राजमार्ग के लिये भूमि अधिग्रहण हेतु केंद्र की शक्ति | 10 Dec 2020

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘चेन्नई-कृष्णगिरी-सलेम राष्ट्रीय राजमार्ग’ (Chennai-Krishnagiri-Salem National Highway) के निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण के लिये ‘राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956’ के तहत जारी अधिसूचनाओं को सही ठहराया है।

  • सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय केंद्र सरकार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India) और कुछ भू-स्वामियों तथा कुछ अन्य लोगों द्वारा दायर अपीलों की सुनवाई के दौरान आया है। 
  • गौरतलब है कि इन अपीलों को मद्रास उच्च न्यायालय के उस निर्णय के खिलाफ दायर किया गया था जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा ‘राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956’ के तहत जारी अधिसूचनाओं को ‘अवैध’ बताया गया था। 

प्रमुख बिंदु: 

  • चेन्नई-कृष्णगिरी-सलेम राष्ट्रीय राजमार्ग: 
    • यह राष्ट्रीय राजमार्ग भारतमाला परियोजना के पहले चरण का हिस्सा है।
      • भारतमाला परियोजना 24,800 किलोमीटर तक फैली हुई है और इसका अनुमानित परिव्यय लगभग 5.35 लाख करोड़ रुपए है। इसका उद्देश्य देश भर में माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही से संबंधित बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।
  •  यह 277.3 किलोमीटर लंबी आठ-लेन की एक ग्रीनफील्ड परियोजना है, जिसका उद्देश्य चेन्नई और सलेम के बीच यात्रा में लगने वाले समय को लगभग आधा करना है अर्थात् करीब सवा दो घंटे कम करना है।
    • ‘ग्रीनफील्ड परियोजना’ का तात्पर्य ऐसी परियोजना से है जिसमें किसी पूर्व कार्य/ परियोजना का अनुसरण नहीं किया जाता है। जहाँ मौजूदा संरचना को फिर से तैयार करने या ध्वस्त करने की आवश्यकता नहीं है।
    • इस परियोजना का विरोध किसानों (भूमि खोने का डर), पर्यावरणविदों (पेड़ों की कटाई के खिलाफ) आदि कुछ स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है। यह राजमार्ग आरक्षित वन और जल निकायों के बीच से होकर गुज़रेगा।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:

केंद्र की शक्तियाँ:

  • संविधान किसी राज्य के अनुभाग (अस्तित्व विहीन सड़क या मौजूदा राजमार्ग) पर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की संसद की शक्ति को सीमित नहीं करता है।
  • संविधान में उल्लेखित प्रावधान स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि किसी राजमार्ग के राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में नामित होने से संबंधित सभी विधायी एवं कार्यकारी शक्तियाँ संसद में निहित हैं।
  • केंद्र सरकार संबंधित क्षेत्र में लोगों के सामाजिक न्याय और कल्याण को बढ़ावा देने के लिये संविधान (राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों) के भाग IV के तहत अपने दायित्वों को ध्यान में रखते हुए एक नए राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने हेतु स्वतंत्र है।

राष्ट्रीय राजमार्गों का महत्त्व:

  • राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) यात्रियों और वस्तुओं के अंतर-राज्यीय आवागमन के लिये देश की महत्त्वपूर्ण सड़कें हैं।
  • ये सड़कें देश में लंबाई और चैड़ाई में आर-पार तक फैली हुई हैं तथा राष्ट्रीय एवं राज्यों की राजधानियों, प्रमुख पत्तनों, रेल जंक्शनों, सीमा से लगी हुई सड़कों तथा विदेशी राजमार्गों को जोड़ती हैं।

परियोजना से संबंधित अन्य पहलू:

  • मद्रास उच्च न्यायालय ने अधिग्रहण की कार्यवाही को गलत बताया था क्योंकि इस कार्यवाही से पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी नहीं ली गई थी।
    • SC ने कहा कि निर्दिष्ट भूमि के अधिग्रहण के लिये पहले किसी भी पर्यावरणीय मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं होती है, यह केवल तभी आवश्यक है जब वास्तविक सड़क बनाने का कार्य शुरू किया जाए।
    • निष्पादन एजेंसी (National Highway by The Executing Agency) द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग के "वास्तविक निर्माण या निर्माण कार्य" शुरू करने  से पहले पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम और 1986 के नियमों के तहत पर्यावरणीय मंज़ूरी लेनी आवश्यक है।
  • राजमार्ग के रास्ते में "परिवर्तन" के बारे में शिकायतों पर अदालत ने कहा कि इस तरह की एक परियोजना में 15% की सीमा तक परिवर्तन अनुमेय (Permissible) था।
  • भूमि उपलब्धता कारकों से संबंधित अनपेक्षित मुद्दे जैसे- भीड़ से संबंधित कारक, दूरी में कमी, परिचालन दक्षता आदि परिवर्तनों को आकर्षित करती है।

राष्ट्रीय राजमार्ग

  • भारत में प्रमुख सड़कें राष्ट्रीय (NH) और राज्य राजमार्ग (SH) हैं। NH का निर्माण, रखरखाव और वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, जबकि SH संबंधी कार्य राज्यों के सार्वजनिक विभाग द्वारा किये जाते हैं।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग सातवीं अनुसूची में शामिल संघ सूची के तहत घोषित किया जाता है।
    • अनुच्छेद 257 (2): संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को ऐसे संचार साधनों के निर्माण और उन्हें बनाए रखने के संबंध में निर्देश देने तक होगा जिनका राष्ट्रीय या सैनिक महत्त्व का होना उस निर्देश में घोषित किया गया है।
      • बशर्ते कि इस खंड में राजमार्गों या जलमार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग या राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के लिये संसद की शक्ति को प्रतिबंधित करने के रूप में या संघ द्वारा घोषित राजमार्गों या जलमार्गों के संबंध में नहीं लिया जाएगा।
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मुख्य रूप से NH के विकास और रख-रखाव के लिये उत्तरदायी है।
    • मंत्रालय ने सीमा क्षेत्रों के गैर-प्रमुख बंदरगाहों हेतु सड़क संपर्क सहित तटीय सड़कों का विकास, राष्ट्रीय गलियारों की दक्षता में सुधार, आर्थिक गलियारों का विकास, और भारतमाला परियाजना के तहत सागरमाला के साथ फीडर रूट का एकीकरण आदि के लिये सड़क संपर्क को विकसित करने की दृष्टि से NH नेटवर्क की विस्तृत समीक्षा की है
  • देश में NH को राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के तहत अधिसूचित किया गया है। 
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का गठन भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1988 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण और प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए किया गया।
  • NH और संबंधित उद्देश्यों के लिये भूमि अधिग्रहण राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत किया जाता है तथा भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और स्थानांतरण में उचित मुआवज़े और पारदर्शिता का अधिकार (RFCTLARR) अधिनियम, 2013 की पहली अनुसूची के अनुसार मुआवज़ा निर्धारित किया जाता है।
  • भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटलीकरण और स्वचालित करने के लिये वर्ष 2018 में भूमि राशि पोर्टल लॉन्च किया गया था।
  • ग्रीन हाईवे  नीति, 2015 का उद्देश्य (वृक्षारोपण, प्रतिरोपण, सौंदर्यीकरण और रखरखाव) समुदाय, किसानों, निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठनों तथा सरकारी संस्थानों की भागीदारी के साथ राजमार्ग गलियारों में हरियाली को बढ़ावा देना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस