) के सदस्य हैं इसलिए इस त्रिपक्षीय बैठक में हुए समझौते इन देशों के संबंधों के साथ-साथ RCEP को सफल बनाने में सहायक सिद्ध होंगें।

स्रोत: द हिन्दू

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