अनुसूचित जातियों के लिये मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना में बदलाव | 24 Dec 2020
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिये मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति’ (PMS-SC) में बदलाव को मंज़ूरी दी है।
- केंद्र सरकार अनुसूचित जाति से संबंधित इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है, ताकि 5 वर्ष की अवधि के भीतर उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति के छात्रों का ‘सकल नामांकन अनुपात’ (GER) राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच सके।
- सकल नामांकन अनुपात (GER) का आशय शिक्षा के किसी भी स्तर पर नामांकित छात्रों की संख्या से होता है, चाहे उनकी आयु कितनी भी हो।
- उच्च शिक्षा में वर्तमान सकल नामांकन अनुपात (GER) 26.3 प्रतिशत है।
- मंत्रिमंडलीय समिति के हालिया निर्णय के मुताबिक मौजूदा केंद्रीय सहायता, जोकि वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के बीच प्रतिवर्ष तकरीबन 1100 करोड़ रुपए थी, को 5 गुना तक बढ़ा दिया जाएगा और वर्ष 2020-21 से 2025-26 के दौरान यह राशि प्रतिवर्ष 6000 करोड़ रुपए हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु
अनुसूचित जातियों के लिये मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
- इसके तहत पोस्ट मैट्रिकुलेशन या पोस्ट-सेकेंड्री स्तर पर पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की गई है, ताकि वे अपनी शिक्षा पूरी कर सकें और उन्हें वित्तीय बाधाओं का सामना न करना पड़े।
- यह छात्रवृत्ति केवल भारत में अध्ययन के लिये उपलब्ध है और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
- यह योजना गरीब छात्रों के नामांकन, समयबद्ध भुगतान, जवाबदेही, निरंतर निगरानी और पूर्ण पारदर्शिता पर केंद्रित है।
- आय सीमा: यह छात्रवृत्ति उन छात्रों को प्रदान की जाती है, जिनके माता-पिता अथवा अभिभावक की सभी स्रोतों से आय 2,50,000 रुपए वार्षिक से अधिक नहीं है।
नए परिवर्तन
- नामांकन अभियान
- 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले अनुसूचित जाति के गरीब छात्रों को उनकी पसंद के उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने में सहायता करने हेतु एक अभियान शुरू किया जा रहा है।
- अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में लगभग 1.36 करोड़ गरीब छात्र आर्थिक बाधाओं के कारण 10वीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ पाते हैं, इस अभियान के माध्यम से उन्हें आगामी 5 वर्ष में उच्च शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाएगा।
- सुरक्षित ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म
- यह स्कीम सुदृढ़ सुरक्षा उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर संचालित की जाएगी जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्य क्षमता तथा बिना विलंब के समयबद्ध सहायता सुनिश्चित होगी।
- सभी राज्य, आवेदक की पात्रता, जातिगत स्थिति, आधार पहचान तथा बैंक खाते के ब्यौरे की ऑनलाइन पोर्टल पर ही जाँच करेंगे।
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण
- इस योजना के अंतर्गत छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, साथ ही इसके तहत आधार सक्षम भुगतान प्रणाली भी प्रयोग में लाई जाएगी, जबकि पहले केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से योजना का वित्तपोषण किया जाता था।
- नई प्रणाली के तहत जैसे ही राज्य तय समय पर अपना हिस्सा हस्तांतरित करेगा, वैसे ही छात्रों को DBT के माध्यम से केंद्र का हिस्सा भी प्राप्त हो जाएगा।
- वित्तपोषण
- मंत्रिमंडलीय समिति ने केंद्र और राज्यों के लिये 60:40 के नए वित्तपोषण पैटर्न के साथ कुल 59,048 करोड़ रुपए के निवेश को मंज़ूरी दी है।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से लागू हो रहे इन बदलावों के तहत केंद्र सरकार का हिस्सा यह सुनिश्चित करने के बाद ही जारी किया जाएगा कि संबंधित राज्य सरकार ने अपना हिस्सा जारी कर दिया है।
- इन बदलावों से इस योजना में केंद्र सरकार की अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।
- मज़बूत निगरानी तंत्र
- सोशल ऑडिट, तीसरे पक्ष द्वारा वार्षिक मूल्यांकन और प्रत्येक संस्थान की अर्द्ध-वार्षिक स्वतः अंकेक्षित रिपोर्टों आदि के माध्यम से निगरानी तंत्र को और सुदृढ़ किया जाएगा।