छत्रपति शिवाजी महाराज | 07 Dec 2021
प्रिलिम्स के लियेछत्रपति शिवाजी, चौथ, सरदेशमुखी, काठी प्रणाली, मीरासदार, अष्टप्रधान, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत, हैंदव धर्मोधारक, पुरंदर की संधि, प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659; पवन खिंड की लड़ाई, 1660; सूरत की लड़ाई, 1664; पुरंदर की लड़ाई, 1665; सिंहगढ़ की लड़ाई, 1670; कल्याण की लड़ाई, 1682-83; संगमनेर की लड़ाई, 1679 मेन्स के लियेछत्रपति शिवाजी के अंतर्गत मराठा साम्राज्य और राजस्व तथा सैन्य नीतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दी।
- इस वर्ष की शुरुआत में गोवा सरकार ने मराठा राजा के राज्याभिषेक दिवस (6 जून) की वर्षगांठ के अवसर पर छत्रपति शिवाजी पर एक लघु फिल्म जारी की।
प्रमुख बिंदु
- जन्म:
- उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ था।
- उनका जन्म एक मराठा सेनापति शाहजी भोंसले के घर हुआ था, जिनके अधिकार में बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरें थीं तथा उनकी माता जीजाबाई, एक धर्मपरायण महिला थीं, जिनके धार्मिक गुणों का उन पर गहरा प्रभाव था।
- आरंभिक जीवन:
- इन्होंने वर्ष 1645 में पहली बार अपने सैन्य उत्साह का प्रदर्शन किया, जब किशोर उम्र में ही इन्होंने बीजापुर के अधीन तोरण किले (Torna Fort) पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
- इन्होंने कोंडाना किले (Kondana Fort) पर भी अधिकार किया। ये दोनों किले बीजापुर के आदिल शाह के अधीन थे।
महत्त्वपूर्ण युद्ध:
प्रतापगढ़ का युद्ध, 1659 |
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पवन खिंड का युद्ध, 1660 |
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सूरत का युद्ध, 1664 |
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पुरंदर का युद्ध, 1665 |
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सिंहगढ़ का युद्ध, 1670 |
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कल्याण का युद्ध, 1682-83 |
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संगमनेर की युद्ध, 1679 |
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मुगलों के साथ संघर्ष:
- मराठों ने अहमदनगर के पास और वर्ष 1657 में जुन्नार में मुगल क्षेत्र पर छापा मारा।
- औरंगज़ेब ने नसीरी खान को भेजकर छापेमारी का जवाब दिया, जिसने अहमदनगर में शिवाजी की सेना को हराया था।
- शिवाजी ने वर्ष 1659 में पुणे में शाइस्ता खान (औरंगज़ेब के मामा) और बीजापुर सेना की एक बड़ी सेना को हराया।
- शिवाजी ने वर्ष 1664 में सूरत के मुगल व्यापारिक बंदरगाह को अपने कब्ज़े में ले लिया।
- जून 1665 में शिवाजी और राजा जय सिंह प्रथम (औरंगजेब का प्रतिनिधित्व) के बीच पुरंदर की संधि (Treaty of Purandar) पर हस्ताक्षर किये गए।
- इस संधि के अनुसार, मराठों को कई किले मुगलों को देने पड़े और शिवाजी, औरंगज़ेब से आगरा में मिलने के लिये सहमत हुए। शिवाजी अपने पुत्र संभाजी को भी आगरा भेजने के लिये तैयार हो गए।
शिवाजी की गिरफ्तारी:
- जब शिवाजी वर्ष 1666 में आगरा में मुगल सम्राट से मिलने गए, तो मराठा योद्धा को लगा कि औरंगज़ेब ने उनका अपमान किया है जिससे वे दरबार से बाहर आ गए।
- जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया गया। शिवाजी और उनके पुत्र का आगरा से भागने की कहानी आज भी प्रामाणिक नहीं है।
- इसके बाद वर्ष 1670 तक मराठों और मुगलों के बीच शांति बनी रही।
- मुगलों द्वारा संभाजी को दी गई बरार की जागीर उनसे वापस ले ली गई थी।
