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जैव विविधता और पर्यावरण

कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट इंडिया रिपोर्ट 2019

  • 24 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट, CDP इंडिया वार्षिक रिपोर्ट 2019, जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन एवं कॉर्पोरेट क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित करने की धिषा में किये गए वैश्विक प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट (Carbon Disclosure Project- CDP) द्वारा 20 जनवरी, 2020 को भविष्य की जलवायु और व्यावसायिक साझेदारी: CDP इंडिया वार्षिक रिपोर्ट 2019 (Climate and Business Partnership of The Future: CDP India Annual Report 2019) जारी की गई है|

रिपोर्ट में निहित महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • इस रिपोर्ट के अंतर्गत विज्ञान-आधारित लक्ष्यों (Science Based Targets- SBT) के लिये कॉर्पोरेट प्रतिबद्धताओं का सर्वेक्षण और जलवायु परिवर्तन के जोखिम का मूल्यांकन किया जाता है।
  • कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट 2019 के अनुसार, लगभग 6,900 कंपनियों ने वर्ष 2018 में CDP के माध्यम से पर्यावरण संबंधी डेटा का खुलासा किया है।ध्यातव्य है कि इन फर्मों का वैश्विक पूंजीकरण में लगभग 55% का योगदान हैं।
  • इस रिपोर्ट में अमेरिका प्रथम स्थान एवं जापान और यूके क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं। ध्यातव्य है कि अमेरिका ने 135 कंपनियों के जलवायु से संबंधित गतिविधियों का खुलासा किया है इसके बाद जापान ने 83 कंपनियों के एवं यूनाइटेड किंगडम ने 78 कंपनियों के जलवायु से संबंधित गतिविधियों का खुलासा किया है।
  • जबकि फ्राँस को उनके विवरण का खुलासा करने वाली 51 कंपनियों के साथ चौथे स्थान पर रखा गया है और भारत को विज्ञान आधारित लक्ष्यों के लिए 38 कंपनियों के साथ पाँचवें स्थान पर रखा गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में भारत में SBT के लिये केवल 25 कंपनियाँ थीं।
  • SBT पहल में 18 कंपनियों के साथ नीदरलैंड 10 वें स्थान पर है।

SBT कंपनियों के आधार पर शीर्ष 5 देश:

रैंक देश SBT कंपनियाँ
1 संयुक्त राज्य अमेरिका 135
2 जापान 83
3 यूनाइटेड किंगडम (यूके) 78
4 फ्राँस 51
5 भारत 38

भारत से संबंधित रिपोर्ट के महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • भारत, जर्मनी और स्वीडन से आगे 5वें स्थान पर है। इस प्रकार भारत पहली विकासशील अर्थव्यवस्था है जिसकी विज्ञान आधारित लक्ष्यों के लिये अधिकतम संख्या में कंपनियाँ हैं।
  • इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के मूल्यांकन के लिये लगभग सभी बड़ी कंपनियों के गठन के साथ भारत में बदलते दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित किया गया। ध्यातव्य है कि यह परिवर्तन जलवायु-सचेत निवेशकों और देश के युवाओं के बीच बढ़ी हुई जलवायु सक्रियता से प्रेरित है।
  • रिपोर्ट में यह पाया गया कि निवेशकों ने उन कंपनियों को बेहतर प्रतिक्रिया दी जिन्होंने अपनी पर्यावरणीय गतिविधियों का खुलासा किया है।
  • रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि निवेशकों ने किसी संगठन में निवेश करने से पहले भारतीय कंपनियों से जलवायु परिवर्तन के जोखिम को भी ध्यान में रखा है।
  • कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, इस वर्ष कुल 58 भारतीय कंपनियों ने पर्यावरण से संबंधित गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा की है।
  • रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 98 प्रतिशत से अधिक शीर्ष भारतीय कंपनियों ने जलवायु से संबंधित मुद्दों को पहचानने और संबोधित करने के लिये अपने संगठन के भीतर समिति या समूह का गठन किया है।
  • भारतीय कंपनियों ने बोल्ड एमिशन रिडक्शन टारगेट्स (Bold Emission Reduction Targets) में कमी लाने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये जलवायु परिवर्तन की चुनौती को संबोधित करने हेतु अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिससे भारत पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर होगा।

कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट

(Carbon Disclosure Project- CDP)

  • यह यूनाइटेड किंगडम में स्थित एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन है जो प्रमुख कंपनियों के पर्यावरणीय प्रभाव का खुलासा करने में सहयोग करता है।
  • कार्बन डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट, ग्लोबल रिपोर्टिंग इनिशिएटिव (Global Reporting Initiative) की एक पहल है जिसका उद्देश्य दुनिया भर के विभिन्न देशों में विभिन्न कंपनियों और फर्मों द्वारा संचालित कार्बन कटौती गतिविधियों का मापन करना है।

स्रोत: द इकोनोमिक टाइम्स

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