सामाजिक न्याय
चावल के फोर्टिफिकेशन पर केंद्र प्रायोजित योजना
- 04 Nov 2020
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:फूड फोर्टिफिकेशन, फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) मेन्स के लिये:चावल के फोर्टिफिकेशन का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा चावल के फोर्टिफिकेशन संबंधी योजना का विस्तार 112 आकांक्षी ज़िलों तक करने का निर्णय लिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- फूड फोर्टिफिकेशन के माध्यम से खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया जाता है।
- यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि चावल की खपत वाले देशों की आबादी में सामान्यतः: विटामिन A की कमी, प्रोटीन तथा ऊर्जा आधारित कुपोषण, जन्म के समय बच्चों का कम वज़न, शिशु मृत्यु दर की प्रबलता देखने को मिलती है।
फोर्टिफाइड चावल:
- चावल के फोर्टिफिकेशन में चावल को पीसकर पाउडर तैयार कर इसमें पोषक तत्त्वों का मिश्रण किया जाता है। इस फोर्टिफाइड चावल के मिश्रण को पुन: चावल के आकार में बदला में जा सकता है, जिसे ‘फोर्टिफाइड राइस कर्नेल’ (FRK) कहा जाता है।
- इस फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) को सामान्य चावल के साथ 1: 100 के अनुपात में मिश्रित किया जाता है तथा इसके बाद इसे ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ के तहत बिक्री के लिये जारी कर दिया जाता है।
चावल के फोर्टिफिकेशन पर केंद्र प्रायोजित योजना:
- चावल के फोर्टिफिकेशन पर इस केंद्र प्रायोजित योजना को फरवरी 2019 में मंज़ूरी दी गई थी।
- योजना के तहत तीन वर्ष की अवधि के लिये 174.6 करोड़ रुपए का कुल बजट परिव्यय आवंटित किया गया था।
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं से तात्पर्य ऐसी योजनाओं से है, जिनमें योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु वित्त की व्यवस्था केंद्र तथा राज्य द्वारा मिलकर की जाती है।
- योजना को पंद्रह राज्यों में शुरू किया जाना था, जहाँ प्रत्येक राज्य को कम-से-कम एक ज़िले की पहचान योजना के लाभार्थी के रूप में करनी थी।
- हालाँकि अभी तक योजना के तहत केवल पाँच राज्यों (आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़) ने योजना के तहत चुने गए ज़िलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू किया है।
- शेष 10 राज्यों द्वारा यद्यपि योजना के तहत लाभार्थी ज़िलों की पहचान कर ली गई है लेकिन इन राज्यों द्वारा अभी तक फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू नहीं किया गया है।
फूड फोर्टिफिकेशन (Food Fortification):
- फूड फोर्टिफिकेशन चावल, दूध, नमक, आटा आदि खाद्य पदार्थों में लौह, आयोडिन, जिंक, विटामिन A एवं D जैसे प्रमुख खनिज पदार्थ एवं विटामिन जोड़ने अथवा वृद्धि करने की प्रक्रिया है।
- 'भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण' (Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) द्वारा अक्तूबर 2016 में 'खाद्य सुरक्षा और मानक' (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम’ {Food Safety and Standards (Fortification of Foods) Regulations}, 2016 के तहत गेहूँ का आटा और चावल (आयरन, विटामिन बी- 12 और फोलिक एसिड के साथ), दूध और खाद्य तेल (विटामिन ए और डी के साथ), डबल फोर्टिफाइड सॉल्ट (आयोडिन और आयरन के साथ) के वितरण को मंज़ूरी दी गई थी।
- बाद में सरकार द्वारा इसके स्थान पर 'खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम', 2018 {Food Safety and Standards (Fortification of Foods) Regulations} को अधिसूचित किया गया।
- फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की पहचान करने के लिये '+ F’ लोगो अधिसूचित किया गया है।
महत्त्व:
- फोर्टिफाइड चावल का वितरण 'सार्वजनिक वितरण प्रणाली' (PDS), 'समेकित बाल विकास सेवा' (ICDS) और 'मिड-डे मील' कार्यक्रमों के तहत किया जाएगा, जिससे देश में कुपोषण की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।
- 'वैश्विक भुखमरी सूचकांक’- 2020 में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर रहा है। योजना के कार्यान्वयन से स्थायी/क्रोनिक कुपोषण को कम करने में मदद मिलेगी।
- क्रोनिक कुपोषण आमतौर पर गरीब, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों, कमज़ोर मातृ स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ा होता है।
- भारत ने वर्ष 2022 तक ‘कुपोषण मुक्त भारत’ के लिये एक कार्य-योजना विकसित की है। योजना के कार्यान्वयन से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
चुनौतियाँ:
- योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) की आपूर्ति बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
- फोर्टिफाइड राइस कर्नेल की वर्तमान में उपलब्धता मात्र 15,000 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है। जबकि योजना के तहत 112 आकांक्षी ज़िलों को कवर करने के लिये लगभग 1.3 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) की आवश्यकता होगी।
- आज देश में लगभग 28,000 चावल मिलें हैं, जिन्हें फोर्टिफाइड चावल तैयार करने के लिये आवश्यक सम्मिश्रण मशीनों आदि से लैस करने की आवश्यकता होगी।
निष्कर्ष:
- केंद्र सरकार को विभिन्न हितधारकों यथा- राज्य सरकारों, नीति आयोग, FSSAI, भारतीय खाद्य निगम, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं तथा गैर-सरकारी संगठनों से विचार-विमर्श करते हुए योजना के क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये ताकि निर्धारित समयावधि तक फोर्टिफाइड चावल की खरीद और आपूर्ति की जा सके।