दुर्लभ मृदा तत्त्व प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर चीन का प्रतिबंध | 25 Dec 2023
प्रिलिम्स के लिये:चीन द्वारा दुर्लभ मृदा तत्त्व प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर प्रतिबंध, दुर्लभ मृदा तत्त्व, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएँ, आवर्त सारणी, चुंबक उत्पादन मेन्स के लिये:चीन ने दुर्लभ मृदा तत्त्व प्रौद्योगिकियों, दुर्लभ मृदा तत्त्व के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और भारत में इसका उत्पादन बढ़ाने के लिये क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता है। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन ने दुर्लभ मृदा तत्त्वों के निष्कर्षण एवं पृथक्करण के लिये प्रौद्योगिकी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि इसने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण मानी जाने वाली प्रौद्योगिकियों की सूची में बदलाव किया है।
- इसने दुर्लभ मृदा तत्त्व और मिश्र धातु सामग्री के लिये उत्पादन तकनीक के निर्यात के साथ-साथ कुछ दुर्लभ मृदा तत्त्व चुंबक तैयार करने की तकनीक पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
- यह कदम तब उठाया गया है जब यूरोप और अमेरिका चीन से दुर्लभ मृदा तत्त्वों को दूर करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं, जो वैश्विक परिष्कृत उत्पादन का 90% हिस्सा है।
दुर्लभ मृदा तत्त्व क्या हैं?
- वे सत्रह धात्विक तत्त्वों का एक समूह हैं। इनमें स्कैंडियम और यट्रियम के अलावा आवर्त सारणी पर पंद्रह लैंथेनाइड्स शामिल हैं जो लैंथेनाइड्स के समान भौतिक एवं रासायनिक गुण प्रदर्शित करते हैं।
- 17 दुर्लभ मृदा तत्त्व हैं: सेरियम (Ce), डिस्प्रोसियम (Dy), अर्बियम (Er), युरोपियम (Eu), गैडोलीनियम (Gd), होल्मियम (Ho), लैंथेनम (La), ल्यूटेटियम (Lu), नियोडिमियम (Nd), प्रेज़ोडायमियम (Pr), प्रोमेथियम (Pm), समैरियम (Sm), स्कैंडियम (Sc), टेरबियम (Tb), थ्यूलियम (Tm), येटरबियम (Yb) और येट्रियम (Y)।
- इन खनिजों में अद्वितीय चुंबकीय, संदीप्ति व वैद्युतरासायनिक (Electrochemical) गुण होते हैं तथा इस प्रकार उपभोक्ता द्वारा इनका इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और नेटवर्क, संचार, स्वास्थ्य देखभाल, राष्ट्रीय रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों आदि सहित कई आधुनिक प्रौद्योगिकियों में उपयोग किया जाता है।
- वर्तमान परिदृश्य के आलोक में, भविष्य की प्रौद्योगिकियों को भी इन REE की आवश्यकता है।
- उदाहरणार्थ उच्च ताप वाली अतिचालकता, पोस्ट-हाइड्रोकार्बन अर्थव्यवस्था के लिये हाइड्रोजन का सुरक्षित भंडारण और परिवहन आदि में इसकी उपयोगिता।
- इन्हें 'दुर्लभ मृदा' (Rare Earth) कहा जाता है क्योंकि पहले इन्हें इनके ऑक्साइड रूपों से निकालना तकनीकी रूप से मुश्किल था।
- यह कई खनिजों में विद्यमान होते हैं किंतु आमतौर पर कम सांद्रता में इन्हें किफायती तरीके से परिष्कृत किया जाता है।
दुर्लभ मृदा प्रौद्योगिकी के निर्यात पर प्रतिबंध का विश्व पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधान:
- दुर्लभ मृदा का विश्व का अग्रणी संसाधक चीन है। दुर्लभ मृदा के निष्कर्षण तथा प्रसंस्करण में चीन की प्रमुख भूमिका को देखते हुए, प्रतिबंध इन सामग्रियों पर निर्भर विभिन्न उद्योगों के लिये वैश्विक आपूर्ति शृंखला को बाधित कर सकता है।
- चीनी दुर्लभ मृदा के निर्यात पर अत्यधिक निर्भर देशों तथा उद्योगों को इसकी कमी अथवा उच्च लागत का सामना करना पड़ सकता है।
- सामरिक निर्भरता:
- यह महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये चीन पर अत्यधिक निर्भर देशों की असुरक्षा को प्रदर्शित करता है।
- ऐसे आवश्यक तत्त्वों के लिये एक ही स्रोत पर निर्भरता आपूर्ति सुरक्षा के बारे में चिंता उत्पन्न करती है, जिससे राष्ट्रों को वैकल्पिक स्रोतों अथवा घरेलू उत्पादन का पता लगाने के लिये प्रेरित किया जाता है।
- नवप्रवर्तन के अवसर:
- इस प्रतिबंध से चीन के बाहर वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों एवं आपूर्ति स्रोतों में नवाचार व निवेश को बढ़ावा मिल सकता है।
- देश एकल बाज़ार पर निर्भरता कम करके अपनी दुर्लभ मृदा आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने का प्रयास कर सकते हैं।
इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- आपूर्ति शृंखला विविधीकरण:
- भारत, कई अन्य देशों की तरह, चीनी दुर्लभ मृदा निर्यात पर निर्भर है। यह प्रतिबंध भारत के लिये अपनी निर्भरता का पुनर्मूल्यांकन करने और विविधीकरण रणनीतियों का पता लगाने का अवसर प्रस्तुत करता है।
- भारत घरेलू दुर्लभ मृदा निष्कर्षण और प्रसंस्करण क्षमताओं को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है या इसकी आपूर्ति सुरक्षित करने के लिये अन्य देशों के साथ साझेदारी की तलाश कर सकता है।
- औद्योगिक प्रभाव:
- भारत में दुर्लभ मृदा सामग्री पर निर्भर उद्योगों को संभावित आपूर्ति बाधाओं के कारण शुरुआत में व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है।
- हालाँकि यह जोखिमों को कम करने के लिये घरेलू उत्पादन में निवेश या वैकल्पिक आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ सहयोग को प्रेरित कर सकता है।
- भारत में दुर्लभ मृदा (RE) संसाधन के विश्व में पाँचवें सबसे बड़े स्रोत हैं।
आगे की राह
दुर्लभ मृदा प्रौद्योगिकी निर्यात पर चीन का प्रतिबंध वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने की गंभीरता और भारत सहित देशों द्वारा अपने उद्योगों एवं तकनीकी उन्नति के लिये आवश्यक संसाधनों को सुरक्षित करने के लिये रणनीतिक योजना की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे ‘दुलर्भ मृदा धातु’ कहते है की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012) 1- चीन, जो इन तत्त्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है द्वारा इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |