जलमार्ग विकास परियोजना के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग-1 का क्षमता विकास | 05 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने जलमार्ग विकास परियोजना के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग -1 के क्षमता विकास के लिये 5,36 9 .18 करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के लिये आर्थिक व तकनीकी सहायता विश्व बैंक द्वारा प्रदान की जाएगी।
परियोजना से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- इस परियोजना का वित्त पोषण विश्व बैंक, केंद्र सरकार व सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत किया जाएगा।
- इस परियोजना में विश्व बैंक प्रमुख साझेदार है, जो कि इसके लिये वित्त एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा।
- इस परियोजना से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल के कई ज़िले जल परिवहन से जुड़ेंगे।
- इस परियोजना का मार्च 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है, जिसका 30 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
- यह परियोजना विभिन्न राज्यों के बीच मल्टी- मॉडल और इंटर- मॉडल टर्मिनल, रोल ऑन-रोल ऑफ (RO-RO) सुविधाओं एवं नौका सेवाओं, को बढ़ावा देगी।
जलमार्गों का महत्त्व
- जल परिवहन को प्राकृतिक पथ कहा जाता है, क्योंकि इसे प्रकृति ने बनाया है। जल परिवहन से सड़क एवं रेल नेटवर्क पर भीड़भार कम करने में मदद मिलेगी और क्षेत्रों के समग्र आर्थिक विकास को कई गुना बढ़ाया जा सकेगा।
- जल परिवहन सर्वाधिक ऊर्जा कुशल एवं पर्यावरण अनुकूल माध्यम है। सड़क परिवहन की औसत लागत 1.5 रुपए प्रति टन किलोमीटर और रेलवे के लिये यह 1 रुपए प्रति टन है, जबकि जलमार्ग के लिये यह महज 25 से 30 पैसे प्रति किलोमीटर होगी।
- एक लीटर ईंधन से सड़क परिवहन के ज़रिये 24 टन प्रति किलोमीटर और रेल परिवहन के ज़रिये 85 टन प्रति किलोमीटर माल की ढुलाई हो सकती है जबकि जलमार्ग के जरिये इससे अधिकतम 105 टन प्रति किलोमीटर तक माल की ढुलाई की जा सकती है। इन आँकड़ों से इस बात को बल मिलता है कि भूतल परिवहन के मुकाबले जलमार्ग परिवहन कहीं अधिक किफायती एवं पर्यावरण के अनुकूल माध्यम है। माल ढुलाई की लागत कम होने पर उत्पादों के मूल्य में भी गिरावट आएगी।
- इसमें निवेश एवं रखरखाव की लागत अन्य माध्यमों से कम आती है।
- जलमार्ग की पूरी क्षमता का दोहन करने से लोगों, वस्तुओं और वाहनों की आवाजाही को एक बड़ी रफ्तार मिलेगी। माल ढुलाई के लिये समय और लागत की बचत होगी तथा भारत के विनिर्माण एवं निर्यात क्षेत्र पर इसका काफी सकारात्मक असर पड़ेगा।
भारत के 4 प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1: इलाहाबाद-हल्दिया जलमार्ग को भारत में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 का दर्जा दिया गया है। यह जलमार्ग गंगा-भागीरथी-हुगली नदी तंत्र में स्थित है। इस जलमार्ग पर स्थित प्रमुख शहर इलाहाबाद, वाराणसी, मुगलसराय, बक्सर, आरा, पटना, मोकामा, बाढ, मुंगेर, भागलपुर, फरक्का, कोलकाता तथा हल्दिया है।
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 2: 1988 में धुबरी से सादिया तक 891 किमी. तक को राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2 घोषित किया गया। धुबरी ब्रह्मपुत्र नदी पर पहला बड़ा टर्मिनल है।
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 3: उद्योग मंडल और चंपकारा नहर के साथ पश्चिमी समुद्रतट नहर (कोट्टापुरम से कोल्लम) के बीच स्थित है।
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 4: गोदावरी और कृष्णा नदी से लगा काकीनदा-पुडुचेरी नहर (1078 किलो मीटर) को 2008 में राष्ट्रीय जलमार्ग- 4 घोषित किया गया है।
सक्षम जल- परिवहन के आवश्यक तत्त्व
- पर्याप्त गहराई व चौड़ाई वाला जलमार्ग।
- चौबीस घंटे नौवहन लायक सुविधाएँ।
- सभी साजोसमान से लैस टर्मिनल।
- पर्याप्त संख्या में उच्च क्षमता वाले जलयान।
जल-परिवहन के समक्ष प्रमुख चुनौती
- नदियों में भारी गाद भरना तथा वर्ष भर जल की समुचित मात्रा का आभाव।
- माल परिवहन के लिये जलयानों की भारी कमीं।
- फेयरवे बेहतर बनाने के लिये उचित टर्मिनल और रैंपों का आभाव।
- टर्मिनलों पर मकैनिकल हैंडलिंग का आभाव।