अंतर्राष्ट्रीय संबंध
श्रीलंका में चीन की नई परियोजना
- 10 Feb 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक चीनी कंपनी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम से 45 किमी. दूर उत्तरी जाफना प्रायद्वीप के तीन श्रीलंकाई द्वीपों पर हाइब्रिड पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने के लिये एक अनुबंध प्राप्त कर लिया है।
- पाक जलडमरूमध्य (Palk Strait) में तीन द्वीपों डेल्फ्ट, नैनातिवु और अनलातिवु में स्थित इस परियोजना का वित्तपोषण एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
द्वीपों के बारे में
- डेल्फ्ट, तीन द्वीपों में से सबसे बड़ा है और रामेश्वरम, तमिलनाडु के सबसे करीब है, यह श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
- यहाँ दोनों के बीच कच्छतिवु नाम का एक छोटा द्वीप भी स्थित है, जिसे भारत ने वर्ष 1974 में श्रीलंका को सौंप दिया था।
- इन द्वीपों के आसपास का जलीय क्षेत्र तमिलनाडु और जाफना के मछुआरों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
- यह विषय दशकों से दोनों देशों के द्विपक्षीय एजेंडे में शामिल है।
- भारत और श्रीलंका ने वर्ष 2016 में मछुआरों के मुद्दों को हल करने के लिये एक स्थायी तंत्र के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और श्रीलंका के मत्स्य एवं जलीय संसाधन विकास मंत्रालय के बीच मत्स्य पालन पर एक संयुक्त कार्यकारी समूह (JWG) की स्थापना की थी।
श्रीलंका का पक्ष
- श्रीलंका के मुताबिक, इस निर्णय के लिये श्रीलंका को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि यह परियोजना एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा समर्थित है, जिसने स्वयं के दिशा-निर्देश स्थापित किये हैं, उधारकर्त्ता के लिये इनका पालन करना अनिवार्य है।
भारत की चिंताएँ
- भारतीय तट रेखा से परियोजना की निकटता
- भारतीय जलीय क्षेत्र में चीन की उपस्थिति भारत के लिये चिंता का विषय मानी जा सकती है, खासतौर पर ऐसे समय में जब भारत-चीन सीमा पर पहले से गतिरोध और तनाव जारी है।
- यह समझौता ऐसे समय में किया जा रहा है जब लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर जारी गतिरोध का स्थायी समाधान प्राप्त होना शेष है।
- ज्ञात हो कि हाल ही में श्रीलंका की सरकार ने पूर्वी कंटेनर टर्मिनल (ECT) के लिये भारत और जापान के साथ किये गए अनुबंध को रद्द कर दिया है।
- भारत, श्रीलंका और जापान द्वारा हस्ताक्षरित इस त्रिपक्षीय समझौते के तहत पूर्वी कंटेनर टर्मिनल (ECT) को विकसित करने की बात की गई थी, जो कि कोलंबो बंदरगाह के नव विस्तारित दक्षिणी भाग में स्थित है।
- भारत के लिये पूर्वी कंटेनर टर्मिनल (ECT) सौदा इस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण था कि इसके माध्यम से होने वाले लगभग 70 प्रतिशत ट्रांसशिपमेंट भारत से जुड़े हुए थे। कोलंबो पोर्ट में किसी भी अन्य टर्मिनल की तुलना में पूर्वी कंटेनर टर्मिनल को रणनीतिक दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
भारत का पक्ष
- भारत सरकार ने चीन की कंपनी को अनुबंध दिये जाने पर श्रीलंका की सरकार के समक्ष मज़बूती के साथ विरोध दर्ज किया है।
- वर्ष 2018 में भारत ने युद्ध प्रभावित क्षेत्रों के लिये चीन की 300 मिलियन डॉलर की आवासीय परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें श्रीलंका की पूर्व सरकार ने पुनर्वास मंत्रालय पर ‘अपारदर्शी’ तरीके से बोली प्रक्रिया को संपन्न करने का आरोप लगाया था।
- इस परियोजना को अंततः बंद कर दिया गया था।
- वर्ष 2018 में भारत ने युद्ध प्रभावित क्षेत्रों के लिये चीन की 300 मिलियन डॉलर की आवासीय परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें श्रीलंका की पूर्व सरकार ने पुनर्वास मंत्रालय पर ‘अपारदर्शी’ तरीके से बोली प्रक्रिया को संपन्न करने का आरोप लगाया था।
दक्षिण एशिया में चीन का बढ़ता प्रभाव
हाल के प्रयास
- जनवरी 2021 में चीन ने कोरोना वायरस महामारी से मुकाबला करने और अपने आर्थिक एजेंडे के समन्वयन के लिये दक्षिण एशिया के देशों के साथ मिलकर वर्चुअल माध्यम से तीसरा बहुपक्षीय संवाद आयोजन किया था।
अन्य पहलें
- ‘अमेरिकन इंटरप्राइज़ इंस्टीट्यूट’ के चाइना ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रैकर’ के मुताबिक, चीन ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका की अर्थव्यवस्थाओं में लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार किया है।
- चीन अब मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है।
भारत के लिये चिंताएँ
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
- पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ता सहयोग।
- नेपाल और चीन के बीच बढ़ता संपर्क।
- दक्षिण एशियाई देशों द्वारा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को स्वीकृति।
- दक्षिण एशिया में नेतृत्त्वकारी भूमिका
- दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन की स्थिति में लगातार वृद्धि होती जा रही है और दक्षिण एशिया में विभिन्न देशों द्वारा चीन को एक मार्गदर्शक के रूप में स्वीकार किया जा रहा है।
- आर्थिक चिंताएँ
- बीते एक दशक में चीन ने भारत को कई दक्षिण एशियाई देशों के प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में प्रतिस्थापित किया है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2008 में मालदीव के साथ भारत का व्यापार चीन की तुलना में 3.4 गुना अधिक था, किंतु 2018 तक मालदीव के साथ चीन का कुल व्यापार भारत से थोड़ा अधिक था।
- बांग्लादेश के साथ चीन का व्यापार अब भारत की तुलना में लगभग दोगुना हो गया है। यद्यपि नेपाल और श्रीलंका के साथ चीन का व्यापार अभी भी भारत की तुलना में कम है, किंतु व्यापार का अंतर फिलहाल काफी कम हो गया है।
आगे की राह
- भारत के पास चीन के समान आर्थिक क्षमता मौजूद नहीं है। इसलिये यह आवश्यक है कि भारत इन देशों के विकास के लिये चीन के साथ सहयोग करे, ताकि विकास का लाभ सामूहिक रूप से दक्षिण एशिया तक पहुँचे। इसके अलावा भारत को उन देशों में निवेश करना चाहिये, जहाँ अभी तक चीन का हस्तक्षेप काफी कम है।
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के विस्तार योजनाओं की कड़ी निंदा करने के साथ-साथ, भारत को पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने के लिये अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक संबंधों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।