अंतर्राष्ट्रीय संबंध
केंद्रीय बजट 2018 : विनिवेश पर सरकार का प्रमुख ज़ोर
- 06 Feb 2018
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चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार द्वारा 1 फरवरी, 2018 को अपने कार्यकाल का अंतिम बजट प्रस्तुत किया गया। अपने बजटीय भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा विभिन्न सरकारी इकाइयों के विनिवेश के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा की गई ।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- सरकार ने निधियाँ जुटाने एवं बैंकिंग क्षेत्र में सुधार लाने के उपाय शुरू किये हैं। वर्ष 2018-19 के आम बजट के अनुसार, सरकार द्वारा 24 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में नीतिगत विनिवेश की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें एयर इंडिया के नीतिगत निजीकरण जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया है।
- इसी तरह विनिवेश के लिये 2017-18 के बजट अनुमान 72,500 करोड़ रुपए के सर्वोच्च स्तर पर अधिस्थिर थे तथा उनसे अनुमानित प्राप्तियाँ भी 2017-18 में लक्ष्य से कहीं अधिक 1 लाख करोड़ रुपए तक होने की उम्मीद है।
- निधियाँ जुटाने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बजट में कहा गया है कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भारत -22 की सफलतापूर्वक शुरुआत और वित्त वर्ष 2017-2018 में इससे 14,500 करोड़ रुपए जुटाने जैसे मुद्दों ने इस कार्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है
- आगामी वित्त वर्ष में विभिन्न सरकारी इकाइयों के विनिवेश से 80,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही यह आशा जताई गईहै कि मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 में वह इस मद में एक लाख करोड़ रुपए जुटा लेगी।
- इसके अतिरिक्त बैंकों हेतु नई पूंजी उपलब्ध कराने संबंधी कार्यक्रमों को इस वर्ष जारी किया जा रहा है। इस नई पूंजी की उपलब्धता से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये 5 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी उधार देने का मार्ग प्रशस्त होगा
- सुदृढ़ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बाज़ार से पूंजी जुटाने की अनुमति देने का प्रस्ताव है, ताकि वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपनी साख बढ़ा सकें।
- भारतीय रिज़र्व बैंक से सरकार को अपनी इक्विटी अंतरित करने के लिये राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है।
- भारतीय डाकघर अधिनियम, भविष्य निधि अधिनियम तथा राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र अधिनियम एकीकृत किये जा रहे हैं तथा कुछ अतिरिक्त लोकोपयोगी उपाय भी शुरू किये जा रहे हैं।
- भारतीय रिजर्व बैंक को अधिक लिक्विडिटी के प्रबन्धन का माध्यम बनाने, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम को गैर-वहनीय जमा सुविधा के रूप में संस्थाकित करने हेतु संशोधित किया जा रहा है।
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम 1956 तथा डिपोजिट्रीज अधिनियम, 1996 को संशोधित किया जा रहा है ताकि विवाचन प्रक्रिया सुचारु बन सके और कुछ उल्लंघनों की स्थिति में दण्डात्मक प्रावधान हो सकें।
- इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र की तीन बीमा कंपनियों-- ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विलय (मर्जर) की भी घोषणा की गई है।
- राज्य सरकारों द्वारा संचालित इन तीन बीमा कंपनियों के विलय से बीमा संगठन के आकार में हुई विशाल बढ़त से उसके विनिवेश का रास्ता आसान होगा।
- पिछले बजट में 72,500 करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य तय किया गया था। इसमें सरकारी कंपनियों में माइनॉरिटी हिस्सेदारी की बिक्री से 46,500 करोड़ रुपए, रणनीतिक बिक्री से 72,500 करोड़ रुपए और इंश्योरेंस कंपनियों की लिस्टिंग से 11 हजार करोड़ रुपए जुटाने की योजना थी।
भारत-22 क्या है?
- ई.टी.एफ. (Exchange Traded Funds - ETF) एक ऐसा साधन है, जिसके द्वारा निवेशकों एवं अन्य साधनों के माध्यम से पैसा एक स्टॉक के रूप में इकट्ठा किया जाता है।
- यह सूचकांक (index) के रूप में प्रतिबिंबित होता है। एक ई.टी.एफ. इकाई उक्त फंड के एक हिस्से को प्रदर्शित करती है।
- इसके अंतर्गत जारी की गई सभी इकाइयों को खरीदने एवं बेचने के लिये उन पर मूल्य अंकित कर उन्हें एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध कर दिया जाता है।
- भारत 22 ई.टी.एफ. के अंतर्गत छ: क्षेत्रों का विस्तार किया जाएगा। इनमें बुनियादी सामग्री, ऊर्जा, वित्त, एफ.एम.सी.जी.औद्योगिक एवं उपयोगिताओं के विस्तार को शामिल किया गया है।
- इसके अतिरिक्त इसके अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, खनिकों, निर्माण कंपनियों तथा प्रमुख ऊर्जा कंपनियों के साथ-साथ सूटी (Specified Undertaking of Unit Trust of India - SUUTI) में सरकार की भागीदारी वाले अंशों को भी शामिल किया गया है।
क्या होता है विनिवेश ?
- विनिवेश (डिसइनवेस्टमेंट) इस शब्द का प्रयोग सामान्यतः सार्वजनिक क्षेत्र के किसी उद्यम यानी सरकारी या सार्वजनिक कंपनी की कुछ या पूरी हिस्सेदारी को बेचने के लिये किया जाता है।
- विनिवेश के बाद कंपनी या उपक्रम का अंशधारिता प्रारूप बदल जाता है। इसके ज़रिये सरकार सार्वजनिक उद्यम में अपनी हिस्सेदारी (ईक्विटी) को बाज़ार में बेचती है।
भारत में विनिवेश : घटनाक्रम
- वर्ष 1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपना अंतरिम बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ चुनिंदा उपक्रमों में 20 प्रतिशत विनिवेश की घोषणा की थी। उनके शेयरों को म्यूच्यूअल फंड और वित्तीय संस्थानों को बेच दिया गया।
- वर्ष1993 में रंगराजन कमिटी ने इस संबंध में दो महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये-
► सार्वजनिक क्षेत्र के लिये आरक्षित पीएसयू में 49 प्रतिशत विनिवेश करने।
► अन्य सभी पीएसयू में 74 प्रतिशत का विनिवेश।
► लेकिन, सरकार ने इसे लागू नहीं किया। - 1996 में जी. वी. रामकृष्णन की अध्यक्षता में विनिवेश आयोग का गठन किया गया।
- 1998-2000 अटल बिहारी वाजपयी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दो भागों में वर्गीकृत किया।
► रणनीतिक (जिनमें विनिवेश नहीं किया जाएगा) जैसे- आयुध, रेलवे, नाभिकीय ऊर्जा आदि
► गैर-रणनीतिक (जिनमें चरणबद्ध विनिवेश किया जाएगा) जैसे- हिन्दुस्तान जिंक, बालको आदि - 2004 में यूपीए सरकार बनी और साझा न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर विनिवेश नीति बनाई गई, जिसके तहत कमज़ोर स्थिति वाले उपक्रमों को पुनर्जीवित किया जाएगा, लाभ कमाने वाले उपक्रमों का विनिवेश नहीं किया जाएगा तथा पीएसयू वाणिज्यिक स्वायत्तता प्राप्त करेंगे।
- 2005 में सरकार ने विनिवेश से प्राप्त आय को रखने के लिये नेशनल इन्वेस्टमेंट फण्ड (एनआईएफ) की स्थापना की।
- 2009 में यूपीए-2 ने विनिवेश की प्रक्रिया को पुनः शुरू किया।