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भारतीय अर्थव्यवस्था

चीन: भारत का शीर्ष व्यापार साझेदार

  • 25 Feb 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

वाणिज्य मंत्रालय के अनंतिम आँकड़ों के मुताबिक, चीन ने सीमा पर मौजूद तनाव के बीच वर्ष 2020 में एक बार पुनः भारत के शीर्ष व्यापार भागीदार के रूप में स्थान प्राप्त कर लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • शीर्ष व्यापार भागीदार के रूप में चीन
    • डेटा: भारत और चीन के बीच वर्ष 2020 में कुल 77.7 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
      • वहीं वर्ष 2019 में भारत और चीन के बीच कुल 85.5 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
    • अमेरिका का विस्थापन: हालिया आँकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के बीच वस्तुओं की मांग में कमी के बावजूद चीन ने भारत के प्रमुख व्यापार भागीदार के रूप में अमेरिका को विस्थापित कर दिया है।
      • वर्ष 2020 में भारत और अमेरिका के बीच कुल 75.9 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
    • चीन से आयात: 58.7 बिलियन डॉलर का चीन से होने वाला कुल आयात, भारत द्वारा अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से संयुक्त तौर पर की गई कुल खरीद से भी अधिक था, जो कि भारत के क्रमशः दूसरे और तीसरे सबसे बड़े व्यापार भागीदार हैं।
    • चीन को निर्यात: भारत चीन के साथ अपने निर्यात को बीते वर्ष की तुलना में केवल 11 प्रतिशत बढ़ाने में सक्षम रहा है और चीन को होने वाला भारत का निर्यात 19 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है।
    • व्यापार घाटा: वर्ष 2020 में चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटा लगभग 40 बिलियन डॉलर रहा, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है।
      • किसी देश का व्यापार घाटा उस स्थिति को दर्शाता है, जिसमें किसी अन्य देश के साथ उस देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है।
  • विश्लेषण
    • महामारी के बीच चीन के साथ चिकित्सा आपूर्ति के आयात में हो रही बढ़ोतरी को चीन के शीर्ष व्यापार साझेदार के रूप में उभरने के प्रमुखों कारणों में से एक माना जा रहा है।
    • ऐसा देखा गया है कि चीन विरोधी माहौल के बीच भी भारतीय ऑनलाइन क्रेता चीन के मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को पसंद कर रहे हैं।
      • अमेज़न के प्राइम डे 2020 डेटा के अनुसार, वनप्लस, ओप्पो, हुआवे और श्याओमी भारत में सबसे अधिक बिकने वाले स्मार्ट फोन ब्रांडों में शामिल थे।
    • इसके अलावा चीन में निर्मित भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और घरेलू उपकरणों पर भारत बहुत अधिक निर्भर है।
    • भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार में ऐसे समय में वृद्धि दर्ज की जा रही है, जब दोनों देशों के बीच सीमा पर विवाद चल रहा है और भारत सरकार द्वारा विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर ज़ोर दिया जा रहा है, ऐसे में ये आँकड़े सरकार के प्रयासों पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं।
  • चीन पर आयात निर्भरता कम करने हेतु किये गए उपाय
    • एप्स पर प्रतिबंध: बीते दिनों सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए 100 से अधिक चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था।
    • जाँच एवं निगरानी में बढ़ोतरी: सरकार द्वारा कई क्षेत्रों में चीन से आने वाले निवेश की जाँच और निगरानी को बढ़ा दिया है, साथ ही चीन की कंपनियों को 5G परीक्षणों में हिस्सा न लेने देने पर भी विचार किया जा रहा है।
    • अवसरवादी अधिग्रहण पर अंकुश: सरकार ने हाल ही में घरेलू कंपनियों के ‘अवसरवादी अधिग्रहण’ पर अंकुश लगाने के लिये भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश हेतु पूर्व मंज़ूरी प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया है, इस कदम का प्राथमिक उद्देश्य चीन से आने वाले विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पर प्रतिबंध लगाना है।
    • आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 12 क्षेत्रों की पहचान की है, जिनमें भारत को वैश्विक आपूर्तिकर्त्ता बनाने और आयात बिल में कटौती करने का लक्ष्य रखा गया है, इसमें खाद्य प्रसंस्करण, जैविक कृषि, लोहा, एल्यूमीनियम और ताँबा, कृषि रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक मशीनरी, फर्नीचर, चमड़ा और जूते, ऑटो पार्ट्स, वस्त्र, मास्क, सैनिटाइज़र और वेंटिलेटर आदि शामिल हैं।
      • APIs (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स) के लिये चीन पर आयात निर्भरता में कटौती करने हेतु सरकार ने मार्च 2020 में देश में ड्रग्स और चिकित्सा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये 13,760 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ चार योजनाओं वाले पैकेज को मंज़ूरी दी थी।

आगे की राह

  • भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ अपने सभी संबंधों, विशेष तौर पर आर्थिक संबंधों को खराब नहीं कर सकता है। चीन के निवेशकों द्वारा किया जाने वाला वित्तपोषण भारत की स्टार्टअप अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
  • भारत को चीन के संबंध में किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पूर्व काफी सोच-विचार करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिये भारत, दूरसंचार क्षेत्र में चीनी कंपनियों की भागीदारी पर अंकुश लगा सकता है, विशेष रूप से 5G परीक्षण को लेकर, हालाँकि यह भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि भारत के 4G नेटवर्क की मौजूदा बुनियादी अवसंरचना में एक बड़ा हिस्सा चीन का है, इसलिये भारत को अभी भी रखरखाव और सर्विसिंग के लिये चीन की कंपनियों की आवश्यकता होगी।
  • ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के माध्यम से भारत सरकार उन क्षेत्रों में चीन की कंपनियों को घरेलू उत्पादों के साथ प्रतिस्थापित कर सकती है, जहाँ ऐसा किया जाना संभव है। इसके अलावा, भारत को अन्य देशों के साथ भी अपने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने की ज़रूरत है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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