सीमा निर्धारण के लिये चीन और भूटान की बैठक | 30 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारत-भूटान संबंध, वर्ष 1949 की मित्रता संधि मेन्स के लिये:भारत-भूटान संबंधों को लेकर चुनौतियाँ, क्षेत्र में चीनी चुनौती |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन और भूटान ने सीमा निर्धारण पर ध्यान केंद्रित करते हुए बीजिंग में 13वीं विशेषज्ञ समूह बैठक (Expert Group Meeting-EGM) आयोजित की। इस बैठक में चीन-भूटान सीमा के निर्धारण पर एक संयुक्त तकनीकी टीम की स्थापना को एक महत्त्वपूर्ण परिणाम के रूप में चिह्नित किया गया।
- चूँकि दोनों देशों का लक्ष्य सीमा के समाधान में तेज़ी लाना है, इसलिये यह कदम भारत सहित व्यापक क्षेत्रीय संदर्भ पर प्रभाव डालता है।
13वीं विशेषज्ञ समूह बैठक की मुख्य विशेषताएँ:
दोनों देशों ने विवादित सीमा का समाधान प्राप्त करने की दिशा में प्रयासों में तेज़ी लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- उत्साहजनक गति बनाए रखने के लिये आगामी 14वें दौर की सीमा वार्ता के लिये योजनाएँ बनाई गईं।
- बैठक में तीन-चरणीय रोडमैप के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई, जो सीमा समझौता वार्ता में तेज़ी लाने के लिये उल्लिखित रणनीति का पालन करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
चीन-भूटान संबंधों में हालिया घटनाक्रम भारत के लिये चिंता का विषय:
- चीन और भूटान संबंधों पर हालिया घटनाक्रम भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित कर सकते हैं, विशेषकर डोकलाम ट्राई-जंक्शन वह बिंदु है, जहाँ भारत, भूटान और चीन की सीमाएँ मिलती हैं।
- चीन ने भूटान के पूर्वी क्षेत्र, जिसे साकटेंग (वन्यजीव अभयारण्य) के नाम से जाना जाता है, पर भी अपना दावा किया है, जो भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगता है।
- अरुणाचल प्रदेश पर चीन अपना अधिकार मानता है और इसे "दक्षिण तिब्बत" कहता है। साकटेंग पर चीन के दावे को सीमा मुद्दे पर भूटान को अपनी शर्तों को स्वीकार करने के लिये मज़बूर करने के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश पर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने के लिये दबाव की रणनीति के रूप में देखा जा सकता है।
- इस क्षेत्र में भूटान भारत के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है और भारत ने लंबे समय से भूटान को आर्थिक एवं सैन्य सहायता प्रदान की है। हालाँकि हाल के कुछ वर्षों में चीन ने भूटान के साथ अपने आर्थिक तथा राजनयिक संबंधों में वृद्धि की है, जो संभावित रूप से भूटान में भारत के प्रभाव को कमज़ोर कर सकता है।
भूटान के साथ भारत के संबंध:
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध:
- भारत और भूटान बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और अन्य परंपराओं में निहित समान सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं।
- कई भूटानी तीर्थयात्री बोधगया, राजगीर, नालंदा, सिक्किम, उदयगिरि और भारत के अन्य बौद्ध स्थलों की यात्रा करते रहे हैं।
- भूटान वर्ष 1947 में भारत की संप्रभुता और स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और तब से इसके विकास तथा आधुनिकीकरण का समर्थन करता रहा है।
- सामरिक एवं सुरक्षा सहयोग:
- भारत और भूटान ने शांति स्थापित करने तथा एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के लिये वर्ष 1949 में मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किये, जिसे वर्ष 2007 में संशोधित किया गया।
- भारत ने भूटान को रक्षा, बुनियादी ढाँचे और संचार जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है ताकि भूटान अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में सक्षम हो।
- वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान भूटान ने चीनी घुसपैठ का मुकाबला करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देकर एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- आर्थिक एवं विकास साझेदारी:
- व्यापार, वाणिज्य और पारगमन पर भारत-भूटान समझौता (1972 में हस्ताक्षरित और 2016 में संशोधित) दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित करता है।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास, विशेष रूप से कृषि, सिंचाई, बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
- भूटान के लिये भारत पेट्रोल-डीज़ल, यात्री कारें, चावल, लकड़ी का कोयला, सेलफोन, सोयाबीन तेल, उत्खनन उपकरण, विद्युत जनरेटर और मोटर, टर्बाइन के हिस्से तथा परिवहन वाहन आदि का शीर्ष निर्यातक है।
- भारत भूटान से बिजली, सुपारी, संतरे, लोहे या गैर-मिश्र धातु इस्पात के अर्द्ध-निर्मित उत्पाद, बोल्डर आदि का शीर्ष आयातक है।
