कावेरी नदी प्रदूषण तथा लॉकडाउन | 01 Apr 2020
प्रीलिम्स के लिये:कावेरी नदी, जल प्रदूषण के निर्धारक मेन्स के लिये:नदी प्रदूषण |
चर्चा में क्यों?
‘कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (Karnataka State Pollution Control Board- KSPCB) के अनुसार COVID-19 महामारी के कारण हाल ही में लागू किये गए 21-दिन के लॉकडाउन का कठोरता से अनुपालन के चलते पुराने मैसूर क्षेत्र में कावेरी तथा अन्य नदियों के प्रदूषण में गिरावट आई है।
मुख्य बिंदु:
- KSPCB के अनुसार, कावेरी तथा उसकी सहायक नदियों के जल की गुणवत्ता के में इतना अधिक सुधार देखा गया है कि इस प्रकार की जल गुणवत्ता इन नदियों में दशकों पूर्व पाई जाती थी।
- लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक और धार्मिक गतिविधियों पर रोक से नदियों में प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिली है।
औद्योगिक प्रदूषक:
- नदियों में खतरनाक औद्योगिक तत्त्वों जैसे- लेड, फ्लोराइड, फेकल कॉलीफॉर्म (Faecal Coliform) तथा अन्य अत्यधिक खतरनाक निलंबित ठोस पदार्थों का स्तर बहुत अधिक था, परंतु लॉकडाउन के चलते नदियों में प्रदूषण के स्तर में काफी गिरावट आई है।
धार्मिक गतिविधियों के कारण प्रदूषण:
- प्रतिदिन कम-से-कम 3,000 लोग श्रीरंगपट्टनम नगर के विभिन्न घाटों तथा मंदिरों में जाते हैं तथा कावेरी में पौधों के पत्तों, मालाएँ, मिट्टी के घड़े, नारियल, देवताओं की तस्वीरें, कपड़े, पॉलिथीन कवर, बचे हुए भोजन तथा अन्य पूजा सामग्री को डंप करते हैं।
जल प्रदूषण:
- जल की भौतिक रासायनिक तथा जैविक विशेषताओं में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करने वाले परिवर्तन को जल प्रदूषण कहते हैं।
जल प्रदूषण के प्रकार:
- जल प्रदूषण को उनके उत्पत्ति स्रोत के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत जा सकता है-
- औद्योगिक प्रदूषक
- कृषि जनित प्रदूषक
- नगरीय प्रदूषक
- प्राकृतिक प्रदूषक
जल प्रदूषण के निर्धारक:
- भौतिक निर्धारक:
- इसमें तापमान, घनत्व, निलंबित ठोस कण आदि शामिल हैं।
- रासायनिक निर्धारक:
- इनका निर्धारण घुलित ऑक्सीजन, जैविक ऑक्सीजन मांग, रासायनिक ऑक्सीजन मांग, अम्लता का स्तर आदि के आधार पर किया जाता है।
- जैविक निर्धारक:
- इसका निर्धारण कॉलीफॉर्म की संख्या जिसे कॉलीफॉर्म MPN (Most Probable Number) के रूप में जाना जाता है, के आधार पर किया जाता है।
आगे की राह:
- देश में जल प्रदूषण को नियंत्रित करने तथा उसकी गुणवत्ता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये वर्ष 1974 में जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम बनाया गया। जल प्रदूषण के भिन्न-भिन्न स्रोत हैं ऐसे में इनके प्रभावी नियंत्रण के लिये उत्पन्न होने वाले स्रोतों को बंद कर समुचित प्रबंधन एवं शोधन उपचार द्वारा शुद्ध किया जाना आवश्यक है।
कावेरी नदी:
- उद्गम स्थल:
- यह कर्नाटक में पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरी पहाड़ से निकलती है।
- अपवाह बेसिन:
- यह कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह नदी एक विशाल डेल्टा का निर्माण करती है, जिसे ‘दक्षिण भारत का बगीचा’ (Garden of Southern India) कहा जाता है।
- सहायक नदियाँ:
- अर्कवती, हेमवती, लक्ष्मणतीर्थ, शिमसा, काबिनी, भवानी, हरंगी आदि।