निर्यातकों की मदद के लिये केंद्र की टैक्स रिफंड ड्राइव | 01 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
पिछले कुछ महीनों से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड, सरकार और व्यापार जगत दोनों के लिये चिंता का विषय बना हुआ है। अभी तक सरकार द्वारा जीएसटी रिफंड के रूप में 30,000 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि को मंजूरी दी जा चुकी है। इस राशि के अंतर्गत आईजीएसटी के 16,000 करोड़ रुपए और आईटीसी के 14,000 करोड़ रुपए को भी शामिल किया गया है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि आईटीसी के आँकड़ों में केंद्र एवं राज्य दोनों ही सरकारों द्वारा दी गई मंजूरियों को शामिल किया गया है।
- इस संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि सरकार के पास 14,000 करोड़ रुपए के रिफंड के दावे लंबित हैं, जिसमें इनपुट कर क्रेडिट दावों के साथ-साथ आईजीएसटी रिफंड दावों को भी शामिल किया गया है।
मुख्य बिंदु
- सीबीआईसी (Central Board of Indirect Taxes and Customs -CBIC) ने जून के पहले पखवाड़े में टैक्स रिफंड ड्राइव लॉन्च करने के साथ-साथ निर्यातकों द्वारा दायर रिटर्न में विसंगतियाँ होने के कारण उनके रिफंड दावों को तेजी से निपटाने के निर्देश जारी किये हैं।
- यह कदम नए अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को व्यवस्थित करने और निर्यातकों के नकद धनराशि प्राप्त करने में सुविधा के लिये लाया गया है।
- बहुत समय से निर्यातकों द्वारा यह शिकायत की जा रही थी कि रिफंड में होने वाली देरी के कारण उनके बीच न केवल प्रतिस्पर्द्धा में कमी आई है बल्कि उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है।
- यही कारण है कि सीबीआईसी द्वारा रिफंड में होने वाली देरी को कम करने की कोशिश की जा रही है लेकिन निर्यातकों द्वारा दायर रिटर्न में व्याप्त विसंगतियाँ इस राह में एक महत्त्वपूर्ण बाधा बनी हुई है।
- ऐसे में रिफंड प्रोसेसिंग प्रक्रिया में बदलाव होने और 31 मई से 14 जून तक रिफंड ड्राइव होने से इस समस्या का समाधान निकलने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
- निर्यातकों द्वारा सरकार के इस कदम का स्वागत किया गया है। एफआईईओ (Federation of Indian Exports Organisations - FIEO) के अनुसार, यह कदम विशेष रूप से उन निर्यातकों की मदद करेगा, जिनका वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न में विसंगतियों होने की वज़ह से रिफंड नहीं हो पा रहा था।
- 28 मई को सीबीआईसी द्वारा क्षेत्रीय अधिकारियों को जारी किये गए एक परिपत्र में विभिन्न परिदृश्यों के तहत, निर्यातकों के रिफंड संबंधी दावों को आगे बढ़ाने के लिये निम्नलिखित प्रक्रियाओं को निर्दिष्ट किया गया है-
- सीमा शुल्क, केंद्र एवं राज्य जीएसटी पदाधिकारियों को 30 अप्रैल, 2018 को एवं उससे पहले प्राप्त समस्त जीएसटी रिफंड आवेदनों को निपटाने को कहा गया है।
- इसमें निर्यात पर अदा किये गए आईजीएसटी के रिफंड, अप्रयुक्त आईटीसी के रिफंड और ‘फॉर्म जीएसटी आरएफडी–01ए’ में जमा किये गए सभी अन्य जीएसटी के रिफंड को शामिल किया गया है।
- इस परिपत्र में यह निहित किया गया है कि निर्यातकों ने अपने टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय अनजाने में निर्यात पर भुगतान किये गए आईजीएसटी (integrated GST - IGST) को अंतर्राज्यीय घरेलू आपूर्ति (interstate domestic supplies) पर भुगतान किये गए आईजीएसटी के रूप में घोषित कर दिया है।
- कुछ निर्यातकों ने अपने सेल्स रिटर्न में घोषित देयता के खिलाफ कम करों का भुगतान किया है। इन विसंगतियों के परिणामस्वरूप अभी तक रिफंड को संसाधित नहीं किया जा सका है।
- इस समस्या को ध्यान में रखते हुए एक नए तंत्र को स्थापित किया गया है लेकिन कुछ और मुद्दे रिफंड प्रक्रिया को निर्बाध बनाने में रोड़ा उत्पन्न कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड का दावा करने के लिये सॉफ़्टवेयर को संशोधित करने की आवश्यकता है, जिस पर काम किया जा रहा है।
- सभी जीएसटी रिफंड दावेदारों से कहा गया है कि 30 अप्रैल, 2018 को अथवा उससे पहले जमा किये गए अपने किसी भी रिफंड दावे के निपटान के लिये वे अपने-अपने क्षेत्राधिकार कर प्राधिकरण में जाएँ।
- यदि किसी विशेष दावेदारी के लिये क्षेत्राधिकार (अर्थात् केन्द्र अथवा राज्य) को परिभाषित नहीं किया गया है, तो वैसी स्थिति में वह इनमें से किसी भी क्षेत्राधिकार कर प्राधिकरण के यहाँ जा सकता/सकती है।
- सभी आईजीएसटी रिफंड दावेदार अपने रिफंड की ताज़ा स्थिति से अवगत होने के लिये आइसगेट वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
- सीमा शुल्क से जुड़े क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे निर्यातकों की ओर से व्यापक कदम उठाए जाने को ध्यान में रखते हुए अपने अतिरिक्त श्रमबल और बुनियादी ढाँचागत संसाधनों को इस कार्य में लगा दें।