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शासन व्यवस्था

राजनीतिक संगठन और विदेशी धन

  • 07 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स ले लिये:

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, (FCRA) 2010

मेन्स के लिये:

राजनीतिक घोषित कर संगठनों को प्रतिबंधित करने संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा है कि केंद्र सरकार किसी भी संगठन को ‘राजनीतिक’ घोषित कर उसे विदेशी धन प्राप्त करने से नहीं रोक सकती है।

पृष्ठभूमि

  • ध्यातव्य है कि बीते कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, (FCRA) 2010 के प्रावधानों का उपयोग करते हुए कई गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को विदेशी धन प्राप्त करने से प्रतिबंधित कर दिया।
  • केंद्र सरकार के इस प्रतिबंध को लेकर इंडियन सोशल एक्शन फोरम (INSAF) नामक NGO ने एक याचिका दायर की जिसमें विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, (FCRA) 2010 और विदेशी योगदान (विनियमन) नियम, 2011 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई।

FCRA के प्रावधान जिन्हें चुनौती दी गई

  • FCRA की धारा 5(1)
    • यह प्रावधान केंद्र को यह तय करने की अनुमति देता है कि वास्तव में कोई गैर-राजनीतिक संगठन राजनीतिक प्रकृति का है या नहीं। INSAF का कहना है कि FCRA की धारा 5(1) काफी अधिक अस्पष्ट है, असंवैधानिक बनाता है।
  • FCRA की धारा 5(4)
    • INSAF का तर्क है कि अधिनियम की इस धारा में उस प्राधिकरण को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है जिसके समक्ष एक संगठन सरकार द्वारा राजनीतिक घोषित होने पर इस निर्णय को चुनौती दे सके।

न्यायालय का निर्णय

  • जस्टिस एल. नागेश्वर राव और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने कहा है कि ‘कोई भी संगठन जो एक राजनीतिक लक्ष्य या उद्देश्य के बिना अपने अधिकारों के लिये संघर्षरत नागरिकों के समूह का समर्थन करता है, उसे राजनीतिक प्रकृति के संगठन के रूप में घोषित करके दंडित नहीं किया जा सकता है।’
  • हालाँकि न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई संगठन अपने राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये संसाधनों का प्रयोग करता है तो उसकी विदेशी फंडिंग पर रोक लगाई जा सकती है।
  • न्यायालय ने अपने निर्णय में किसानों, श्रमिकों, छात्रों, युवाओं आदि के संगठनों या जाति, समुदाय, धर्म, भाषा आधारित संगठनों को समान वरीयता दी है।
  • न्यायालय के अनुसार, ‘यदि किसी संगठन के मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन (Memorandum of Association) में संगठन के राजनीतिक उद्देश्यों को स्वीकृत किया गया है, तो उस संगठन को विदेशी धन प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम

  • भारत सरकार ने विदेशी योगदान की स्वीकृति और विनियमन के उद्देश्य से वर्ष 1976 में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) लागू किया।
  • इसके तहत राजनीतिक प्रकृति का कोई भी संगठन, ऑडियो, ऑडियो विज़ुअल न्यूज़ या करेंट अफेयर्स कार्यक्रम के निर्माण और प्रसारण में लगे किसी भी संगठन को विदेशी योगदान स्वीकार करने के लिये प्रतिबंधित किया गया है।

निष्कर्ष

किसी भी संगठन को मात्र इस आधार पर दंडित करना कि वह अपने अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहे लोगों के समूह का समर्थन करता है, किसी भी आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता है। आवश्यक है कि नीति निर्माता इस संदर्भ में अपने निर्णय पर पुनः विचार करें और न्यायालय द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन किया जाए।

स्रोत: द हिंदू

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