अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चीन, जापान द्वारा सैन्य हॉटलाइन की स्थापना
- 07 Apr 2023
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प्रिलिम्स के लिये:सेनकाकू द्वीप, दियाओयू द्वीप, पूर्वी चीन सागर मेन्स के लिये:क्षेत्रीय विवादों का भू-राजनीति पर प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन और जापान ने विवादित द्वीपों (सेनकाकू द्वीप) पर समुद्री, हवाई घटनाओं का प्रबंधन करने के लिये सैन्य हॉटलाइन (विशिष्ट उद्देश्य के लिये स्थापित एक प्रत्यक्ष फोनलाइन) स्थापित की है।
- जापान के नियंत्रण वाले पूर्वी चीन सागर के निर्जन द्वीपों पर चीन और जापान के बीच लंबे समय से विवाद है और इन पर चीन द्वारा दावा किया जाता है।
हॉटलाइन की स्थापना का कारण:
- यह कदम विवादित जल क्षेत्र में इन देशों की आक्रामक गश्त के कारण उत्पन्न होने वाली घटनाओं के प्रबंधन और नियंत्रण हेतु उठाया गया था।
- यह हॉटलाइन चीन और जापान के रक्षा विभागों के बीच संचार को समृद्ध करने के साथ समुद्री और हवाई संकटों के प्रबंधन और नियंत्रण के लिये दोनों पक्षों की क्षमताओं को मज़बूत करेगी और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगी।
सेनकाकू द्वीप विवाद:
- परिचय:
- सेनकाकू द्वीप विवाद आठ निर्जन द्वीपों संबंधी एक क्षेत्रीय विवाद है, इस द्वीपसमूह को जापान में सेनकाकू द्वीपसमूह, चीन में दियाओयू द्वीपसमूह और हॉन्गकॉन्ग में तियायुतई द्वीपसमूह के नाम से जाना जाता है।
- जापान और चीन दोनों इन द्वीपों पर स्वामित्व का दावा करते हैं।
- अवस्थिति:
- ये आठ निर्जन द्वीप पूर्वी चीन सागर में स्थित हैं। इनका कुल क्षेत्रफल लगभग 7 वर्ग किलोमीटर है और ये ताइवान के उत्तर-पूर्व में स्थित हैं।
- सामरिक महत्त्व:
- ये द्वीप रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण शिपिंग लेन के करीब हैं जो समृद्ध मत्स्यन का अवसर प्रदान करते हैं और माना जाता है कि इसमें समृद्ध तेल भंडार हैं।
- जापान का दावा:
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जापान ने सैन फ्रांसिस्को की संधि, 1951 के तहत ताइवान सहित कई क्षेत्रों एवं द्वीपों पर अपना दावा छोड़ दिया था।
- लेकिन संधि के तहत नानसी शोटो द्वीप संयुक्त राज्य अमेरिका के ट्रस्टीशिप के अधीन आ गए और फिर वर्ष 1971 में जापान को वापस कर दिये गए।
- जापान का कहना है कि सेनकाकू द्वीप नानसी शोटो द्वीप समूह का हिस्सा है और इसलिये उस पर भी जापान का अधिकार है।
- इसके अलावा चीन ने सैन फ्रांसिस्को संधि पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
- केवल 1970 के दशक के बाद से, जब क्षेत्र में तेल संसाधनों का मुद्दा उभरा, चीनी और ताइवान के अधिकारियों ने अपने दावों पर ज़ोर देना शुरू कर दिया।
- चीन का दावा:
- ये द्वीप प्राचीन काल से इसके क्षेत्र का हिस्सा रहे हैं जो ताइवान प्रांत द्वारा प्रशासित महत्त्वपूर्ण मत्स्यन मैदान के रूप में कार्य करते हैं।
- जब सैन फ्रांसिस्को की संधि में ताइवान को वापस कर दिया गया था तो चीन ने कहा था कि इसके हिस्से के रूप में द्वीपों को भी वापस कर दिया जाना चाहिये था।
- ताइवान का दावा:
- ताइवान इन द्वीपों पर दावा करता है, लेकिन किसी भी संघर्ष से बचने के लिये जापान के साथ समझौते किये हैं क्योंकि जापान एवं ताइवान के बीच घनिष्ठ रक्षा संबंध है।
- वर्तमान विवाद के बावजूद, जापान एवं ताइवान के मध्य घनिष्ठ रक्षा संबंध बबने हुए हैं।
अन्य हालिया द्वीप विवाद:
- कुरील द्वीप: उत्तरी प्रशांत महासागर में स्थित है।
- रूस और जापान के बीच विवाद है।
- चागोस द्वीपसमूह: उत्तरी हिंद महासागर में स्थित है।
- ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच विवाद है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स :Q.निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक, कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित सेनकाकू द्वीप विवाद को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (a) आमतौर पर यह माना जाता है कि वे दक्षिणी चीन सागर के आसपास किसी देश द्वारा निर्मित कृत्रिम द्वीप हैं। उत्तर: (b) व्याख्या:
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