अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चीन-पाकिस्तान सैन्य संबंध और भारत
- 26 Aug 2020
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प्रिलिम्स के लियेटाइप-054 श्रेणी के युद्धपोत, जेएफ -17 मल्टी-रोल लड़ाकू विमान मेन्स के लियेचीन-पाकिस्तान सैन्य संबंध और भारत पर उसके प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन ने एक समारोह के दौरान पाकिस्तानी नौसेना के लिये निर्मित एक उन्नत नौसैनिक युद्धपोत लॉन्च किया है। यह चीन द्वारा किसी देश के लिये बनाया गया सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धपोत है।
प्रमुख बिंदु
- यह युद्धपोत उन चार सबसे उन्नत नौसैनिक युद्धपोतों में से एक है, जो चीन द्वारा पाकिस्तान की नौसेना के लिये तैयार किया गया है।
- ध्यातव्य है कि पाकिस्तान ने चीन की एक कंपनी चाइना शिपबिल्डिंग ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड (CSTC) के साथ टाइप-054 श्रेणी के युद्धपोतों को खरीदने हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
- वर्ष 2021 तक पाकिस्तान की नौसेना में इसी श्रेणी के तीन और युद्धपोत शामिल हो जाएंगे।
टाइप-054 श्रेणी का युद्धपोत
- नवीनतम सतही हथियारों, ऐंटी-एयर हथियार प्रणाली, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम और सेंसर्स आदि से लैस टाइप-054 श्रेणी का यह युद्धपोत पाकिस्तान नौसेना के पास उपलब्ध तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों में से एक होगा।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि टाइप-054 श्रेणी के युद्धपोत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (People’s Liberation Army Navy-PLAN) में कार्यरत सबसे बेहतर युद्ध पोतों में से एक है।
- टाइप-054A श्रेणी का युद्धपोत एक मल्टी-रोल वाला युद्धपोत है, जिसे चीन की नौसेना के सतही बेड़े का आधार माना जाता है।
निहितार्थ:
- चीन-पाकिस्तान संबंधों में मज़बूती: टाइप-054 श्रेणी के इस युद्धपोत के लॉन्च होने से पाकिस्तान और चीन के रक्षा संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है।
- युद्धक क्षमता में वृद्धि: इस प्रकार के उन्नत युद्धपोत के अधिग्रहण से पाकिस्तानी नौसेना के सतही बेड़े की युद्धक क्षमता में काफी अधिक वृद्धि होगी।
- सैन्य निर्यात के लिये बड़ी उपलब्धि: विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन द्वारा किसी भी विदेशी नौसेना को बेचा गया यह सबसे बड़ा युद्धक जहाज़ चीन के सैन्य निर्यात क्षेत्र के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- भारत के लिये सुरक्षा चुनौती: गौरतलब है कि वर्तमान में भारत, सीमा विवादों एवं जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से चीन तथा पाकिस्तान के साथ संबंधों में तनाव का सामना कर रहा है।
- पाकिस्तान द्वारा चीन से इस प्रकार का उन्नत युद्धपोत खरीदना भारत के लिये सुरक्षा की दृष्टि से काफी चिंताजनक हो सकता है, ऐसे में भारत अपने दोनों पड़ोसियों के बीच सैन्य सहयोग पर बारीकी से नजर रखेगा।
चीन-पाकिस्तान सैन्य संबंध
- बीते दो दशकों में चीन और तुर्की के साथ पाकिस्तान के सैन्य संबंधों ने एक नया आयाम प्राप्त किया है, और पाकिस्तान के साथ दोनों देशों के संबंधों में सैन्य उपकरण आदि केंद्र में आ गए हैं।
- गौरतलब है कि चीन, पाकिस्तान के प्राथमिक रक्षा साझीदारों में से रहा है और आँकड़ों के अनुसार, चीन ने वर्ष 2008 से वर्ष 2012 के बीच पाकिस्तान के रक्षा आयात भंडार में तकरीबन 70 प्रतिशत का योगदान दिया था।
- पिछले दशक में चीन और पाकिस्तान के ये सैन्य संबंध और अधिक मज़बूत हुए हैं, और इन्ही संबंधों का परिणाम है कि चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से उन्नत लड़ाकू क्षमताओं के साथ विकसित जेएफ -17 मल्टी-रोल लड़ाकू विमान के नए संस्करण ने दिसंबर, 2019 में अपनी पहली उड़ान भरी थी।
- ध्यातव्य है कि चीन ने वर्ष 2008 में पाकिस्तान को घातक ए-100 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (A-100 Multiple Rocket Launcher) की पहली इकाई भी बेची थी।
भारत के लिये गंभीर खतरा
- गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव काफी बढ़ गया है, वहीं पाकिस्तान के साथ तो भारत के संबंधों में पहले से ही तनाव मौजूद है।
- भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बीते दिनों तब देखने को मिला था, जब जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति की पहली वर्षगांठ पर चीन ने पाकिस्तान का साथ देते हुए न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council-UNSC) में जम्मू-कश्मीर की स्थिति का मुद्दा उठाया था।
- ऐसे में चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य संबंध भारत के लिये सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक गंभीर खतरा बन सकते हैं, ऐसी स्थिति में आवश्यक यही है कि सरकार चीनी सैन्य क्षमताओं का निरंतर मूल्यांकन करे और उसी के अनुसार अपनी प्रतिक्रियाओं को आकार दे। साथ ही सरकार को सतर्क रहने की ज़रूरत है।