लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिला ऊँट को आवास | 06 Feb 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बांग्लादेश सीमा पर तस्करों से बचाए गए एक ऊँट को राज्य की पुलिस और असम राज्य चिड़ियाघर के अधिकारियों के बीच छह महीने तक चली कानूनी लड़ाई के बाद पूर्वी असम के शिवसागर ज़िले में एक आवास प्रदान किया गया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • हाल ही में एक वयस्क नर ऊँट को गुवाहाटी के चिड़ियाघर से निकालकर लगभग 350 किमी. दूर पूर्वी असम के शिवसागर ज़िले में ‘पशु घर’ में एक ट्रक के माध्यम से पहुँचाया गया।
  • अरण्यम नामक इस ‘पशु घर’ का संचालक समीरन हातिमुरिया (Samiran Hatimuria) है जिसके संरक्षण में इस ऊँट को भेजा गया है।
  • समीरन हातिमुरिया ने ऊँट को यहाँ लाये जाने को स्वागत योग्य बताते हुए यहाँ मौजूद अन्य जानवरों के बारे में भी जानकारी दी जिनमें एमू (Emu), टर्की (Turkey), गिनी सूअर (Guinea Pigs), घोड़े (Horses), 12 प्रकार के मोर (Peafowls), पाँच प्रकार के कबूतर (Pigeons) और अन्य जानवर शामिल हैं।

क्या था मामला?

  • 2018 के मध्य में पश्चिमी असम के गोलपारा ज़िले की पुलिस ने इस ऊँट को बांग्लादेश में तस्करी के लिये ले जाने वाले तस्करों से बचाकर चिड़ियाघर में पहुँचा दिया था। जहाँ पहले से ही दो ऊँटों को रखा गया था।
  • पशु चिकित्सकों ने पहले दो ऊँटों को उन बीमारियों के वाहक बताया था जिनसे अन्य जानवरों की जान को खतरा हो सकता था, हालाँकि कुछ समय बाद दोनों ऊँटों की मौत हो जाने के बाद चिड़ियाघर प्रशासन ने गोलपारा में सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
  • चिड़ियाघर के प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) ने अदालत में अपना तर्क देते हुए कहा कि चिड़ियाघर घरेलू पशुओं को रखने के लिये अधिकृत नहीं है तथा ऊँट (जो स्वस्थ था) को चिड़ियाघर से बाहर पुलिस को वापस सौंपने की मांग की।
  • कुछ समय पश्चात स्थानीय अदालत ने पुलिस को ऊँट को वापस ले जाने का आदेश दिया लेकिन जानवर पालने में पुलिस की अक्षमता के चलते इसे चिड़ियाघर में छोड़ दिया।

अरण्यम (Aranyam)


वर्ष 2008 में समीरन हातिमुरिया ने अरण्यम नामक पशु घर खोला जिसमें शिवसागर ज़िले के वन्यजीव अधिकारियों द्वारा जंगली जानवरों को इलाज या पुनर्वास के लिये तथा उनकी सुरक्षा हेतु शरण दी जाती है।

स्रोत – द हिंदू