भारतीय अर्थव्यवस्था
पूंजी संरक्षण बफर
- 12 Jan 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 31 मार्च, 2020 तक के लिये पूंजी संरक्षण बफर (Capital Conservation Buffer-CCB) की अंतिम किश्त के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा है कि पूंजी संरक्षण बफर की 0.625 प्रतिशत की आखिरी किस्त को लागू करने की समय-सीमा को 31 मार्च 2019 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2020 करने का फैसला किया गया है।
- आरबीआई के इस कदम की बदौलत अब बैंकों के पास 37,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध होगी। जिससे बैंकों की कर्ज़ देने की क्षमता में 3.50 लाख करोड़ रुपए तक वृद्धि संभव हो सकेगी।
- इस प्रकार, पूंजी संरक्षण का न्यूनतम अनुपात 2.5 प्रतिशत अब 31 मार्च, 2020 से लागू होगा।
- वर्तमान में बैंकों का पूंजी संरक्षण बफर मुख्य पूंजी का 1.875 प्रतिशत है।
- पूंजी संरक्षण बफर की आखिरी किस्त के कार्यान्वन को टालने का फैसला आरबीआई की केंद्रीय बोर्ड की बैठक में लिया गया था।
पूंजी संरक्षण बफर क्या है?
- पूंजी संरक्षण बफर (Capital Conservation Buffer-CCB) को यह सुनिश्चित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है कि बैंक अर्थव्यवस्था के सामान्य समय के दौरान (यानी अर्थव्यस्था पर तनाव से पहले की अवधि के दौरान) पूंजीगत बफ़र का निर्माण करें, जिसे अर्थव्यवस्था के तनावग्रस्त होने पर नुकसान के समय निकाला जा सके।
- दूसरे शब्दों में पूंजी संरक्षण बफर (capital conservation buffer-CCB) वह पूंजी बफर है, जिसे बैंकों को आम दिनों में जमा करना पड़ता है ताकि आर्थिक संकट के दौरान नुकसान की भरपाई हेतु इसका इस्तेमाल किया जा सके।
- यह आवश्यक न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं (Minimum Capital Requirements) के उल्लंघन से बचने हेतु डिज़ाइन किये गए सरल पूंजी संरक्षण नियमों (Capital Conservation Rules) पर आधारित है।
- इसे 2008 में पूरी दुनिया में आए आर्थिक संकट के बाद प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों से निपटने के लिये बैंकों की क्षमता में सुधार हेतु पेश किया गया था।