नेट न्यूट्रैलिटी के नियमों को मिली मंज़ूरी, बनी रहेगी इंटरनेट की आज़ादी | 12 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने भारत में निर्बाध तथा मुफ्त इंटरनेट सुविधा सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाते हुए नेट न्यूट्रैलिटी के नियमों को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रस्ताव के अंतर्गत नियमों का उल्लंघन करने या इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में किसी भी तरह के भेदभाव के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।
- इसका तात्पर्य यह है कि कोई भी मोबाइल ऑपरेटर, इंटरनेट सेवा प्रदाता या सोशल मीडिया कंपनी सामग्री उपलब्ध कराने से लेकर इंटरनेट की स्पीड से संबंधित मामले में किसी पसंदीदा वेबसाइट को महत्त्व नहीं दे पाएंगी।
- कंपनियाँ किसी भी सामग्री को ब्लॉक करने, धीमा या अधिमान्य गति प्रदान करने जैसे कार्य नहीं कर पाएंगी।
- यह फैसला मोबाइल ऑपरेटरों, इंटरनेट प्रोवाइडर्स, सोशल मीडिया कंपनियों सब पर लागू होगा।
- दूरसंचार आयोग (दूरसंचार विभाग में उच्चतम निर्णय लेने वाला निकाय) ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा आठ माह पहले सुझाए गए नेट न्यूट्रैलिटी नियमों को मंज़ूरी दी है।
- कुछ उभरती और महत्त्वपूर्ण सेवाओं को इन मानदंडों के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
- आयोग ने नई दूरसंचार नीति के नाम से चर्चित राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 को भी मंज़ूरी दे दी है।
- इन महत्त्वपूर्ण सेवाओं की जाँच करने के लिये दूरसंचार विभाग (Department of Telecom-DoT) के तहत एक अलग समिति की स्थापना की गई है। इनमें स्वायत्त वाहन, डिजिटल हेल्थकेयर सेवाएँ या आपदा प्रबंधन आदि शामिल हो सकते हैं।
नेट न्यूट्रैलिटी क्या है?
- यह शब्द कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्राध्यापक टिम वू द्वारा 2003 में प्रथम बार उपयोग किया गया था।
- नेट न्यूट्रैलिटी(इंटरनेट तटस्थता) वो सिद्धांत है जिसके तहत माना जाता है कि इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियाँ इंटरनेट पर हर तरह के डाटा को एक जैसा दर्जा देंगी।
- इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली इन कंपनियों में टेलीकॉम ऑपरेटर्स भी शामिल हैं। इन कंपनियों को डाटा के लिये अलग-अलग कीमतें नहीं लेनी चाहिये चाहे वह डाटा भिन्न वेबसाइटों पर विजिट करने के लिये हो या फिर अन्य सेवाओं के लिये।