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भारतीय अर्थव्यवस्था

केंद्र ने दी मंज़ूरी : सार्वजनिक वितरण केंद्रों पर सस्ती मिलेंगी दालें

  • 10 Aug 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मूल्य समर्थन योजना के तहत किसानों से खरीदे जाने वाले दलहन को राज्यों को जारी करने की मंज़ूरी दे दी है। इसे मूल्य समर्थन योजनाओं (Price Support Schemes -PSS) के तहत खरीदे जाने वाले दलहन के भंडार से विभिन्न कल्याण योजनाओं के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कम दर पर जारी किया जाएगा।

सरकार द्वारा लिये गए निर्णय का प्रभाव

  • इस निर्णय से राज्य/केंद्रशासित प्रदेश जन वितरण प्रणाली, मिड-डे मील इत्यादि विभिन्न कल्याण योजनाओं में दलहन का इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे। 
  • इसके अलावा गोदामों की भी उपलब्धता सूची तैयार की जाएगी, जिसकी मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीदी जाने वाली जिंसों के भंडारण के लिये आगामी खरीफ मौसम में आवश्यकता हो सकती है। 

मूल्य समर्थन योजना
(Price Support Schemes -PSS)

  • कृषि एवं सहकारिता विभाग सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसी है जो नाफेड के माध्यम से तिलहन, दलहन और कपास की खरीद हेतु PSS लागू करता है। 
  • जब भी कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे गिर जाती हैं, नाफेड PSS के अंतर्गत तिलहन, दलहन और कपास की खरीद करती है। 
  • कीमतों के MSP पर या उससे ऊपर स्थिर होने तक PSS के अंतर्गत खरीद जारी रखी जाती है।
  • किसी भी उपक्रम को न्यूनतम समर्थन मूल्य के संचालन में नाफेड द्वारा किये गए कार्य में कोई घाटा होने पर केंद्र सरकार द्वारा उसकी प्रतिपूर्ति की जाती है।

नाफेड (NAFED)

  • नाफेड (NAFED: नेशनल एग्रीकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) को 1958 में कृषि उत्पादों के सहकारी विपणन के लिये स्थापित किया गया था। यह तिलहन तथा दलहन की न्यूनतम मूल्य पर खरीद हेतु मूल्य समर्थन योजना (PSS) के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसी है। 

योजना का विवरण

  • इस स्वीकृत योजना के तहत राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकार को वर्तमान थोक बाज़ार मूल्य पर 15 रुपए प्रति किलोग्राम की छूट के आधार पर 34.88 लाख मीट्रिक टन तुअर, चना, मसूर, मूंग और उड़द दाल खरीदने का प्रस्ताव किया गया है, जो संबंधित राज्य के मामले में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा। 
  • राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकार इस दलहन का प्रयोग मिड-डे मिल, जन वितरण प्रणाली, एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम इत्यादि जैसी कल्याणकारी योजनाओं में करेगी। 
  • यह उपलब्धता 12 महीने की अवधि या 34.88 लाख मीट्रिक टन दलहन पूर्ण रूप से प्राप्त करने (जो भी पहले हो)  के आधार पर होगी। 
  • सरकार इस योजना के कार्यान्वयन के लिये 5237 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

सरकार के इस फैसले का कारण

  • पिछले दो वर्षों के दौरान देश में दलहन का अब तक का भारी उत्पादन हुआ है। मूल्य समर्थन योजना के तहत भारत सरकार ने खरीफ 2017 और रबी 2018 विपणन मौसम के दौरान दलहन की रिकॉर्ड खरीदारी की है।
  • मूल्य समर्थन योजना के तहत दलहन की 45.43 लाख मीट्रिक टन की रिकॉर्ड खरीदारी की गई तथा आगामी खरीफ मौसम में दलहन का उत्पादन बेहतर होने की आशा है। 
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को देखते हुए मूल्य समर्थन योजना के तहत अतिरिक्त खरीदारी की आवश्यकता होगी।
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