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चेन्नई के तट पर तेल-रिसाव के दुष्परिणामों से निपटने हेतु सफाई अभियान प्रारंभ

  • 01 Feb 2017
  • 6 min read

सन्दर्भ

चेन्नई से 20 किमी० की दूरी पर एन्नोर बंदरगाह के निकट तेल के टैंकर और एलपीजी वाहक की टक्कर के फलस्वरूप हुआ तेल का रिसाव समुद्र तट और इसके जीव-जंतुओं को नष्ट कर चुका है  | इस तेल में कई कछुए और अनेक मृत मछलियाँ भी पाए गये थे |

प्रमुख बिंदु 

  • यह दुर्घटना 29 जनवरी को प्रातः 4 बजे को घटित हुई जब बीडब्ल्यू मेपल  (BW Maple) एलपीजी को खाली करके के बाद बंदरगाह से जा रहा था और एमटी डाउन, कांचीपुरम (जिसमें पेट्रोलियम आयल लुब्रिकेंट भरा था) कामराजर बंदरगाह ( इसे पहले एन्नोर बंदरगाह के नाम से जाना जाता था ) की ओर जाने वाले मार्ग पर था |  
  • हालाँकि, सोमवार को बीडब्ल्यू एलपीजी (BW LPG) के कार्यकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि ओस्लो (Oslo) से एक गैस का टैंकर (जिसकी सूचीबद्ध शिपिंग कंपनी बीडब्ल्यूएलपीजी थी) चेन्नई के तट पर एक भारतीय जहाज से टकरा गया था|
  • 82,000 घन मीटर एलपीजी की क्षमता युक्त बीडब्ल्यू मेपल दूसरे जहाज से टकराते समय आधा भरा हुआ था |
  • संभवतः इस जहाज से तेल का कोई रिसाव नहीं हुआ है, ऐसा प्रतीत होता है कि तेल का रिसाव दूसरे जहाज से हुआ है |

तेल रिसाव क्या है ?

  • तेल रिसाव एक प्रकार का प्रदूषण  है जिसमें मानवीय गतिविधियों के कारण तरल पेट्रोलियम हाईड्रोकार्बन  पर्यावरण में मुक्त हो जाता है |
  • इस शब्द का प्रयोग अक्सर समुद्री तेल रिसाव के लिए किया जाता है  जहाँ तेल  समुद्र  में अथवा तटीय जल में मुक्त हो जाता है। 
  • तेल रिसाव में कच्चे तेल, परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों, उनके उप-उत्पादों का रिसाव और बड़े  में प्रयुक्त होने वाले भारी ईंधन जैसे बंकर ईंधन का रिसाव या किसी तैलीय अवशिष्ट का या अपशिष्ट तेल का रिसाव शामिल है | 
  • इनका रिसाव टैंकर से, अपतटीय प्लेटफार्म से, खुदाई उपकरणों से तथा कुओं से रिसाव इत्यादि से भी हो सकता है |
  • प्राकृतिक तेल रिसाव से भी तेल समुद्री पर्यावरण में प्रवेश करता है। यह तेल जलीय जीवों को प्रभावित करने के साथ ही, इससे सम्बंधित पक्षियों के पंखों की संरचना में प्रवेश कर, उनकी उत्प्लावकता और भोजन की तलाश में तथा शिकारियों से बचने के लिए उनकी उड़ान क्षमताओं को भी कम करता है। जब पक्षी चोंच से अपने परों को खुजाते हैं तो परों पर लगा हुआ तेल निगल जाते हैं, जिसके कारण उनके अंगों में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है तथा पाचन तंत्र में जलन होती है।

तेल रिसाव की सफाई 

रिसाव को साफ करने में महीनों या सालों लग सकते हैं। तेल रिसाव की सफाई और बहाली कठिन है तथा यह तेल के प्रकार, पानी के तापमान तथा तटरेखाओं और समुद्रतटों के प्रकार इत्यादि कारकों पर निर्भर करता है । प्रयुक्त उपकरणों में शामिल हैं :  ‘बूम’ ये तैरते हुए बड़े अवरोध हैं जो तेल को एकत्र कर उसे जल से ऊपर उठाते हैं;

  • ‘स्किमर्स‘ तेल की सतह से फेन हटाते हैं ;
  • ‘सॉर्बेंट्स ‘ बड़े अवशोषक हैं जो तेल का अवशोषण करते हैं।
  • ‘रासायनिक और जैविक एजेंट’ जो तेल के अपघटन में सहायता करते हैं;
  • ‘निर्वात’ समुद्र तटों और पानी की सतह से तेल हटाता है;
  • ‘फावड़ा और अन्य सड़क उपकरण’ आम तौर पर समुद्र तट पर तेल साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |

अब तक की स्थिति और इस सन्दर्भ में किए गए प्रयास

  • चेन्नई के तट पर टैंकर के टकराव के कारण चेन्नई की तटरेखा से प्रसिद्ध मरीना बीच तक फैले तेल के रिसाव की सफाई करने हेतु सफाई कार्य की शुरुआत हो चुकी है | 
  • इस स्थान पर तट रक्षक द्वारा तेल रिसाव की सफाई अभियान को समन्वित करने के लिए अपने जहाज और विमान समुद्र और तट पर तैनात कर दिए गए हैं ।
  • एन्नोर बीच से एलियट बीच के दायरे में रिसाव के प्रभाव के आकलन हेतु इसे चार जोन में बांट दिया गया है,  और इसके लिए अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं । 
  • वहीं तटरक्षक कर्मी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य गैरसरकारी संगठनों के लोगों की मदद से सफाई अभियान का समन्वयन कर रहे हैं ।
  • अधिकारियों ने कहा कि इस सफाई में कुछ दिनों का समय लगेगा |
  • इस दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया गया है | 
  • इस घटना में अब तक किसी व्यक्ति के हताहत होने की कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है |
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