बाल मृत्यु दर में गिरावट से संबंधित मुद्दे | 26 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
भारत में बाल मृत्यु दर हमेशा से चिंता का एक अहम् कारण रही है। हालाँकि हाल ही में एक मेडिकल जर्नल लैंसेट (Lancet) में प्रकाशित एक अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत में बाल मृत्यु दर की स्थिति में सुधार देखा गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 से 2015 के बीच कुछ विशेष कारणों से बाल मृत्यु दर में महत्त्वपूर्ण गिरावट दर्ज़ की गई है।
- वर्ष 2005 के बाद से बाल मृत्यु दर में हुई तेज़ी से गिरावट (नवजात मृत्यु दर में 3.4% की औसत वार्षिक गिरावट और 1 से 59 महीने के शिशुओं की मृत्यु दर में 5.9% की औसत वार्षिक गिरावट) के संदर्भ में इस अध्ययन के अंतर्गत यह सुझाव दिया गया है कि देश में 2000-2004 में प्रगति की दर की तुलना में एक लाख अधिक बच्चों को मौत से बचाया गया है।
समय-पूर्व जन्म
- हालाँकि, इसी अवधि में जन्म से पूर्व होने वाली मृत्यु में वृद्धि दर्ज़ की गई। ध्यातव्य है कि वर्ष 2000 में प्रति 1000 जीवित बच्चों में यह दर 12.3 थी, जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2015 में प्रति 1000 जीवित बच्चों में यह दर 12.3 से बढ़कर 14.3 हो गई।
- मिलियन डेथ स्टडी (वर्ष 2000 से 2015 तक भारत में नवजात शिशुओं और 1-59 महीने के शिशुओं की बाल मृत्यु दर के विशिष्ट कारणों में परिवर्तन: राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिनिधि सर्वेक्षण) नामक इस रिपोर्ट को लैंसेट (Lancet) नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया।
तीन राज्यों में प्रगति की स्थिति
- इस अवधि के दौरान तीन राज्यों में प्रगति का उल्लेख करते हुए उक्त अध्ययन में कहा गया है कि यदि भारत के सभी राज्यों द्वारा तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र की भाँति बाल मृत्यु दर में गिरावट दर्ज़ की जाती है, तो बहुत जल्द देश के लगभग सभी राज्यों द्वारा 2015 मिलेनियम विकास लक्ष्यों (2015 Millennium Development Goals) को हासिल कर लिया जाएगा।
- भारत की बाल मृत्यु दर में (प्रति एक हज़ार जीवित बच्चों में) वर्ष 1990 की (प्रति एक हज़ार जीवित बच्चों में 125 की मृत्यु) तुलना में 62% की गिरावट आई है। वर्ष 2015 में यह घटकर मात्र 47 के स्तर पर आ गई है, जो कि 2015 के मिलेनियम विकास लक्ष्यों से थोड़ा ही कम है।
- उक्त नतीजों की व्याख्या करते हुए लैंसेट रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल मृत्यु दर के संबंध में 2030 के सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिये भारत को 1-59 महीने के शिशुओं की मृत्यु के संबंध में वर्तमान गति को बनाए रखते हुए नवजात शिशुओं की मृत्यु दर (-> 5% वार्षिक) में तेज़ी से गिरावट लाने पर बल देना होगा।
- ध्यातव्य है की 1-59 महीने के शिशुओं में निमोनिया, दस्त, मलेरिया और खसरा की वज़ह से होने वाली बाल मृत्यु दर में कमी आई है।
- केवल जन्म के समय कम वज़न (low birth weight) के संबंध में अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है।