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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जम्मू एवं कश्मीर राज्य का विशेष दर्ज़ा

  • 18 Jul 2017
  • 5 min read

संदर्भ
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्ज़ा पर पुनः विवाद शुरू हो चुका है| सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जा चुकी अनेक जनहित याचिकाओं में राज्य को प्राप्त हुए इस विशेष दर्ज़े को गैर-निवासियों, सरकारी रोज़गारों और अचल संपत्ति खरीददारों के लिये भेदभावपूर्ण बताया गया है| सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि यह एक संवेदनशील और संवैधानिक मामला है और इस पर पुनः विचार-विमर्श की आवश्यकता है|

प्रमुख बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस मामले को छह सप्ताह बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है|
  • दरअसल, जनहित याचिका के प्रत्युत्तर में राज्य सरकार का यह तर्क था कि राज्य को विशेष दर्ज़ा 1954 के राष्ट्रपति के आदेश द्वारा प्रदान किया गया है| इसके अंतर्गत राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान किये गए हैं|
  • वास्तव में, यह सुनवाई जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा इससे पूर्व दिये गए आदेश के परिणामस्वरूप हुई थी| अपने पूर्व आदेश में उच्च न्यायालय का यह कहना था कि अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान में स्थायी स्थान प्राप्त है तथा इसमें किसी भी प्रकार का संशोधन, इसका निरसन अथवा निराकरण नहीं किया जा सकता है|
  • विदित हो कि अनुच्छेद 35 ‘अ’ राज्य में लागू किये गए मौजूदा कानूनों से संरक्षण प्रदान करता है|

न्यायालय के तर्क

  • यद्यपि अनुच्छेद 370 को ‘अस्थायी प्रावधान’ नामक शीर्षक दिया गया है और इसे संविधान के पैरा-21 में ‘अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान ' के रूप में शामिल किया गया है परन्तु फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि यह संविधान में स्थायी तौर पर शामिल हो चुका है|
  • वस्तुतः यह अनुच्छेद संशोधन, निरसन अथवा निराकरण से परे है क्योंकि इसे संविधान में शामिल करने से पूर्व राज्य की संविधान सभा ने इसके संशोधन और निरसन की अनुसंशा नहीं की थी|
  • हालाँकि अनुच्छेद 370 (1) के तहत राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त है कि वह राज्य सरकार के परामर्श या सहमति से राज्य के संविधान के किसी भी अनुच्छेद का विस्तार कर सकता है|
  • ध्यातव्य है कि जम्मू और कश्मीर के पास भारत में रहते हुए भी सीमित संप्रभुता थी और इसका विलय अन्य रियासतों के समान ही भारत में नहीं किया गया था|
  • भारत द्वारा इसे दी गई सीमित संप्रभुता के कारण ही इस राज्य को विशेष राज्य का दर्ज़ा प्रदान किया गया है|

क्यों दिया गया है विशेष राज्य का दर्जा?

  • यह एक सीमांकित राज्य हैं| इसकी सीमाएँ चीन और पाकिस्तान से लगती हैं|
  • यह एक पर्वतीय राज्य है|
  • क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के मध्य होने वाला विवाद|
  • पाकिस्तान और भारतीय सैनिकों के मध्य लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन|
  • वर्ष 1982 में शेख अब्दुल्ला की मृत्यु के पश्चात राज्य में अस्थायित्व की स्थिति|
  • यह उग्रवादियों और भारतीय सैनिकों के मध्य संघर्ष का क्षेत्र बन चुका था|
  • राज्य में अफस्पा का लागू होना, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि यह एक अशांत क्षेत्र है|
  • लगातार चीन(1962) और पाकिस्तान(1965,1971,1999) के साथ हुए युद्दों से इसकी स्थिति कमज़ोर हो चुकी थी|
  • संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी से यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन चुका था|
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