शासन व्यवस्था
इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग संबंधी दिशा-निर्देशों को मंज़ूरी
- 05 Oct 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग संबंधी दिशा-निर्देशों एवं विनिर्देशों में संशोधनों को मंज़ूरी दे दी है। इन दिशा-निर्देशों में इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के लिये देश भर में चार्जिंग अवसंरचना का एक समुचित नेटवर्क विभिन्न चरणों में स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
प्रमुख बिंदु
- चार्जिंग अवसंरचना से जुड़े ये संशोधित दिशा-निर्देश 14 दिसंबर, 2018 को विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी पूर्ववर्ती दिशा-निर्देशों एवं मानकों का स्थान लेंगे।
- संशोधित दिशा-निर्देश पहले की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक उपभोक्ता अनुकूल हैं क्योंकि इनमें विभिन्न हितधारकों से प्राप्त कई सुझावों को शामिल किया गया है।
- इन दिशा-निर्देशों को दो चरणों में क्रियान्वित किया जाएगा।
- प्रथम चरण 1 से 3 वर्ष का होगा जिसमें 40 लाख से अधिक की आबादी वाली (जनगणना-2011 के अनुसार) सभी मेगा सिटी से जुड़े समस्त मौजूदा एक्सप्रेसवे और इनमें से प्रत्येक मेगा सिटी से जुड़े महत्त्वपूर्ण राजमार्गों को कवर कर लिया जाएगा।
- 3 से 5 वर्षों वाले दूसरे चरण में बड़े शहरों जैसे कि राज्यों की राजधानियों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यालयों को कवर किया जा सकता है।
- चार्जिंग अवसंरचना की स्थापना में आसानी के लिये विद्युत मंत्रालय के अधीनस्थ वैधानिक निकाय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency-BEE) को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
नेशनल ई-मोबिलिटी प्रोग्राम
(National E-Mobility Programme)
इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार ने 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहन सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिये बड़े स्तर पर चार्जिंग अवसरंचना की आवश्यकता होगी।
ई-मोबिलिटी के निम्नलिखित लाभ हैं-
- इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण और आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोणों से लाभकारी हैं।
- सामान्य कारों के लिये प्रति किलोमीटर 6.5 रुपए की लागत की तुलना में इलेक्ट्रिक कारों हेतु यह मात्र 85 पैसे ही है।
- ये ऊर्जा दक्षता प्राप्त करने में सहायक हैं।
- इससे महँगे पेट्रोलियम आयातों पर निर्भरता कम करने में सहायता मिलेगी।
क्या है नए दिशा-निर्देश?
- शहरों में 3 किलोमीटर लंबाई और 3 किलोमीटर चौड़ाई के ग्रिड में कम-से-कम एक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध कराया जाएगा।
- राजमार्गों/सड़कों के दोनों ओर प्रत्येक 25 किलोमीटर की दूरी पर पर एक चार्जिंग स्टेशन होगा।
- एक शहर से दूसरे शहर में भ्रमण करने वाले और भारी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये प्रत्येक 100 किलोमीटर पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा।
- इलेक्ट्रिक वाहनों की ज्यादातर चार्जिंग घरों अथवा कार्यालयों में ही होगी और वहाँ ‘फॉस्ट या स्लो चार्जर’ का उपयोग करने का निर्णय उपभोक्ताओं पर निर्भर करेगा।
- अत: इस बारे में दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि आवास या कार्यालयों में निजी चार्जिंग की अनुमति विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) द्वारा दी जाएगी।
- घरेलू चार्जिंग दरअसल बिजली की घरेलू खपत जैसी ही होगी, अत: उसके लिये शुल्क दरें उसी के अनुसार होंगी।
- हालाँकि सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों (Public Charging Stations-PCS) के मामले में यह व्यवस्था की गई है कि PCS के लिये विद्युत आपूर्ति की शुल्क दर का निर्धारण उपयुक्त आयोग द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-3 के तहत जारी टैरिफ नीति के अनुसार किया जाएगा।
- सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिये किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। कोई भी व्यक्ति या संस्था सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिये स्वतंत्र है।