- भारत भूटान में प्रमुख निवेशक भी है, जिसमें देश के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का 50% शामिल है।
- जलविद्युत सहयोग:
- वर्ष 2006 के जल विद्युत सहयोग समझौते के अंतर्गत दोनों देशों के बीच जलविद्युत क्षेत्र में सहयोग प्रदान किया जाता है।
- इस समझौते के एक प्रोटोकॉल के तहत भारत वर्ष 2020 तक न्यूनतम 10,000 मेगावाट जलविद्युत के विकास तथा अधिशेष विद्युत के आयात में भूटान की सहायता करने हेतु सहमत हुआ है।
- भूटान में कुल 2136 मेगावाट की चार जलविद्युत परियोजनाएँ (HEPs)- चूखा, कुरिछु, ताला और मंगदेछू पहले से ही संचालित हैं तथा भारत को विद्युत की आपूर्ति कर रही हैं।
- अंतर-सरकारी मोड में दो HEPs नामत: पुनात्सांगछू-I, पुनात्सांगछू-II कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
- अंतर-सरकारी मोड में दो HEPs नामत: पुनात्सांगछू-I, पुनात्सांगछू-II कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
- वर्ष 2006 के जल विद्युत सहयोग समझौते के अंतर्गत दोनों देशों के बीच जलविद्युत क्षेत्र में सहयोग प्रदान किया जाता है।
- बहुपक्षीय भागीदारी:
- दोनों बहुपक्षीय मंचों को साझा करते हैं जैसे- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC), ‘बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल’ (BBIN) तथा बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) आदि।
- जन-जन के मध्य संपर्क:
- भूटान में लगभग 50,000 भारतीय नागरिक मुख्य रूप से निर्माण क्षेत्र, शिक्षा और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में शामिल तकनीकी सलाहकारों के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
- भूटानी छात्रों के लिये भारत सबसे लोकप्रिय शैक्षिक गंतव्य है।
- भारत और भूटान दोनों देश सांस्कृतिक समझ और मूल्यों को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडलों, कलाकारों, विद्वानों के आदान-प्रदान के साथ-साथ सामूहिक रूप से प्रदर्शनियों, त्योहारों आदि का भी आयोजन करते हैं।
भारत-भूटान संबंधों को लेकर चुनौतियाँ:
- भूटान में विशेषकर विवादित सीमा पर चीन की बढ़ती उपस्थिति, भारत के रणनीतिक निहितार्थों को देखते हुए चिंता का विषय है।
- भारत और भूटान 699 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं, जो अधिकतर शांतिपूर्ण है लेकिन वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध जैसी चीनी सीमा घुसपैठ ने भारत, चीन और भूटान के बीच तनाव पैदा कर दिया है जो संभावित रूप से भारत-भूटान संबंधों को प्रभावित कर रहा है।
- भूटान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक जलविद्युत पर निर्भर करती है, जिसके विकास में भारत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुछ परियोजनाओं की शर्तें भारत के पक्ष में होने की वजह से भूटान में चिंता देखी गई है और उनका सार्वजनिक विरोध हुआ है।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार होने के साथ ही पर्यटकों का स्रोत भी है। हालाँकि दोनों देशों के बीच व्यापार और पर्यटन नीतियों को लेकर कुछ मतभेद रहे हैं।
- उदाहरण के लिये भूटान ने अपनी संवेदनशील पारिस्थितिकी और संस्कृति पर व्यापार एवं पर्यटन के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है तथा भारतीय पर्यटकों पर प्रवेश शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है।
- अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (All India Surveys of Higher Education- AISHE) के अनुसार, भारत में तृतीयक शिक्षा प्राप्त करने वाले भूटानी छात्रों की संख्या एक दशक पहले के 7% से घटकर सभी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की तुलना में केवल 3.8% रह गई है।
आगे की राह
- स्थिरता और साझा हितों को बढ़ावा देने के लिये क्षेत्रीय बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग करना चाहिये।
- सीमा पर तनाव को कम करने के लिये भारत, भूटान और चीन के मध्य पारदर्शी संचार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- दोनों देशों के हित को देखते हुए वार्तालाप और उचित शर्तों के माध्यम से जलविद्युत परियोजनाओं की चिंताओं को संबोधित करना चाहिये।
- भारत और भूटान के पारिस्थितिक एवं सांस्कृतिक संरक्षण के साथ आर्थिक हितों को संतुलित करने वाली धारणीय नीतियों को सहयोगात्मक रूप से सूत्रबद्ध करने हेतु एक संयुक्त समिति का गठन किया जा सकता है।
- भारत, भूटानी छात्रों को छात्रवृत्ति तथा भूटानी पेशेवरों के कौशल को बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भूटान की मदद कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. जटिल भू-भाग और कुछ देशों के साथ प्रतिरोधी संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक जटिल कार्य है। प्रभावी सीमा प्रबंधन के लिये चुनौतियों और रणनीतियों को स्पष्ट कीजिये। (2016)। |