बाल मित्र पुलिस स्टेशन का निर्माण | 22 Jul 2017
चर्चा में क्यों ?
गौरतलब है कि शीघ्र ही राजस्थान के धौलपुर में राज्य के प्रथम ‘बाल मित्र पुलिस स्टेशन’ का निर्माण किया जाएगा। इसके माध्यम से बाल श्रम, बाल विवाह और यौन अपराधों के विरुद्ध बनाए गए कानूनों के प्रति बच्चों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
बाल मित्र पुलिस स्टेशन की ज़रूरत क्यों ?
- दरअसल, हमारे पुलिस स्टेशन बाल अधिकारों के अनुकूल नहीं हैं। जब कोई बाल आरोपी या बाल पीड़ित पुलिस स्टेशन पहुंचता है तो वहाँ उसके मुताबिक माहौल नहीं होता है।
- पुलिस वाले भी मानसिक रुप से इसके लिये तैयार नहीं होते कि उन्हें बच्चों के साथ किस तरह पेश आना है और उन्हें पुलिस स्टेशन में कैसे रखना है।
- ऐसे में यह ज़रुरी है कि पुलिस स्टेशन को इस तरह बनाया जाए, जहाँ बच्चों को किसी तरह की दिक्कत न हो।
- विदित हो कि राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग द्वारा देश के प्रत्येक ज़िले में कम से कम एक बाल मित्र पुलिस स्टेशन बनाने का निर्देश दिया गया है।
- आयोग का प्रयास है कि थानों में बच्चों के लिये आवश्यक सुविधाएँ हों और पुलिसकर्मी भी बाल अधिकारों को लेकर मानसिक तौर पर तैयार और संवेदनशील हों।
- ‘बाल मित्र पुलिस स्टेशन’ को एक रंगीन और आकर्षक बाल कारागार के तौर पर विकसित किया जाता है। पुलिस स्टेशन के बाल कारागार को गुलाबी रंग से पेंट किया जाता और इसमें बच्चों के लिये खिलौने और अध्ययन सामग्री भी रखी जाती है।
- गौरतलब है कि किसी अपराध के मामले में पकड़े जाने पर 18 साल से कम उम्र के किशोरों एवं बच्चों को भी पहले पुलिस स्टेशन में ले जाया जाता है और बाद में सुधार गृह या किसी दूसरे संरक्षण गृह में भेजा जाता है।