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भारतीय अर्थव्यवस्था

सेंट्रल वेलफेयर डेटाबेस

  • 06 Jul 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-2019 को लोकसभा में पेश किया गया। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के आँकड़ो को मिलाकर नागरिकों का सेंट्रल वेलफेयर डेटाबेस तैयार किया जा रहा है, जिससे सभी नागरिकों और विशेष रूप से गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में आसानी होगी।

प्रमुख बिंदु :

  • आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि सरकार जनता की भलाई के लिये डेटा गोपनीयता के कानूनी ढाँचे के भीतर डेटाबेस तैयार कर सकती है।
  • डेटा गोपनीयता की सुरक्षा के लिये कठोर तकनीकी तंत्र कि मौजूदगी की भी बात कही गयी हैं।
  • पैन कार्ड, आधार संख्या और मोबाइल नंबर आदि की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया गया है। इस बात को भी स्पष्ट किया गया है कि बैंक में जुड़े मोबाइल, पैन और आधार जैसे डेटा का प्रयोग बैंक केवल बेनामी और फर्जी खातों की जाँच के लिये करता है। सरकार और UIDAI इस डेटा का प्रयोग लोगों और उनकी बैंक खातों की जानकारी प्राप्त करने के लिये नही कर सकते हैं।
  • लोगों के डेटा का प्रयोग लोगों के लिये किया जाएगा, इस सिद्धांत का भी जिक्र किया गया है।

central welfare database

  • सरकार के विभिन्न विभागों के पास प्रशासनिक, संस्थागत, लेनदेन और सर्वे का का ढेर सारा बिखरा हुआ डेटा पड़ा है, इस डेटा को एक विभाग के पास एकत्र करके इसके बेहतर प्रयोग का प्रयास किया जाएगा।
  • इस डेटा का प्रयोग लोगों का जीवन स्तर उठाने, साक्ष्य आधारित नीति बनाने, कल्याणकारी योजनाओं, बाज़ारों को एकीकृत करने, लोक सेवाओं के प्रति अधिक जवाबदेह बनाने और शासन में लोगों की सहभागिता बढ़ाने में किया जाएगा।
  • विभिन्न प्रकार के प्रशासनिक डेटा यथा: जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र, पेंशन, कर रिकॉर्ड, शादी का रिकॉर्ड; विभिन्न प्रकार के सर्वे यथा: जनसंख्या का डेटा, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण डेटा; विभिन्न प्रकार के लेनदेन डेटा यथा: ई-नाम (E-NAM) डेटा, UPI डेटा, संस्थागत डेटा और सरकारी अस्पतालों के मरीजों से संबंधित डेटा को मिलाकर एक डेटा बेस तैयार किया जाएगा।
  • इस प्रकार के डेटा का प्रयोग व्यावसायिक लाभ के बजाय सामाजिक लाभ के लिये किया जाएगा।

स्रोत : द हिन्दू

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