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भारतीय अर्थव्यवस्था

राज्यों को GST क्षतिपूर्ति का भुगतान

  • 30 Jul 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

‘वस्तु एवं सेवा कर’ संरचना, अप्रत्यक्ष कर 

मेन्स के लिये:

वस्तु एवं सेवा कर का महत्त्व, वित्तीय संघवाद पर GST का प्रभाव   

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त पर गठित संसदीय स्थायी समिति को सूचित किया गया है कि वर्तमान सरकार राजस्व बँटवारे के फार्मूले के अनुसार राज्यों को ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (Goods and Services Tax-GST) के  हिस्से का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। 

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिये राज्यों GST की क्षतिपूर्ति के लिये 13,806 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है।
    • इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल क्षमता को बेहतर करने तथा कोविड-19 महामारी हेतु राहत कार्यों को त्वरित करने में जुटे राज्यों को सहायता मिलेगी।
  • महामारी के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में राजस्व में कमी होने वाली है। यहाँ तक कि मार्च 2020 में भी GST संग्रह में भी गिरावट देखी गई है।
  • यदि राजस्व संग्रह एक निश्चित सीमा से नीचे चला जाता है, तो राज्य सरकारों को क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिये फॉर्मूले पर फिर से निर्धारित करने का GST अधिनियम में प्रावधान किया गया है।

GST के तहत मुआवज़ा:

  • 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद 1 जुलाई, 2017 से GST व्यवस्था को लागू को लागू किया गया जिसमे बड़ी संख्या में केंद्रीय और राज्य अप्रत्यक्ष कर एकल GST में शामिल कर लिये गए।
  • GST कार्यान्वयन से कर राजस्व में कमी होने पर केंद्र सरकार द्वारा पाँच वर्ष के लिये राज्यों को क्षतिपूर्ति के भुगतान का वायदा किया गया है। इसी कारण GST व्यवस्था के लिये अनिच्छुक कई राज्यों ने भी इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था पर हस्ताक्षर किये थे।
  • GST अधिनियम के अनुसार यदि प्रथम पाँच वर्षों तक राजस्व संग्रहण में संवृद्धि 14%  (आधार वर्ष 2015-16) से नीचे आने पर राज्यों को इसकी क्षतिपूर्ति का भुगतान केंद्र द्वारा किया जाएगा।
    • क्षतिपूर्ति उपकर (Compensation Cess) के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को प्रति दो माह पर GST क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है।
    • इस उपकर को 1 जुलाई, 2022 तक चुनिंदा वस्तुओं (विलासिता और उपभोग की वस्तु) और/या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर लगाकर एकत्र किया जाएगा।
    • विशिष्ट अधिसूचित वस्तुओं का निर्यात करने वाले तथा’ GST कंपोज़िशन योजना’ (GST Composition Scheme) का विकल्प चुनने वालों के अलावा, सभी करदाता केंद्र सरकार को क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण एवं प्रेषण हेतु उत्तरदायी हैं।

चिंताएँ:

  • प्राथमिकताओं से विचलन: समिति द्वारा लॉकडाउन के बाद अपनी पहली बैठक आयोजित की गई जिसमे वर्तमान महामारी और इसके विरुद्ध भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करने के बजाय ‘नवाचार पारितंत्र एवं भारत की विकास कंपनियों का वित्तीयन’ जैसे विषय पर चर्चा की गई। 
  • अस्पष्ट वित्त: वर्ष 2020-21 का बजट अब प्रासंगिक नहीं है क्योंकि यह राजस्व संग्रह के बारे में कुछ अनुमानों पर आधारित था और इस वर्ष समग्र राजस्व कमी पर सरकार की ओर से कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया है।
    • विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को प्रेरित करने के लिये सरकार द्वारा किसी राहत पैकेज की प्रभावकारिता पर भी कोई स्पष्टता व्यक्त नहीं की गई है।
  • बढ़ता अंतराल: क्षतिपूर्ति उपकर तथा केंद्र द्वारा राज्यों को किये जाने वाले भुगतान के बीच अंतराल संभावित आर्थिक संकुचन के साथ बढ़ने की आंशका है और इससे GST संग्रह भी प्रभावित हो सकता है।
    •  महामारी के दौरान लोगों द्वारा विलासिता की वस्तुओं पर कम खर्च करने की प्रवृत्ति से क्षतिपूर्ति उपकर अंतर्वाह में कमी आ सकती है।
  • भुगतान की समस्या: इस वर्ष राज्यों को मुआवजा देना केंद्र के लिये और भी कठिन होने वाला है क्योंकि वित्त वर्ष 2019-20 में राज्यों को दिया जाने वाला क्षतिपूर्ति भुगतान लगभग 70,000 करोड़ रुपए कम है।
    • GST लागू होने के पहले दो वर्षों में उपकर राशि एवं भारत की संचित निधि से एकीकृत GST (Integrated Goods and Service Tax-IGST) निधियों का प्रयोग करके इस समस्या का समाधान किया गया था।
    • IGST को वस्तुओं और सेवाओं की अंतर्राज्यीय आपूर्ति पर लगाया जाता है तथा वर्ष 2017-18 में एकत्र किये गए इसके कुछ हिस्से का अभी तक राज्यों को आवंटन नहीं किया गया है।
  • बैठकों में विलंब: क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर कार्य करने के लिये GST परिषद (GST Council) की बैठक जुलाई में प्रस्तावित थी लेकिन अभी तक बैठक आयोजित नहीं की गई है।

आगे की राह:

  • राज्यों को क्षतिपूर्ति के वायदे को पूरा करने के लिये केंद्र द्वारा भविष्य में GST उपकर संग्रहण की गारंटी पर विशेष ऋण लेने के सुझाव पर विचार किया जा सकता है।
  • केंद्र एवं राज्यों दोनों को महामारी के कारण पैदा हुई कई चुनौतियों से निपटने के लिये नकदी पर स्पष्टता और निश्चितता की आवश्यकता है ताकि महामारी की स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाला जा सके।
  • देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और सरकार को उन तरीकों के बारे में सोचने की जरूरत है जिनके माध्यम से GST संग्रह को बढ़ाया जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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