केंद्रीय दुर्घटना डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली | 14 Jan 2020
प्रीलिम्स के लिये:राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र मेन्स के लिये:भारत में सड़क दुर्घटना से संबंधित आँकड़े |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘केंद्रीय दुर्घटना डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली’ (Central Accident Database Management System) की शुरुआत की है।
मुख्य बिंदु:
- इस प्रणाली की शुरुआत सड़क सुरक्षा में सुधार लाने और सड़क सुरक्षा के संदर्भ में जनसामान्य तथा विशेष रूप से युवाओं में जागरूकता पैदा करने के लिये पूरे देश में 11 से 17 जनवरी, 2020 तक मनाए जा रहे 31वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान की गई।
- इसके लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (Indian Institutes of Technology-Madras) ने ‘सड़क दुर्घटनाओं का एकीकृत डेटा बेस’ (Integrated Road Accident Database- IRAD) नामक एक सूचना प्रौद्योगिकी आधारित डेटाबेस तैयार किया है।
- इस प्रणाली को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
- विश्व बैंक द्वारा समर्थित इस परियोजना की लागत ₹ 258 करोड़ है।
प्रणाली का उद्देश्य:
- IRAD न केवल सड़क सुरक्षा के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय उदाहरणों पर आधारित विश्लेषणात्मक क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि संबंधित राजमार्ग प्राधिकरणों के माध्यम से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सुधारात्मक उपाय करने में भी सहायता करेगा।
- इससे राज्य और केंद्र, सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित जानकारियों को समझने, सड़क दुर्घटनाओं के मूल कारणों का विश्लेषण करने तथा दुर्घटनाओं को कम करने के लिये डेटा-आधारित सड़क सुरक्षा उपायों को विकसित एवं लागू करने में सक्षम होंगे।
- यह डेटाबेस ‘वैज्ञानिक सड़क सुरक्षा प्रबंधन’ (Scientific Road Safety Management) की दिशा में पहला कदम है।
- IRAD एक व्यापक वेब-आधारित आईटी समाधान होगा जो पुलिस, लोक निर्माण विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जैसी विभिन्न एजेंसियों को जाँच संबंधी, सड़क इंजीनियरिंग, वाहन स्थिति और सड़क दुर्घटनाओं के विवरण को साझा करने में सक्षम बनाएगा।
- इस प्रकार IRAD पर प्राप्त विवरणों के माध्यम से विभिन्न प्राधिकारी भारत में सड़क दुर्घटनाओं की गतिशीलता को समझकर प्रवर्तन, इंजीनियरिंग, शिक्षा और आकस्मिकता के क्षेत्र में लक्षित उपायों को लागू कर सकेंगे ताकि देश में सड़क सुरक्षा स्थिति में सुधार लाया जा सके।
प्रणाली का क्रियान्वयन:
- यह प्रणाली पहले छह राज्यों-कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में प्रारंभ की जाएगी क्योंकि इन राज्यों में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या सर्वाधिक है।
- IRAD के परीक्षण के आधार पर इसमें सुधार किया जाएगा तथा इसके बाद इसे देश भर में लागू किया जाएगा।
- सड़क दुर्घटनाओं के आँकड़े एकत्र करने के लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभाग को 30 हज़ार से ज़्यादा टैबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे।
- IRAD मोबाइल एप्लिकेशन पुलिस कर्मियों को फोटो और वीडियो के साथ सड़क दुर्घटना के विवरण को दर्ज करने में सक्षम बनाएगा, जिसके बाद उस घटना के लिये एक यूनिक आईडी (Unique ID) बनाई जाएगी।
- इसके बाद लोक निर्माण विभाग या स्थानीय निकाय के इंजीनियर को अपने मोबाइल डिवाइस पर अलर्ट (Alert) प्राप्त होगा।
- वह व्यक्ति दुर्घटना स्थल पर जाएगा तथा उसकी जाँच करके आवश्यक विवरण जैसे-सड़क का डिज़ाइन आदि जानकारियों एकत्रित करेगा।
- इस प्रकार एकत्र किये गए डेटा का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास में एक टीम द्वारा विश्लेषण किया जाएगा, जो सुझाव देगा कि क्या सड़क डिज़ाइन में सुधारात्मक उपाय किए जाने की आवश्यकता है या नहीं?
- इसके अतिरिक्त 1 अप्रैल 2020 से सड़क उपयोगकर्त्ताओं द्वारा भी सड़क दुर्घटनाओं का डेटा अपलोड किये जाने की सुविधा के लिये एक मोबाइल एप्लिकेशन के लॉन्च किये जाने की उम्मीद है।
अन्य तथ्य:
- भारत विश्व में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाओं से प्रभावित देश है।
- वर्ष 2018 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई।
- वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए कुल व्यक्तियों में से 48% व्यक्ति 18-35 वर्ष के आयु वर्ग के थे।
- कुल दुर्घटनाओं में से 60% दुर्घटनाएँ ओवरस्पीडिंग के कारण घटित हुईं।