राजधानी में रिकॉर्ड की गई वायु की 'मध्यम' गुणवत्ता | 13 Oct 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्ज किया जो कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा पूर्वानुमानित 'खराब' स्तर की तुलना में सुधार को दर्शाता है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य रूप से इस साल धान की कटाई में हुई देरी के कारण पिछले वर्ष की तुलना में फसल अवशेषों को जलाने की घटनाओं में सापेक्षिक रूप से गिरावट देखी गई। यही वज़ह है कि हाल ही में दर्ज किया गया प्रदूषण का स्तर पूर्वानुमानित प्रदूषण स्तर से निम्न है।
- आईएमडी के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ ने भी प्रदूषकों को बाहर निकालने में योगदान दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि आँकड़े दर्ज करने से एक दिन पहले मुख्य प्रदूषक पीएम 10 और ओज़ोन जैसे बड़े धूल के कण थे।
- आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा था कि 12 अक्तूबर से हवा की दिशा उत्तर से उत्तर-पश्चिम हो जाएगी, जो कि अपने साथ पंजाब और हरियाणा से ठंडी हवा और फसल अवशिष्ट को जलाने से उत्पन्न प्रदूषण को दिल्ली में लेकर आएगी।
- इसके अलावा, ओडिशा के तट पर शांत चक्रवात 'तितली' उग्र हो रहा है जिससे दिल्ली में हवा की गति कम होने और हवा में मंडराने वाले कणों के अवशेषों की संभाव्यता में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- इस वर्ष 27 सितंबर से 9 अक्तूबर के बीच पंजाब में 'आग की घटनाओं' के 399 उदाहरण दर्ज किये गए जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दर्ज किये गए मामलों की संख्या का लगभग आधा है।
- सीपीसीबी के अनुसार, सितंबर में भारी बारिश के चलते फसलों की कटाई में कुछ हफ्तों तक की देरी हुई है। दो सप्ताह बाद और अधिक फसल अवशिष्टों के जलने की संभावना है।
- फसल अवशिष्ट को जलाए जाने की समस्या से निपटने के लिये केंद्र सरकार ने कई उपायों की घोषणा की है जिसमें पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों को अत्यधिक सब्सिडी वाले थ्रेसिंग उपकरण प्रदान करना शामिल है।
- रिपोर्टों के अनुसार, सर्दियों के दौरान फसल अवशिष्ट को जलाना प्रदूषण भार के 20% के लिये ज़िम्मेदार है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग
- IMD भारत सरकार के "पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय" (Ministry of Earth Sciences) के अधीन कार्यरत एक विभाग है। इसकी स्थापना 1875 में की गई थी।
- IMD एक प्रमुख एजेंसी है जो मौसम संबंधी अवलोकन एवं मौसम की भविष्यवाणी के साथ-साथ भूकंप संबंधी जानकारी प्रदान करने के लिये भी उत्तरदायी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत सितंबर 1974 को किया गया।
- इसके पश्चात् केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए।
- यह बोर्ड क्षेत्र निर्माण के रूप में कार्य करने के साथ-साथ पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्यों का वर्णन जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत किया गया है।