भारतीय अर्थव्यवस्था
गूगल के विरुद्ध अविश्वास की जाँच
- 10 Nov 2020
- 7 min read
प्रिलिम्स के लियेभारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग, गूगल पे, गूगल प्ले मेन्स के लियेभारतीय में बाज़ार में अनुचित प्रतिस्पर्द्धा से संबंधित चुनौतियाँ और इनसे निपटने में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने दिग्गज इंटरनेट कंपनी गूगल के विरुद्ध भारत में अपने मोबाइल भुगतान एप ‘गूगल पे’ को गलत तरीके से बढ़ावा देने के लिये बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति का दुरुपयोग करने को लेकर जाँच का आदेश दिया है।
प्रमुख बिंदु
- इस संबंध में जारी आदेश में कहा गया है कि आयोग प्रथम दृष्टया मानता है कि गूगल ने प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया है, इसलिये इसकी जाँच करना अनिवार्य है।
- ध्यातव्य है कि प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4 किसी भी कंपनी द्वारा बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति का दुरुपयोग करने से संबंधित है।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने महानिदेशक को 60 दिनों के भीतर जाँच समाप्त करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
- कारण
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा यह आदेश किसी सूचनादाता द्वारा की गई शिकायत के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गूगल द्वारा अलग-अलग अवसरों पर अपने मोबाइल भुगतान एप को बढ़ावा देने के लिये बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति का दुरुपयोग किया गया है।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा ऐसी दो स्थितियों की जाँच की जाएगी, जिसमें पहला है एंड्राइड ओएस स्मार्ट फोन में ‘गूगल पे’ का पहले से इंस्टॉल होना और दूसरा है एप डेवलपर्स द्वारा भुगतान के लिये प्रयोग किये जाने वाला गूगल प्ले स्टोर का इन-एप बिलिंग फीचर।
- यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब पेटीएम (Paytm) समेत कई अन्य भारतीय स्टार्ट-अप्स एक साथ मिलकर दिग्गज कंपनी गूगल का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि गूगल की नीति के मुताबिक ‘गूगल प्ले स्टोर’ पर जो भी एप ‘इन-एप पर्चेज़’ (In-App Purchases) फीचर के माध्यम से अपना डिजिटल कंटेंट बेचेंगे उन्हें अनिवार्य रूप से गूगल प्ले का बिलिंग सिस्टम प्रयोग करना होगा, साथ ही उन्हें 30% शुल्क भी देना होगा।
- इस तरह अत्यधिक शुल्क प्रदान करने से गूगल के प्रतिस्पर्द्धियों की लागत स्वयं ही बढ़ जाती है।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा यह आदेश किसी सूचनादाता द्वारा की गई शिकायत के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गूगल द्वारा अलग-अलग अवसरों पर अपने मोबाइल भुगतान एप को बढ़ावा देने के लिये बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति का दुरुपयोग किया गया है।
गूगल पे?
- गूगल पे, प्रसिद्ध टेक कंपनी गूगल द्वारा निर्मित एक मोबाइल भुगतान एप (Mobile Payment App) है, जो कि उपयोगकर्त्ताओं को एक बैंक से दूसरे बैंक में धनराशि भेजने और बिल जमा करने जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है।
- भारतीय डिजिटल पेमेंट बाज़ार में इसका मुकाबला सॉफ्टबैंक समर्थित पेटीएम (Paytm) और वाॅलमार्ट के फोन पे (PhonePe) जैसे एप से है।
गूगल प्ले?
- गूगल प्ले, एंड्रॉइड संचालित स्मार्टफोन, टैबलेट, टीवी और इसी तरह के उपकरणों पर उपयोग किये जाने वाले एप्स, किताबों, फिल्मों तथा अन्य डिजिटल कंटेंट को खरीदने एवं डाउनलोड करने के लिये एक प्रकार का ऑनलाइन स्टोर या एंड्राइड बाज़ार है, जिसे गूगल द्वारा बनाया गया है।
गूगल के विरुद्ध अविश्वास के अन्य मामले
- ध्यातव्य है कि इससे पूर्व मई माह में भी गूगल पर अपने मोबाइल भुगतान एप का अनुचित उपयोग करने का आरोप लगाया गया था, जिस मामले में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने गूगल के विरुद्ध फैसला दिया था। हालाँकि वर्तमान जाँच में गूगल के मोबाइल भुगतान एप के साथ-साथ गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम की भी जाँच की जाएगी।
- पिछले वर्ष CCI ने गूगल पर एक अन्य मामले में जाँच प्रारंभ की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गूगल मोबाइल निर्माता कंपनियों द्वारा एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (Android Mobile Operating System) के वैकल्पिक संस्करणों को चुनने की क्षमता को कम करने के लिये बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति का प्रयोग करता है।
- वर्ष 2018 में CCI ने गूगल पर ‘ऑनलाइन सर्च में पक्षपात’ करने के मामले में 136 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया था, हालाँकि यह मामला अभी भी नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है।
- विदित हो कि गूगल एकमात्र कंपनी नहीं है, जिसे अविश्वास के मामलों की जाँच का सामना करना पड़ रहा है। जहाँ एक ओर गूगल को अपने प्रतिस्पर्द्धात्मक व्यवहार के लिये यूरोपीय संघ में जाँच का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका में भी कई बार गूगल के विरुद्ध अविश्वास को लेकर जाँच की गई है।
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI)
- यह भारत सरकार के तहत सांविधिक निकाय है, जिसका गठन मुख्य तौर पर प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों को सही ढंग से लागू करने के लिये 14 अक्तूबर, 2003 को किया गया था।
- इसका मुख्य कार्य ऐसी प्रथाओं को समाप्त करना है, जिनका बाज़ार की प्रतिस्पर्द्धा और संवर्द्धन शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो। इस तरह यह आयोग उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और भारतीय बाज़ार में व्यापार की स्वतंत्रता बनाए रखने की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के सदस्यों की कुल संख्या 7 (एक अध्यक्ष और 6 अन्य सदस्य) निर्धारित की गई है, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।