अंतर्राष्ट्रीय संबंध
मनरेगा के अंतर्गत क्षमता सृजन और गुणवत्तायुक्त सम्पत्ति के सृजन पर बल
- 29 Jan 2018
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संदर्भ
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गांरटी योजना का उद्देश्य सतत् विकास के लिये उत्पादक और टिकाऊ परिसम्पत्ति का सृजन करके ग्रामीण आजीविका संसाधन आधार को मज़बूत बनाना है। यह सुनिश्चित करने के लिये पिछले तीन वर्षों में समय से कार्य सम्पन्न करने तथा कार्य की गुणवत्ता सुधारने पर काफी बल दिया गया है। कार्यक्रम को गुणवत्ता सम्पन्न तरीके से सुधारने के लिये समर्पित मनरेगा कर्मियों तथा सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के कौशल को उन्नत करने पर समान बल दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- मनरेगा के अंतर्गत अधूरे कार्यों को पूरा करना सरकार के लिये बड़ी चिंता का विषय है। इसलिये मंत्रालय द्वारा कार्यक्रम प्रारंभ होने के बाद से कुल 4.54 करोड़ कार्यों में से 61.39 लाख अधूरे कार्यों को पूरा करने पर बल दिया जा रहा है।
- कड़ी निगरानी और राज्यों के साथ सक्रिय सहयोग के चलते मंत्रालय वित्त वर्ष 2016-17 तथा चालू वित्त वर्ष में 1.02 करोड़ कार्यों की पूर्णता सुनिश्चित करने में सफल रहा है।
- कार्य के अलग-अलग स्वभाव और आकार तथा शामिल हितधारकों की अलग-अलग क्षमताओं को देखते हुए लक्षित समूह की आवश्यकताओं के अनुकूल अलग ट्रेनिंग मोड्यूल डोमेन विशेष शीर्ष संगठनों के समर्थन से विकसित किये गए हैं।
सक्षम कार्यक्रम
- इन प्रशिक्षण मोड्यूल को सक्षम (SAKSHAM) कार्यक्रम के अंतर्गत तकनीकी कर्मियों को प्रशिक्षित करने के आधार पर बनाया गया है।
- सक्षम कार्यक्रम 19 जून, 2017 को ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था और 65,000 तकनीकी कर्मियों को कवर करते हुए इस कार्यक्रम को 15 मार्च, 2018 को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- लगभग 57,000 (राज्य स्तर पर 521), (ज़िला स्तर पर 6669 तथा ब्लॉक स्तर पर 48,934 तकनीकी) कर्मियों को जलसंभर (watershed), भूजल विज्ञान, पौधरोपण तथा एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (Integrated Natural Resource Management) जैसे विषयों के साथ परियोजना नियोजन तथा निगरानी के लिये दूरसंवेदी और जीआईएस उपायों के इस्तेमाल के संबंध में क्षमता संपन्न बनाया गया है।
- इस व्यापक कार्यक्रम में राष्ट्रीय दूरसंवेदी केंद्र (National Remote Sensing Centre) हैदराबाद तथा केंद्रीय भूजल बोर्ड (Central Ground Water Board) द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) के साथ सहयोग करते हुए कार्य किया गया है।
मनरेगा क्या है?
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कानून (MGNREGA) 2 फरवरी, 2006 को लागू किया गया था। इस कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अभी तक इसके अंतर्गत तकरीबन 3,00,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किये जा चुके हैं। इसमें से 71 प्रतिशत राशि ‘श्रमिकों’ को पारिश्रमिक के रूप में प्रदान की गई है।
- इस कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत से अधिक कार्य कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों में हुआ है।
- मनरेगा के तहत सृजित कुल मानव-दिवसों में से 23 प्रतिशत पर अनुसूचित जाति एवं 18 प्रतिशत पर अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी रही है। इस कार्यक्रम में महिला श्रमिकों की हिस्सेदारी भी बढ़कर 57 प्रतिशत हो गई है, जो कि निश्चित 33 प्रतिशत की सीमा से कहीं अधिक है।
- इस योजना को लागू करने वाली एजेंसियों और लाभार्थियों को समय पर पारदर्शी ढंग से धन उपलब्ध कराने के लिये ‘इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम’ शुरू किया गया।
- आने वाले वर्षों में मनरेगा की प्रक्रिया को और अधिक सरल तथा मज़बूत करने पर बल दिया जा रहा है। इस संबंध में ‘प्रोजेक्ट लाइफ’ कार्यक्रम के माध्यम से तकरीबन 10,000 तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन्हें स्वरोज़गार और जीविका के लिये पारिश्रमिक कमाने हेतु भी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- मनरेगा श्रमिकों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र है। कार्य नियोजन तथा कार्य की निगरानी और ग्राम पंचायत स्तर पर तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता की खाई को पाटकर परिसम्पत्ति की गुणवत्ता और टिकाऊ अवधि में सुधार के लिये 6,367 अकुशल कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है।
