सार्वजनिक खरीद में बोली लगाने संबंधी नियमों में सख्ती | 24 Jul 2020
प्रीलिम्स के लियेसामान्य वित्तीय नियमावली, 2017 और संबंधित संशोधन, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मेन्स के लियेसरकार द्वारा जारी किये गए आदेश और भारत-चीन व्यापार संबंधों पर इनका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने सामान्य वित्तीय नियमावली, 2017 (General Financial Rules 2017) में संशोधन करते हुए भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों के निवेशकों की ओर से सार्वजनिक खरीद में बोली लगाने पर कुछ प्रतिबंध अधिरोपित किये हैं।
प्रमुख बिंदु
- सार्वजनिक खरीद पर प्रतिबंध
- वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों का कोई भी बोलीदाता भारत की किसी भी सार्वजनिक खरीद में बोली लगाने के लिये तभी पात्र होगा, जब वह बोलीदाता उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा गठित पंजीकरण समिति के साथ पंजीकृत होगा।
- इसके अलावा क्रमशः विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से राजनीतिक एवं सुरक्षा संबंधी मंज़ूरी भी अनिवार्य होगी।
- कारण: भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों के बोलीदाताओं पर इस प्रकार के प्रतिबंध मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत के हितों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाले अन्य कारणों के मद्देनज़र लिया गया है।
- राज्यों पर भी लागू होगा आदेश
- वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह आदेश राज्य सरकारों पर भी लागू होगा, क्योंकि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में राज्य काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
- गौरतलब है कि राज्य सरकार के संबंध में मंज़ूरी के लिये सक्षम प्राधिकरण का गठन स्वयं राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा, किंतु इस स्थिति में भी क्रमशः गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मंज़ूरी अनिवार्य होगी।
- उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा जारी यह आदेश सरकारी बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों, स्वायत्त निकायों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) और सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाएँ आदि पर लागू होगा।
- नियम में अपवाद और छूट
- ध्यातव्य है कि सरकार ने कुछ सीमित मामले में इस नियम के तहत छूट भी प्रदान की है, जिसमें 31 दिसंबर, 2020 तक COVID-19 से संबंधित चिकित्सा आपूर्ति की खरीद शामिल है।
- सरकार द्वारा जारी एक अन्य आदेश के अनुसार, जिन देशों को भारत सरकार द्वारा लाइन ऑफ क्रेडिट (Line of Credit) प्रदान किया है अथवा जिन्हें सरकार विकास संबंधी सहायता प्रदान करती है, उन्हें पूर्व पंजीकरण की आवश्यकता से छूट दी गई है।
- सरकार का प्रतिबंध संबंधी आदेश सभी नई निविदाओं (Tenders) पर लागू होगा।
- वहीं पहले से आमंत्रित निविदाओं के मामले में, यदि मूल्यांकन का पहला चरण पूरा नहीं हुआ है, तो नए आदेश के तहत पंजीकृत न होने वाले बोलीदाताओं को योग्य नहीं माना जाएगा।
- यदि पहला चरण पूरा कर लिया गया है, तो नियमों के अनुसार, आमंत्रित निविदाओं को रद्द कर दिया जाएगा और इस प्रक्रिया को पुनः नए सिरे से शुरू किया जाएगा।
- इस कदम के निहितार्थ
- वर्तमान में भारत कुल 7 देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, चीन, भूटान, बांग्लादेश और म्याँमार के साथ थल सीमाएँ साझा करता है।
- गौरतलब है कि भारत सरकार ने अपने आदेश के माध्यम से बांग्लादेश, नेपाल और म्याँमार जैसे देशों को छूट प्रदान की है, जिन्हें या तो भारत ने लाइन ऑफ क्रेडिट (Line of Credit) प्रदान किया है या फिर भारत उनको विकास संबंधी सहायता प्रदान कर रहा है।
- ऐसे में इस निर्णय का सबसे अधिक प्रभाव चीन और पाकिस्तान पर देखने को मिलेगा और इन देशों के बोलीदाताओं को अब सार्वजनिक खरीद में हिस्सा लेने से पूर्व सरकार से मंज़ूरी प्राप्त करनी होगी।
- कई विशेषज्ञ भारत सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई को चीन के विरुद्ध एक बड़ी दंडात्मक व्यापार कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप चीन के बोलीदाताओं को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
FDI संबंधी नियमों पर भी प्रतिबंध
- ध्यातव्य है कि इससे पूर्व भारत सरकार ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों में भारत की थल सीमा (Land Border) से जुड़े पड़ोसी देशों से ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (Foreign Direct Investment- FDI) के लिये सरकार की अनुमति को अनिवार्य कर दिया था।
- संबंधित आदेश के अनुसार, ऐसे सभी विदेशी निवेश के लिये सरकार की अनुमति की आवश्यकता होगी जिनमें निवेश करने वाली संस्थाएँ या निवेश से लाभ प्राप्त करने वाला व्यक्ति भारत के साथ थल सीमा साझा करने वाले देशों से हो।
- केंद्र सरकार के इस इस नियम का मुख्य उद्देश्य COVID-19 के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक दबाव के बीच भारतीय कंपनियों के ‘अवसरवादी अधिग्रहण’ को रोकना है।