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भारतीय अर्थव्यवस्था

अफीम की खेती के निजीकरण की राह में पहला कदम

  • 05 May 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने अफीम की खेती के निजीकरण और नारकोटिक कच्चे माल के निष्कर्षण की दिशा में पहला कदम उठाया है। सरकार ने फसल उपज में सुधार करने वाली नई तकनीक के माध्यम से पोस्ता (poppy) की खेती और अफीम के निष्कर्षण के लिये रुसन फार्मा (Rusan Pharma) को लाइसेंस प्रदान किया है।

  • रुसन फार्मा कंपनी को खुली निविदा के माध्यम से दो साल की पायलट परियोजना दी गई है।
  • आपको बता दें कि गुणवत्ता वाले बीजों के इस्तेमाल, अफीम निकालने के लिये नई तकनीक का उपयोग और दवाइयों में अर्क विकसित करने के संदर्भ में यह लाइसेंस दिया गया है।

अफीम क्या होता है?

  • अफीम (Opium) का वैज्ञानिक नाम  lachryma papaveris है।
  • अफीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के latex को सुखाकर इसे तैयार किया जाता है। 
  • अफीम में 12% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत करके हैरोइन (heroin) एक प्रकार का मादक पदार्थ या ड्रग तैयार किया जाता है।
  • अफीम मॉर्फिन (morphine), कोडेन (codeine) और बैन (baine) जैसे अल्कालोइड (alkaloids) का स्रोत होता है।
  • इसका इस्तेमाल एंटी-एडिक्शन उपचारों और अत्यधिक दर्द का निवारण करने वाली दवाओं में किया जाता है।

पोस्त या पॉपी क्या है?

  • पोस्त या पॉपी (Poypp) या पोस्ता भूमध्यसागर प्रदेश का देशज माना जाता है। मुख्य रूप से इसकी खेती भारत, चीन, एशिया माइनर, तुर्किस्तान आदि देशों में की जाती है। 
  • भारत में पोस्त की खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में की जाती है। भारत में पोस्त की खेती एवं व्यापार करने के लिये सरकार के आबकारी विभाग से आज्ञा लेना आवश्यक होता है।
  • पोस्त के पौधे से अफीम निकलती है, जो एक नशीला पदार्थ है। पोस्त का पौधा लगभग 60 सेंटीमीटर ऊँचा होता है। 
  • पोस्ते की दूसरी जातियों को जिन्हें केवल फूलों के लिये उगाया जाता है, को ''शर्ली पॉपीज'' कहते हैं।

क्या आप जानते हैं?

  • पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से विभिन्न कारणों से देश में पोस्त की खेती में संलग्नित क्षेत्र में निरंतर कमी आ रही है, इस समयावधि में यह क्षेत्र 26,000 हेक्टेयर से घटकर मात्र 5,800 हेक्टेयर तक सिमित हो गया है। 
  • पिछले 10 सालों में पोस्त की खेती में संलग्नित किसानों की संख्या 1.60 लाख से घटकर 70,000 से 80,000 हो गई है।

भारत में अफीम की खेती

  • भारत में अफीम का उत्पादन अत्यधिक नियंत्रित है। किसान अपनी उपज को केंद्र सरकार को बेचते हैं, इसके बाद इस उपज को नीमच (मध्य प्रदेश) और गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) में अवस्थित सरकारी अफीम एवं अल्कालोइड कारखानों (Government Opium and Alkaloid Factories) में प्रसंस्करण के लिये भेजा जाता है।
  • इसके बाद अफीम के निष्कर्षण को फार्मा कंपनियों को खाँसी की दवाई, दर्द निवारक दवाओं के निर्माण हेतु भेजा जाता है।
  • लेकिन प्रदूषण की समस्याओं के कारण राज्य के स्वामित्व वाले संयंत्र बंद हो गए, यही कारण है कि केंद्र सरकार इस पूरी प्रक्रिया को अपग्रेड करना चाहती है।
  • इस निर्णय के पीछे सरकार की मंशा यह है कि अफीम की खेती में निजी भागीदारी होने से किसान को उपलब्ध बीजों की गुणवत्ता में सुधार आएगा और फसल की उपज की मात्रा में भी सुधार होगा, जिससे किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत प्राप्त हो सकेगी।
  • इसके अतिरिक्त इस कदम से भारत को निर्यात बाज़ार में अपनी जगह हासिल करने में भी मदद मिल सकती है। भारत, अमेरिका और यूरोप को अफीम का निर्यात करता है।भारत को अपनी पारंपरिक लैंसिंग विधियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है, परंतु अब इस परिदृश्य में बदलाव आने की संभावना है।

पुराने को बदलना

  • वर्तमान समय में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के केवल कुछ ही क्षेत्रों में अफीम का उत्पादन किया जाता है। आज भी किसानों द्वारा लैंसिंग प्रक्रिया के माध्यम से अफीम गम में कटाई की परंपरागत विधि का उपयोग किया जाता है।
  • इस नई स्ट्रॉ टेक्नोलॉजी में बड़े पैमाने पर मशीनीकृत विधि के माध्यम से अफीम गम की कटाई की जाती है।
  • इस पायलट प्रोग्राम के तहत, रुसन फार्मा यूरोपीय भागीदारों से बीज प्राप्त कर किसानों को गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति करेगी।
  • वर्तमान में लगभग 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र पर वाणिज्यिक उपयोग हेतु अफीम की खेती की जाती है। ट्रायल के तौर पर कंपनी यूपी और राजस्थान में दो हेक्टेयर भूमि पर ही इन नए बीजों की खेती करेगी।

चिंता का कारण 

  • चूँकि, इस समय सरकारी उत्पादन सुविधा उपयोग में नहीं है। अत: किसान अपनी उपज को अपने पास संग्रहित करने को मजबूर हैं, जिसके कारण कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
  • दुनिया में कानूनी अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद वर्तमान में भारत केवल 20 टन कौडीन का आयात (60 टन की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिये) कर रहा है।
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