भारतीय अर्थव्यवस्था
स्टार्टअप के लिये कर नियमों में राहत
- 09 Aug 2019
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चर्चा में क्यों ?
हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board Of Direct Taxes-CBDT) द्वारा स्टार्टअप के लिये ऐंजल टैक्स (Angel tax) से संबंधित लंबित मामलों की जाँच में राहत प्रदान करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये गए।
प्रमुख बिंदु
- CBDT ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department For Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप कंपनियों को कर की जाँच और आकलन से छूट प्रदान की है।
- इन पंजीकृत स्टार्टअप की तब तक ऐंजल टैक्स प्रावधानों के तहत जाँच नहीं की जाएगी जब तक वे और उनके निवेशक अधिसूचना में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते।
- ये दिशा-निर्देश स्टार्टअप को एंजेल इन्वेस्टर से प्राप्त धन की छानबीन को आसान बनाने के लिये हैं।
- ये दिशा-निर्देश वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2019-20 के बजट में की गई घोषणा के अनुरूप हैं जिसमें स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराने वाली स्टार्टअप कंपनियों को किसी प्रकार के मूल्यांकन से छूट की घोषणा की गई है।
- नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, आकलन अधिकारी (Assessing Officer) ऐंजल टैक्स का आकलन करते समय कर की जानकारी का सत्यापन नहीं करेगा और इस संबंध में कंपनी द्वारा दी गई जानकारी ही मान्य होगी।
- जबकि जो स्टार्टअप कंपनियाँ DPIIT से मान्यता प्राप्त नहीं हैं उनकी ऐंजल टैक्स सहित किसी भी मुद्दे की जाँच या सत्यापन के लिये आकलन अधिकारी को अपने वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति लेनी आवश्यक होगी।
- इन दिशा-निर्देशों से कर से संबंधित जाँच का सामना कर रहे स्टार्टअप को राहत मिलेगी, साथ ही कर अधिकारियों के समक्ष भी निर्णय लेने हेतु स्थिति स्पष्ट होगी।
- यदि किसी स्टार्टअप को DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त है लेकिन आकलन अधिकारी कई मुद्दों के लिये इसकी जाँच कर रहे हैं तो वे अधिकारी अपनी मूल्यांकन कार्यवाही में आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर अपवंचन के प्रावधान के तहत जाँच नहीं कर सकते हैं।
क्या है एंजेल टैक्स?
- स्टार्टअप्स कंपनियाँ अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिये फंड जुटाती हैं और इसके लिये पैसे देने वाली कंपनी या किसी संस्था को शेयर जारी किये जाते हैं।
- ज़्यादातर मामलों में ये शेयर तय कीमत की तुलना में काफी अधिक कीमत पर जारी किये जाते हैं।
- इस प्रकार शेयर बेचने से प्राप्त हुई अतिरिक्त राशि को इनकम माना जाता है और इस इनकम पर जो टैक्स लगता है, उसे एंजेल टैक्स कहा जाता है।
- स्टार्टअप्स को इस तरह मिली राशि को एंजेल फंड कहते हैं, जिसके बाद आयकर विभाग एंजेल टैक्स वसूलता है।
- एंजेल टैक्स को वर्ष 2012 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य धन शोधन (Money Laundering) को रोकना है।
एंजेल निवेशक कौन है?
- एंजेल निवेशक धनवान व्यक्ति होता है जो ऐसी किसी छोटी स्टार्टअप कंपनी में निवेश करने के लिये सहमत होता है जिसके पास पूंजी की बेहद कमी होती है।
- आमतौर पर एंजेल निवेशक उद्यमी होते हैं, जो स्टार्टअप कंपनी शुरू करने वाले व्यक्ति के दोस्त या रिश्तेदार भी हो सकते हैं।
- एंजेल निवेशक कंपनी के संस्थापकों के साथ-साथ उनके व्यापार की अवधारणा में विश्वास करते हुए कंपनी को स्थापित करने के लिये आवश्यक पूंजी बतौर कर्ज़ देते हैं, जो आमतौर पर अन्य कर्ज़दाताओं की तुलना में आसान शर्तों पर दिया जाता है।
- सामान्यतः एंजेल निवेशक चाहते हैं कि निवेश पर उनका निजी स्वामित्व बना रहे। दिये गए कर्ज़ के एवज़ में एंजेल निवेशक आमतौर पर अपने पसंदीदा शेयरों के रूप में नई कंपनी में अपना हिस्सा प्राप्त करते हैं।