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शीघ्र जारी होगा ई-वॉलेट दिशा-निर्देश का प्रारूप

  • 10 Mar 2017
  • 3 min read

समाचारों में क्यों?

देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके कारण ई-वॉलेट से भुगतान का चलन बढ़ रहा है, लेकिन इस दौरान कुछ उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी के मामले भी प्रकाश में आए हैं। अतः उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और साइबर सुरक्षा को लेकर इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ‘डिजिटल पेमेंट फॉर वॉलेट’ नाम से जारी होने वाले दिशा-निर्देश का प्रारूप शीघ्र जारी करने जा रहा है।

दिशा-निर्देश के प्रारूप से संबंधित मुख्य बिंदु

उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरि मानते हुए सरकार डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से यह दिशा-निर्देश जारी करने जा रही है। विदित हो कि इसके प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है और शीघ्र ही इसे सार्वजनिक कर सभी हितधारकों से टिप्पणी मांगी जाएगी।

दिशा-निर्देश के अनुसार प्रत्येक वॉलेट फर्म या कंपनी को अपनी वेबसाइट पर प्राइवेसी पॉलिसी प्रकाशित करनी होगी। उसको एक मुख्य शिकायत निवारण अधिकारी बहाल करना होगा और उस अधिकारी के संपर्क विवरण को वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा। मुख्य शिकायत निवारण अधिकारी को शिकायतों पर 36 घंटे के भीतर कार्रवाई करनी होगी और महीने भर के अंदर मामले का निपटारा करना होगा। कंपनियों को साइबर अटैक की सूरत में तुरंत सरकारी एजेंसियों को उसके बारे में बताना होगा।

गौरतलब है कि ई-वॉलेट से लेन-देन का वित्तीय मामला रिज़र्व बैंक के पास है लेकिन उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण और साइबर सुरक्षा का मुद्दे इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन हैं। सरकार इस बात का ध्यान रखेगी कि दिशा-निर्देशों के मसौदे को लेकर लेकर रिज़र्व बैंक और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच किसी तरह की टकराव की स्थिति उत्पन्न न हो।

क्या है ई-वॉलेट ?

जिस तरह से बैंक हमारे पैसे को डेबिट कार्ड के जरिये खर्च करने की सहूलियत देता है, ठीक वैसे ही कुछ ‘पेमेंट सर्विसेज’ मोबाइल ऐप या कंप्यूटर के जरिये भुगतान करने की सुविधा देते हैं। यह सुविधा ई-वॉलेट के माध्यम से दी जाती है। वॉलेट में एक निश्चित रकम रखी जा सकती है, जिसके जरिये ज़रूरत पड़ने पर भुगतान किया जा सकता है। गौरतलब है कि ई-वालेट से भुगतान करते समय कार्ड डिटेल्स भरने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ऐसे में निजी डाटा के लीक होने या हैकिंग की सम्भावनाएँ भी कम हो जाती हैं।

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