- ये स्थानीय युवा (10वीं पास) हैं और मनरेगा श्रमिक परिवार से संबद्ध लोग हैं। इनके अतिरिक्त इसके अंतर्गत सुपरवाइज़रों की भी पहचान की गई है और उन्हें 90 दिन का आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। उनका मूल्यांकन भी किया गया है और 150 रुपए दैनिक वज़ीफे सहित 62,040 रुपए प्रति व्यक्ति की लागत से प्रशिक्षित करने के बाद उन्हें प्रमाणित किया गया है।
- मंत्रालय द्वारा लागत में एकरूपता लाने, चोरी रोकने और कार्य की गुणवत्ता सुधारने के लिये सिक्योर सॉफ्टवेयर (Software for Estimate Calculation Using Rural Rates for Employment - SECURE) का प्रयोग कर तकनीकी विशेषता वाले कार्य और कार्य प्रवाह की बारीकियों के माध्यम से अनुमानों को मानक रूप देने की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं।
- मंत्रालय द्वारा सिक्योर के माध्यम से राज्य, ज़िला तथा ब्लॉक स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से व्यक्तियों का प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया गया है।
- 01 अप्रैल, 2018 से मनरेगा के अंतर्गत सभी अनुमान कार्यक्रम प्रबंधन सूचना प्रणाली से सिक्योर सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करके लगाया जाएगा।
- प्रशासकीय और वित्तीय रूप से स्वतंत्र सामाजिक लेखा इकाइयों की स्थापना और समर्पित संसाधनों से व्यक्तियों के प्रशिक्षण के ज़रिये अधिसूचित लेखा मानकों के अनुरूप सामाजिक लेखा के लिये संस्थागत व्यवस्था को मज़बूत बनाना सुनिश्चित किया गया।
- राज्य, ज़िला तथा ब्लॉक स्तर पर इन स्वतंत्र सामाजिक लेखा इकाइयों के 3760 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है, उनका मूल्यांकन किया गया है और सामाजिक लेखा पर 30 दिन का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करने के बाद टाटा समाज विज्ञान संस्थान द्वारा प्रमाणित किया गया है।
- सामाजिक लेखा कार्य के लिये ग्रामीण संसाधन व्यक्ति के रूप में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु भी कदम उठाए गए हैं।
- अब तक ग्राम पंचायत स्तर पर सामाजिक लेखा कार्य करने के लिये चार दिनों के प्रशिक्षण मोड्यूल के अंतर्गत 4700 महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है।
जीआईएस आधारित जियोमनरेगा (GeoMGNREGA) समाधान
- पारदर्शिता लाने और कार्यक्रम की व्यापकता बनाए रखने के लिये मंत्रालय द्वारा मनरेगा सम्पत्ति संबंधी आँकड़ों को देखने, उनका विश्लेषण करने तथा उनकी संभावनाओं के लिये जीआईएस आधारित जियोमनरेगा (GeoMGNREGA) समाधान लागू किया जा रहा है।
- पूरे देश में अभी तक 2.34 करोड़ सम्पत्तियों को जियोटैग प्रदान किया जा चुका है। मंत्रालय द्वारा 01 नवंबर, 2017 से 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में जियोमनरेगा चरण-3 प्रारंभ किया गया है।
- जियोमनरेगा चरण-2 के अंतर्गत तीन चरणों पर जियोटैगिंग का कार्य किया जा रहा है। ये चरण हैं –
(1) कार्य प्रारंभ होने से पहले
(2) कार्य के दौरान
(3) कार्य पूरा होने पर - 21-22 अगस्त, 2017 को राज्य के संसाधनों से व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय ओरिएंटेशन कार्यशाला तथा प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
- इसके बाद अब तक राज्य, ज़िला, ब्लॉक तथा ग्राम पंचायत के 2,69,075 अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है।
- मनरेगा के अंतर्गत राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन कार्यों के प्रभाव का जायजा लेने के लिये नई दिल्ली के आर्थिक विकास संस्थान द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, 21 राज्यों के 30 ज़िलों से प्राप्त प्राथमिक और द्वितीयक डाटा बताते हैं कि मनरेगा के अंतर्गत फसल में तेजी औरविविधता के चलते ग्रामीण
परिवारों की आय में वृद्धि हुई है।मनरेगा में स्थायी आजीविका के माध्यम से पारदर्शिता, समयबद्धता, संपत्ति निर्माण और आमदनी में वृद्धि के सभी मापदंडों के संबंध में भी उल्लेखनीय कार्य किया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि ये सभी कार्य मनरेगा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल तथा गवर्नेंस में सुधार के कारण संभव हो पाए हैं।