महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सिचांई परियोजनाओं के लिये विशेष पैकेज को मिली मंज़ूरी | 19 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने मराठवाड़ा, विदर्भ तथा शेष महाराष्ट्र के सूखा संभावित क्षेत्रों की 91 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिये विशेष पैकेज को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- विशेष पैकेज से मराठवाड़ा, विदर्भ तथा शेष महाराष्ट्र के सूखा संभावित क्षेत्रों में 3.77 लाख हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन होगा।
- परियोजनाओं में विशेष पैकेज के अंतर्गत 26 बड़ी/मझौली परियोजनाओं को शामिल किया गया है, जिनकी अधिकतम क्षमता 8.501 हेक्टेयर है और इनका वित्तपोषण पोषण PMKSY– AIBP के अंतर्गत किया जा रहा है। इन परियोजनाओं के दिसंबर, 2019 तक पूरा किये जाने की आशा है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
- केंद्र सरकार ने सूखे की समस्या के स्थायी समाधान के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) की शुरुआत की है।
PMKSY के प्रमुख उद्देश्य
♦ सिंचाई परियोजनाओं में निवेश में एकरूपता लाना
♦ ‘हर खेत को पानी' के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना
♦ खेतों में ही जल को इस्तेमाल करने की दक्षता को बढ़ाना
♦ पानी के अपव्यय को कम करना
♦ उचित सिंचाई और पानी को बचाने की तकनीक को अपनाना (हर बूँद अधिक फसल)
♦ सिंचाई में निवेश को आकर्षित करने का भी प्रयास करना
- परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी राज्य तथा केंद्रीय जल आयोग द्वारा की जाएगी।
- इन 91 परियोजनाओं की शेष लागत का 25 प्रतिशत और 2017-18 के दौरान आए खर्च के लिये 25 प्रतिशत भुगतान उपलब्ध कराया जाएगा।
- इन परियोजनाओं के लिये 3,831.41 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता दी जाएगी। शेष राशि महाराष्ट्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
- यह व्यवस्था है कि राज्य के हिस्से का प्रबंध नाबार्ड के माध्यम से किया जाएगा।
त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी)
Accelerated Irrigation Benefits Program – AIBP
- सिंचाई की दर में निरंतर गिरावट के परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार द्वारा अपूर्ण सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के लिये सहायता देने हेतु 1996-97 से त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP) प्रारंभ किया गया।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत योजना आयोग द्वारा अनुमोदित परियोजनाएँ सहायता के लिये पात्र हैं।
विशेष पैकेज से लाभ
- इन परियोजनाओं के पूरा होने से इनके कमान क्षेत्र में किसानों के लिये जल-स्रोत की व्यवस्था सुनिश्चित होगी। इससे फसल की पैदावार में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय बढ़ेगी।
- योजना के क्रियान्वयन से 341 लाख अकुशल, अर्द्धकुशल तथा कुशल मानव दिवस रोज़गार का सृजन होगा।
महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति
- महाराष्ट्र में 2012 से 2016 तक सूखे की स्थिति रही है।
- यह स्थिति विदर्भ और मराठवाड़ा में सबसे गंभीर रही है क्योंकि यहाँ किसानों द्वारा आत्महत्या की गई है।
- हाल के वर्षों में शेष महाराष्ट्र के क्षेत्रों में भी सूखे की स्थिति देखी गई है। राज्य सरकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, ये परियोजनाएँ जारी थीं लेकिन धन की कमी के कारण रुकी हुई हैं।