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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

केंद्र ने व्यापार, औद्योगिक नीतियों एवं सेवाओं के संबंध में मांगी जानकारी

  • 29 Jul 2017
  • 6 min read

संदर्भ 
हाल ही में एक समारोह में वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आर्थिक जगत को विकास एवं उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करने के मद्देनज़र तीन महत्त्वपूर्ण मुद्दों की ओर विशेष ध्यान आकर्षित किया गया है, जिनमें विदेश व्यापार नीति समीक्षा (Foreign Trade Policy - FTP review), विनिर्माण और औद्योगिक नीति में प्रस्तावित सुधार (proposed revamp of manufacturing and industrial policies) और सेवा क्षेत्र में उदारीकरण के लिये विश्व व्यापार संगठन में भारत का प्रस्ताव (India’s proposal at the World Trade Organisation (WTO) on services sector liberalization) शामिल थे|

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को वर्तमान स्तर (16%) से बढ़ाकर वर्ष 2020 तक 25% करने के लिये नई विनिर्माण और औद्योगिक नीति पर कार्य कर रही है|
  • हालाँकि इस क्षेत्र में और अधिक तेज़ी से विकास करने की आवश्यकता है क्योंकि वैश्विक औद्योगिक जगत बहुत तीव्रता से आगे बढ़ रहा है| अत: भारत को विश्व की गति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की आवश्यकता है ताकि इस उभरते हुए क्षेत्र पर और अधिक अनुसंधान करके देश की उन्नति को प्रभावशाली रूप प्रदान किया जा सके|
  • संभवतः कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence - AI), रोबोटिक्स और इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (Internet of Things - IoT) भारत के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं| 
  • इन सबके लिये आवश्यक है कि भारत की नई विनिर्माण और औद्योगिक नीतियों के माध्यम से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों को नज़दीक लाया जाए ताकि विनिर्माण में सेवाओं के बढ़ते योगदान को सुनिश्चित किया जा सके| 
  • चूँकि भारत पहले से ही कई वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का हिस्सा है, अतः इन दोनों नीतियों का उद्देश्य भारत को वस्त्र, दवाओं और इलेक्ट्रॉनिक जैसे उत्पादों के मामले में विनिर्माण को वैश्विक केंद्र बनाना है|
  • ध्यातव्य है कि केंद्र सरकार वर्तमान की विनिर्माण नीति (वर्ष 2011) और औद्योगिक नीति (वर्ष 2009) को चौथी औद्योगिक क्रांति (जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं) के साथ श्रेणीबद्ध करने के लिये नई नीतियों पर कार्य कर रही है| 

टी.एफ.एस. 

  • टी.एफ.एस. समझौते के अंतर्गत निम्नलिखित बातों के संदर्भ में विचार-विमर्श किया जा रहा है - 
  • सीमापारीय व्यापार में प्रवेश और सेवा वितरण हेतु आवश्यक मानकों को व्यवस्थित करना,
  • सामाजिक सुरक्षा योगदानों की सहजता को सुनिश्चित करने की मांग तथा इसके साथ ही प्रवास अथवा वीज़ा के संबंध में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता को सुनिश्चित करना, 
  • विदेशी निवेश मंजूरियों के लिये एकल प्रक्रिया का मार्ग तैयार करना| चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सीमापारीय बीमा कवरेज को सुनिश्चित करना|

    (टीम दृष्टि इनपुट) 

 

टी.एफ.एस. के संबंध में भारत की स्थिति

  • गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से अल्पकालिक कार्य हेतु विदेशी पेशेवरों और कुशल श्रमिकों के सीमापारीय आवागमन से संबंधित मानदंडों को आसान बनाने के लिये विश्व व्यापार संगठन में टी.एफ.एस. समझौते (Trade Facilitation in Services – TFS Agreement) के संबंध में भारत के प्रस्ताव के सन्दर्भ में विचार किया जा रहा है|

सुझाव

  • यदि भारत विनिर्माण क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा से मुकाबला करना चाहता है तो इसे ज्ञान पिरामिड के सभी चरणों में बड़ी संख्या में कुशल मानव शक्ति का सृजन करने की आवश्यकता है|
  • ऐसा करना इसलिये भी ज़रूरी है क्योंकि नीतिगत स्तर की कई चुनौतियाँ भारत के विनिर्माण क्षेत्र के विकास में बाधा उत्पन्न कर रही हैं|
  • इसमें अन्य समस्याओं के साथ-साथ व्यवसाय करने की दिशा में उपस्थित जटिल परिवेश, अवसंरचनात्मक बाधाएँ (जिनमें उच्च बिजली घाटा भी शामिल है), श्रम बाज़ार की सीमाएँ (जिनमें श्रम कानून तथा श्रमिक संघवाद का अभाव शामिल हैं) तथा छोटी फर्मों के लिये वाणिज्यिक बैंकों से ऋण प्राप्त करने में समस्या आदि को सम्मिलित किया जा सकता है| 
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