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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पवन ऊर्जा की बोली हेतु नए दिशा-निर्देश

  • 13 Dec 2017
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

सरकार द्वारा विद्युत अधिनियम (Electricity Act) 2003 की धारा 63 के तहत दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के तहत पवन ऊर्जा की खरीद हेतु लगने वाली बोली की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी। साथ ही इसमें प्रक्रिया के मानकीकरण, भूमिका निर्धारण तथा विभिन्न हितधारकों की ज़िम्मेदारियों जैसे पहलुओं को भी शामिल किया गया है। 

उद्देश्य

  • इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य वितरक लाइसेंसधारियों को किफायती तरीके से प्रतियोगी दरों पर पवन ऊर्जा खरीदने में सक्षम बनाना है।

इन दिशा-निर्देशों के लागू होने की प्रक्रिया

  • इन दिशा-निर्देशों को ग्रिड से जुड़ी पवन ऊर्जा परियोजना (डब्ल्यूपीपी) से पवन ऊर्जा खरीदने हेतु लगने वाली ऐसी बोलियों पर लागू किया जाएगा, जिनका आकार -
    ► अंतर्राज्यीय परियोजनाओं के लिये एक स्थल पर कम से कम 25 मेगावाट की बोली क्षमता के 5 मेगावाट का आकार हो, तथा
    ► अंतर्राज्यीय परियोजनाओं के लिये एक स्थल पर कम से कम 50 मेगावाट की बोली क्षमता के 50 मेगावाट का आकार हो।

प्रमुख विशेषताएँ

► ग्रिड अनुपलब्धता तथा ब्रैकिंग डाउन के लिये क्षतिपूर्ति। 
► बेहतर भुगतान सुरक्षा व्यवस्था।
► बोली प्रक्रिया का मानकीकरण। 
► कानून में परिवर्तन।
► अप्रत्याशित घटना जैसे प्रावधानों के ज़रिये विभिन्न हितधारकों के बीच जोखिम भागीदारी की रूपरेखा तैयार करना। 
► क्रेता तथा उत्पादक द्वारा चूक किये जाने की स्थिति में ठोस कदम उठाना इत्यादि।

अन्य प्रमुख बिंदु

  • इन दिशा-निर्देशों के अनुपालन से न केवल पवन ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे ऊर्जा के स्रोतों में भी वृद्धि होगी। इससे वे राज्य जहाँ तेज हवाएँ चलती हैं स्वयं पवन ऊर्जा खरीद के लिये बोली में भाग लेने की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। 
  • विदित हो कि निरंतर टैरिफ के बजाय बोली रूट को अपनाने के बाद एस.ई.सी.आई. (Solar Energy Corporation of India Ltd.) के माध्यम से मुख्यतः केंद्र सरकार की बोलियाँ ही लगा करती थीं, जिनके दम पर इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलता था। परंतु, इन दिशा-निर्देशों के लागू होने के बाद इस स्थिति में उल्लेखनीय परिवर्तन होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। 
  • एस.ई.सी.आई. की दूसरी बोली द्वारा प्राप्त प्रति यूनिट 2.64 रुपए की अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दरों और राज्यों के लिये जारी इन दिशा-निर्देशों को देखते हुए वर्ष 2022 तक 60 गीगावाट की विद्युत प्राप्ति की दिशा में पवन क्षेत्र द्वारा उल्लेखनीय प्रगति करने की उम्मीद है।

भारत में पवन ऊर्जा की स्थिति

  • भारत में पवन ऊर्जा उद्योग की स्थापना 1980 के दशक के अंत में हुई थी। स्थापना के कई वर्षों तक यह केवल तमिलनाडु राज्य में कार्यरत रही। परंतु, पिछले एक दशक से यह देश के तकरीबन आठ अन्य राज्यों में भी प्रसारित हो गई है। 
  • वर्तमान में पवन ऊर्जा क्षेत्र के कुल आठ राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात के साथ-साथ राजस्थान जैस पश्चिमी राज्य भी शामिल है। 
  • इस क्षेत्र में बढ़ती आशावादिता की मुख्य वज़ह यह है कि केंद्र सरकार पवन ऊर्जा उत्पादकों से विद्युत की खरीद करके इसे अन्य विद्युत आपूर्तिकर्ता कंपनियों को बेचना चाहती है, ताकि देश के ऐसे गरीब क्षेत्रों तक भी विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके जिन्हें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये महँगे संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है।
  • वस्तुतः देश के प्रत्येक कोने को प्रकाशमयी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार इस दिशा में एक वास्तविक व्यापारी की भूमिका का निर्वाह कर रही है।
  • गौरतलब है कि पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 32,280 मेगावाट की क्षमता के साथ भारत का चीन, अमेरिका तथा जर्मनी के बाद विश्व में चौथा स्थान है। 
  • इतना ही नहीं वरन् वर्ष 2022 तक भारत की पवन ऊर्जा क्षमता को वर्तमान के स्तर से बढ़ाकर 60 गीगावाट तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि भारत की संपूर्ण ऊर्जा क्षमता में 3.2 लाख मेगावाट ऊर्जा के साथ पवन ऊर्जा का योगदान तकरीबन 10 फीसदी का है।

अपतटीय पवन ऊर्जा

  • अपतटीय पवन ऊर्जा संयंत्र समुद्री सीमा से सटे 200 नॉटिकल्स मील के भीतर समुद्र में लगाए जाएंगे। यह नीति सफल रही तो देश के ऊर्जा बाज़ार में उल्लेखनीय प्रगति हो सकती है और इससे पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं में भी कमी होगी।  
  • विश्व के कई देशों में अपतटीय पवन ऊर्जा के बढ़िया स्रोत मिले हैं और भारत में भी इसकी अपार संभावनाएँ हैं, क्योंकि हमारा 7,600 किलोमीटर लंबा समुद्रतट है।  
  • केवल गुजरात में ही इससे 1.06 लाख मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है। इसी प्रकार तमिलनाडु में भी करीबन 60 हज़ार मेगावाट बिजली इस परियोजना के तहत बनाई जा सकती है।
  • इस नीति के तहत देशी व विदेशी कंपनियों को एक समान अवसर दिये जाएंगे और 100 प्रतिशत विदेशी इक्विटी की अनुमति दी गई है। 
  • भारत में पवन ऊर्जा को लेकर पहले से ही काफी काम हो रहा है और फिलहाल देश में लगभग 2300 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है।
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