- इसके जवाब में शिवाजी ने चार महीने की छोटी सी अवधि में मुगलों के कई क्षेत्रों पर हमला कर उन्हें वापस ले लिया।
- शिवाजी ने अपनी सैन्य रणनीति के माध्यम से दक्कन और पश्चिमी भारत में भूमि का एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया।
दी गई उपाधि:
- शिवाजी को 6 जून, 1674 को रायगढ़ में मराठों के राजा के रूप में ताज पहनाया गया।
- इन्होंने छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत और हैंदव धर्मोधारक की उपाधि धारण की थी।
- शिवाजी द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य समय के साथ बड़ा होता गया और 18वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रमुख भारतीय शक्ति बन गया।
मृत्यु:
- इनकी 3 अप्रैल, 1680 को मृत्यु हो गई।
शिवाजी के अधीन प्रशासन
- केंद्रीय प्रशासन:
- इसकी स्थापना शिवाजी द्वारा प्रशासन की सुदृढ़ व्यवस्था के लिये की गई थी जो प्रशासन की दक्कन शैली से काफी प्रेरित थी।
- अधिकांश प्रशासनिक सुधार अहमदनगर में मलिक अंबर (Malik Amber) के सुधारों से प्रेरित थे।
- राजा राज्य का सर्वोच्च प्रमुख होता था जिसे 'अष्टप्रधान' के नाम से जाना जाने वाले आठ मंत्रियों के एक समूह द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी।
- पेशवा, जिसे मुख्य प्रधान के रूप में भी जाना जाता है, मूल रूप से राजा शिवाजी की सलाहकार परिषद का नेतृत्व करता था।
- राजस्व प्रशासन:
- शिवाजी ने जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया और इसे रैयतवारी प्रणाली से बदल दिया तथा वंशानुगत राजस्व अधिकारियों की स्थिति में परिवर्तन किया, जिन्हें देशमुख, देशपांडे, पाटिल एवं कुलकर्णी के नाम से जाना जाता था।
- शिवाजी उन मीरासदारों (Mirasdar) का कड़ाई से पर्यवेक्षण करते थे जिनके पास भूमि पर वंशानुगत अधिकार थे।
- राजस्व प्रणाली मलिक अंबर की काठी प्रणाली (Kathi System) से प्रेरित थी, जिसमें भूमि के प्रत्येक टुकड़े को रॉड या काठी द्वारा मापा जाता था।
- चौथ और सरदेशमुखी आय के अन्य स्रोत थे।
- चौथ कुल राजस्व का 1/4 भाग था जिसे गैर-मराठा क्षेत्रों से मराठा आक्रमण से बचने के बदले में वसूला जाता था।
- यह आय का 10 प्रतिशत होता था जो अतिरिक्त कर के रूप में होता था।
- सैन्य प्रशासन:
- शिवाजी ने एक अनुशासित और कुशल सेना का गठन किया।
- सामान्य सैनिकों को नकद में भुगतान किया जाता था, लेकिन प्रमुख और सैन्य कमांडर को जागीर अनुदान (सरंजम या मोकासा) के माध्यम से भुगतान किया जाता था।
- मराठा सेना में इन्फैंट्री सैनिक, घुड़सवार, नौसेना आदि शामिल थीं।
रायगढ़ किला
- इस किले को पहले रायरी कहा जाता था, 12वीं शताब्दी में यह मराठा वंश शिर्के का गढ़ था।
- ब्रिटिश राजपत्र में कहा गया है कि इस किले को आरभिक यूरोपियों द्वारा पूर्व के ज़िब्राल्टर के रूप में जाना जाता था।
- वर्ष 1656 में, छत्रपति शिवाजी ने इसे जावली के मोरे से प्राप्त कर लिया, जो आदिलशाही सल्तनत के अधीन था।
- वर्ष 1662 में, शिवाजी ने औपचारिक रूप से किले का नाम बदलकर रायगढ़ कर दिया और इसमें कई संरचनाएं जोड़ीं।
- 1664 तक, किला शिवाजी की सरकार के गढ़ के रूप में उभरा था।
- किले ने न केवल शिवाजी को आदिलशाही वंश की सर्वोच्चता को चुनौती देने में मदद की बल्कि अपनी शक्ति के विस्तार के लिये कोंकण की ओर मार्ग भी खोल दिया।
- जैसे ही शिवाजी के नेतृत्त्व में मराठों ने मुगलों के खिलाफ अपने संघर्ष में ताकत हासिल की उनके द्वारा एक संप्रभु, स्वतंत्र राज्य की घोषणा की गई।