नगा और कुकी समुदाय के बीच बढ़ता तनाव | 19 Oct 2019

प्रीलिम्स के लिये:

कुकी जनजाति

मेन्स के लिये:

आंग्ल-कुकी युद्ध

चर्चा में क्यों?

कुकी उग्रवादियों के कुछ समूहों ने मणिपुर में कुकी और नगाओं के बीच बढ़ते तनाव को खत्म करने के लिये प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की मांग की है।

वर्तमान तनाव का कारण

  • कुकी और नगा समुदायों के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। दरअसल, कुकी नामक गाँव में दोनों समुदायों के बीच अपने-अपने पूर्वजों की स्मृति में पत्थर के स्मारक स्थापित करने को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों समुदायों के बीच तनाव को देखते हुए मणिपुर सरकार ने स्मारकों को हटाने का आदेश दे दिया है।
  • कुकी इंपी चुराचंदपुर (Kuki Inpi Churachandpur-KIC) के तत्त्वावधान में एक समिति द्वारा आंग्ल-कुकी युद्ध की शताब्दी मनाई गई। KIC जो कि विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों में कुकी समुदाय की सर्वोच्च संस्था है, ने सभी कुकी गाँवों को शिलालेख के साथ पत्थर के स्मारक स्थापित करने के लिये कहा था। लेकिन नगा समुदाय के लोगों ने नगाओं की पैतृक भूमि पर इन पत्थरों को स्थापित करने का विरोध किया।

आंग्ल-कुकी युद्ध

  • (The Anglo-Kuki War)
  • अंग्रेजों के आगमन से पहले, मणिपुर के महाराजाओं के शासन के दौरान कुकी इम्फाल के पहाड़ी क्षेत्रों की प्रमुख जनजातियों में से एक थे।
  • उस समय कुकी जनजाति के लोगों ने अपने क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखा।
  • अतः आंग्ल-कुकी युद्ध निश्चित रूप से साम्राज्यवादियों से कुकी समुदाय के लोगों की स्वतंत्रता और मुक्ति के लिये लड़ा गया युद्ध था।
  • इस युद्ध ने पूर्वोत्तर भारत, म्याँमार और बांग्लादेश में रहने वाले कुकी समुदाय को एकीकृत किया था।
  • एंग्लो-कूकी युद्ध की शुरुआत तब हुई जब अंग्रेजों ने कुकी समुदाय के लोगों को फ्राँस में अपने श्रम समूहों में शामिल होने को कहा और कुकी समुदाय द्वारा इसका विरोध किया गया।
  • “The Anglo-Kuki War, 1917–1919: A Frontier Uprising against Imperialism during the First World War” नामक पुस्तक के अनुसार, इस यूद्ध को तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
  1. पहला चरण (मार्च-अक्तूबर 1917) निष्क्रिय प्रतिरोध का चरण
  2. दूसरा चरण (अक्तूबर 1917-अप्रैल 1919) सशस्त्र प्रतिरोध की अवधि थी
  3. तीसरा चरण (अप्रैल 1919 से आगे) मुकदमों और आपत्तियों की अवधि थी।

क्या कहते हैं नगा?

  • नगा लोगों का दावा है की वर्ष 1917 में “आंग्ल-कुकी युद्ध” नहीं बल्कि “कुकी विद्रोह" हुआ था।
  • मणिपुर के नागा समुदायों की शीर्ष संस्था यूनाइटेड नगा काउंसिल (United Naga Council-UNC) का दृढ़तापूर्वक यह कहना है कि अंग्रेजों के खिलाफ कुकी विद्रोह श्रमिक वाहिनी योजना के तहत श्रमिक भर्ती अभियान के विरुद्ध था।
  • इसके बाद, नगा समुदायों ने राज्य सरकार को उचित कदम उठाने के लिये कहा, ताकि मणिपुर का इतिहास विकृत न हो।

अतीत में कुकी-नगा संघर्षों के कारण

1. मणिपुर का पुनर्गठन

  • वर्ष 1919 में आंग्ल-कुकी युद्ध के समापन के बाद, प्रशासनिक और लोजिस्टिक्स सुगमता की दृष्टि से मणिपुर राज्य को चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया था।
  • इसमें इम्फाल, चुराचंदपुर, तमेंगलोंग (जो कि कुकी, कबुई नगा और कत्था नगा थे) और उखरुल (जो कुकी और तंगखुल नागा द्वारा बसा हुआ था) जैसे क्षेत्र शामिल थे।
  • मणिपुर के पुनर्गठन को युद्ध का सबसे प्रमुख परिणाम बताया गया है।
  • कुकी प्रमुख जिन्हें पहले किसी नौकरशाही नियंत्रण के अधीन कार्य नहीं किया गया था, अब उन्हें नौकरशाही के तहत कार्य करना था।

पहचान

  • यह माना जाता है कि कुकी समुदाय के लोग 18वीं शताब्दी के अंत/19वीं शताब्दी की शुरुआत में पड़ोसी देश म्याँमार से मणिपुर आए थे।
  • एक और जहाँ इस समुदाय के कुछ लोग म्याँमार सीमा के आस-पास बसे, वहीँ कुछ अन्य लोग नगा समुदाय वाले गाँवों में बस गए, जो अंततः दोनों समुदायों के बीच विवाद का कारण बना।
  • औपनिवेशिक काल के दौरान दोनों के बीच संबंध और अधिक खराब हो गए और आंग्ल-कुकी युद्ध के समय यह चरम पर पहुँच गया, जिसे तांगखुल नगाओं के मौखिक इतिहास में "अँधेरे की अवधि" (Dark Period) कहा जाता है।
  • निश्चित रूप से इन दोनों समुदायों के बीच जातीय संघर्ष का कारण पहचान और भूमि हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस